जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
विश्वकर्मा जयंती एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जो भगवान विश्वकर्मा के सम्मान में मनाया जाता है जिन्हें वास्तुकार एवं शिल्पकार माना जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से कारीगर, मजदूर, इंजीनियर,वास्तुकार, यांत्रिक और कारखाना के श्रमिकों सहित विभिन्न प्रकार के शिल्प कौशल से जुड़े लोगों के द्वारा मनाया जाता है। यह त्यौहार आमतौर पर प्रत्येक वर्ष जनवरी के महीने में भारत के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में मनाई जाती है। इस त्यौहार को काफी धूमधाम से एवं उत्साह के साथ कई सार्वजनिक स्थलों पर भी मनाया जाता है। इस त्यौहार के दिन कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
विश्वकर्मा की पूजन विधि
विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह उठकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र को धारण कर ले। इसके बाद पूजा स्थल के लिए साफ सुथरा स्थान का चयन करें जैसे कि कल कारखाना, कार्यशाला, घर का कोई कोना। इस स्थान को अच्छी तरह से सजावट करें। पूजा स्थल पर भगवान विश्वकर्मा जी का मूर्ति या चित्र स्थापित करें। भगवान विश्वकर्मा के आराधना करने से पहले उन्हें आह्वान करें और मंत्र एवं प्रार्थनाओं के द्वारा उनकी कृपया की विनती करें। भगवान विश्वकर्मा जी के पूजन के समय फल ,फूल,मिठाई और विशेष उपहार अर्पित करें। इसके साथ ही आरती करें एवं दीपक जलाकर उन्हें समर्पित करें। कारीगर, शिल्पकार,मजदूर अपने हथियार को भगवान विश्वकर्मा के समुख समर्पित करना चाहिए। पूजन समाप्ति के बाद प्रसाद को भक्तों के मध्य बांटना चाहिए। जो भगवान के आशीर्वाद एवं कृपा का प्रतीक होता है।
विश्वकर्मा जयंती का महत्व
व्यापार के क्षेत्र में विश्वकर्मा पूजा का काफी महत्व है। नया व्यवसाय शुरू करने के लिए विश्वकर्मा जयंती काफी शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि विश्वकर्मा जयंती के दिन कोई नया व्यापार शुरू करने से सफलता प्राप्त होता है खासकर यदि यह एक यांत्रिक फार्म है। विश्वकर्मा पूजा के द्वारा कलाकारों, शिल्पकलाकारों एवं कारीगरों की कला, शिल्प कला एवं पेशावर योग्यताओ की महत्व को मान्यता दी जाती है। इस पूजा के द्वारा कारीगर, व्यवसायिक लोग अपनी पेशे में सफलता , समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं। विश्वकर्मा पूजा समुदाय को एक साथ लाने एवं उनकी एकता मजबूत करने के लिए अवसर प्रदान करती है। यह त्यौहार कारीगरी एवं उनके संस्कृति विरासत को उजागर करता है जो विभिन्न शिल्प एवं उद्योग धंधा में शामिल है।
विश्वकर्मा जयंती का इतिहास
विश्वकर्मा जयंती का उत्पत्ति का पता प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथो से लगाया जा सकता है। सबसे पुराने हिंदू धर्मग्रंथों में से एक, ऋग्वेद में, विश्वकर्मा जयंती का सबसे पहला उल्लेख मिलता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में विश्वकर्मा को ब्रह्मांड के खगोलीय डिजाइनर के रूप में माना जाता है। उन्होंने देवताओं के लिए कई हथियारों का निर्माण किया, जैसे भगवान शिव का त्रिशूल, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, लंका राजा रावण का पुष्पक विमान और इंद्र का वज्र, द्वारका, भगवान कृष्ण का क्षेत्र और पांडवों के लिए माया सभा। उन्होंने चारों युगों के देवताओं के लिए अनेक महल भी बनवाये। समय के साथ, यह त्योहार कारीगरों, श्रमिकों और कलाकारों के लिए भगवान विश्वकर्मा का सम्मान करने और अपने विभिन्न उद्योगों में सफलता, नवाचार और कौशल के लिए उनका आशीर्वाद मांगने का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम बन गया है।
कौन थे विश्वकर्मा
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी को सृष्टि के रचयिता ब्रहमाजी वंशज माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र थे। इनको आर का पहला शिल्पकार माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा एक त्यौहार है जहां शिल्पकार,कारीगर, श्रमिक भगवान विश्वकर्मा जी का पूजा करते हैं। कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मांड का निर्माण किए थे। ऐसी मान्यता है कि द्वारका नगरी से लेकर रावण के लंका तक का निर्माण भगवान विश्वकर्मा जी ने किया था। भगवान विश्वकर्मा जी को दुनिया का पहला इंजीनियर एवं वास्तुकार कहा जाता है। विश्वकर्मा दो शब्दों से मिलकर बना है विश्व का अर्थ पूरा ब्रह्मांड एवं कर्म का अर्थ निर्माता भगवान इसलिए विश्वकर्मा शब्द का अर्थ हुआ ब्रह्मांड का निर्माता जो संसार का रचना करता है।
विश्वकर्मा जयंती कब है?
विश्वकर्मा जयंती आमतौर पर प्रत्येक वर्ष जनवरी के महीने में मनाया जाता है। यह त्यौहार हिंदू धर्म के लोग काफी उत्साह के साथ मनाते हैं। इस त्यौहार को मुख्य रूप से कल- कारखानों एवं औद्योगिक क्षेत्र में मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष 2024 में 22 फरवरी को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाएगी।
क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा जयंती?
प्रत्येक वर्ष विश्वकर्मा जयंती के दिन विश्वकर्मा पूजा मनाया जाता है। दरअसल इस दिन ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र भगवान विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ था। यह त्यौहार मुख्य रूप से भारत के उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं कर्नाटक राज्य में मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा जी देवी देवताओं के शिल्पकार थे। धार्मिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ जी का त्रिशूल, रावण की लंका, भगवान श्री कृष्ण जी का द्वारिका, देवी देवताओं का अस्त्र-शास्त्र और घर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा जी का ही देन है। दुनिया का पहला वास्तुकार एवं इंजीनियर माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन लोग अपने व्यापार में तरक्की एवं अपने घर में सुख शांति के लिए भगवान विश्वकर्मा जी का पूजा करते हैं। इस दिन लोहे के वस्तुएं एवं मशीन, कल-कारखानों, औद्योगिक क्षेत्र की पूजा की जाती है।