- अब छह बाद होगी पुलिस भर्ती परीक्षा, निशुल्क बसें उपलब्ध कराएगी सरकार
- पेपर लीक मामले में जी का जंजाल बनी परीक्षा, सकते में पुलिस विभाग
देवेंद्र मिश्र
लखनऊ। यूं तो चुनाव के पहले बेरोजगारी के सवाल को पटरी से हर सरकार उतारना चाहती है। उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश में महंत आदित्यनाथ की अगुआई वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी 60,244 पदों पर पुलिस की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी। लेकिन हर बार सॉल्वर गैंग को धर-दबोचने वाली सरकार इस बार पेपर लीक (Paper Leak) को नहीं रोक पाई। वो भी तब जब सरकार के सबसे चहेते अफसर IPS प्रशांत कुमार पुलिस महानिदेशक की कुर्सी पर मौजूद हैं और दूसरे चहेते अमिताभ यश को एडीजी लॉ एंड आर्डर की कुर्सी मिली हुई है। पेपर लीक की घटना के बाद योगी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया है। साथ ही साफ शब्दों में यह आदेश भी दिया कि छह महीने के अंदर ही दोबारा परीक्षा कराई जाएगी। CM ने कहा कि युवाओं की मेहनत और परीक्षा की शुचिता से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी। बताते चलें कि पेपर लीक कराने वाले Special Task Force (STF) की रडार पर हैं और अब तक कई लोगों की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
इस वक्त की सबसे बड़ी खबर उत्तर प्रदेश से ही है। यह वह राज्य है, जहां की सीमाएं लांघकर ही दिल्ली की गद्दी तक पहुंचा जा सकता है। इस सूबे में पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया, जिसके चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा रद्द कर दी। गृह विभाग ने बकायदा इस बारे में आदेश जारी कर दिया। शासन ने भर्ती बोर्ड को निर्देश भी दिया कि जिस भी स्तर से बरती गई लापरवाही उनके खिलाफ FIR दर्ज कर अग्रिम वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। वहीं शासन ने प्रकरण की जांच एसटीएफ के हवाले सौंप दिया है। जिसके मुखिया अमिताभ यश हैं और हाल ही में ADG कानून व्यवस्था के पद पर आसीन हुए हैं। इसके साथ ही शासन ने घोषणा की है कि अगली परीक्षा में अभ्यर्थियों को परीक्षा स्थल तक जाने-आने की शासन द्वारा परिवहन निगम की बसों से निःशुल्क सुविधा भी दी जाएगी। सवाल उठता है कि जब सरकार के दो चहेते पुलिस अफसर बड़े और जिम्मेदार पदों पर हैं तो इतनी बड़ी घटना कैसे हो गई।
बताते चलें कि यूपी सरकार ने 60 हजार 244 पदों के लिए पुलिस भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। इन पदों के सापेक्ष 50 लाख युवाओं ने आवेदन किया था, जिसमें 48 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। यह परीक्षा 17 और 18 फरवरी को दो पाली में आयोजित हुई थी। इसी बीच पेपर लीक हो गया और अभ्यर्थी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे। दो दिनों पहले अभ्यर्थी हजरतगंज स्थित भाजपा कार्यालय में भी प्रदर्शन करते हुए घुस गए थे और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास के सामने भी जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ था।
वहीं दूसरी बार भी ‘X’ पर पोस्ट करते हुए योगी आदित्यनाथ लिखते हैं कि पुलिस आरक्षी नागरिक पुलिस के पदों पर चयन के लिए आयोजित परीक्षा-2023 को निरस्त करने तथा आगामी छह माह के भीतर ही पुन: परीक्षा कराने के आदेश दिए हैं। परीक्षाओं की शुचिता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। युवाओं की मेहनत के साथ खिलवाड़ करने वाले किसी भी दशा में बख्शे नहीं जाएंगे। ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होनी तय है।
छात्रों का प्रदर्शन बढ़ता देख उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती व प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) ने अभ्यर्थियों से पेपर लीक की शिकायतों पर सबूत के साथ आपत्तियां मांगे थे। इसके बाद बोर्ड को छात्रों ने ई-मेल के जरिए ढेर सारे सबूत भेज दिए थे। शनिवार को सीएम योगी ने पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें पुलिस भर्ती बोर्ड के अधिकारी भी मौजूद थे। इसके बाद UP Police Exam को रद्द करने का फैसला लिया गया। अब छह महीने के अंदर दोबारा से परीक्षा होगी।
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