
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
लखनऊ राजभवन के इतिहास में आज नया अध्याय जुड़ा। यहां वर्तमान राज्यपाल द्वारा पूर्व राज्यपाल को सम्मानित किया गया। राज्यपाल के रूप में राम नाईक ने ही यह परम्परा शुरू की थी। वह उत्तर प्रदेश से पद्म सम्मान से पुरस्कृत महानुभावों को राजभवन में सम्मानित करते थे। राम नाईक द्वारा बनाई गई परम्परा उन पर भी चरितार्थ हुई। इस बार गणतंत्र दिवस पर पूर्व राज्यपाल राम नाईक को पद्म भूषण सम्मान प्रदान करने की घोषणा की गई थी। इसके लिए राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने उन्हें राजभवन मे सम्मानित किया। उन्होंने श्रीराम दरबार की मूर्ति,पुष्पगुच्छ और नारियल देकर पूर्व राज्यपाल को सम्मानित किया। आनन्दी बेन कहा कि राम नाईक को उल्लेखनीय समाज सेवा के लिए पद्म विभूषण हेतु मनोनीत किया गया।
उन्होंने प्रत्येक दायित्व का पूरी निष्ठा ईमानदारी और मेहनत के साथ निर्वाह किया। विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल के रूप में उनके योगदान सराहनीय रहे हैं। उनके द्वारा की गई कुष्ठ रोगियों की सेवा समाज के लिए प्रेरणादायक हैं। नाईक का जीवन ‘‘चरैवेति-चरैवेति’’ का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि युवावस्था में एक्सीडेंट व कैंसर की समस्या के बावजूद जिंदगी से हार न मानते हुए नाईक ने एक सफल केंद्रीय मंत्री, विधायक व सांसद के रूप में अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया।
राज्यपाल ने कहा कि संसद में जन गण मन, वंदे मातरम गायन, सांसद निधि की शुरुआत नाईक के प्रयासों का ही प्रतिफल है। उनका जीवन लोगों के लिए एक संदेश है। उन्होंने उनकी पुस्तक “चरैवेति-चरैवेति“ का विभिन्न भारतीय भाषाओं व विदेशी भाषाओं सहित ब्रेल लिपि में अनुवाद किए जाने की भी प्रशंसा की तथा उनके राजनीतिक व संवैधानिक सफर की प्रशंसा करते हुए कहा कि नाईक में सांगठनिक व नेतृत्वकर्ता की क्षमता है। नाईक द्वारा प्रदेश के राज्यपाल के रूप में उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस तथा एक जिला एक उत्पाद की अवधारणा की शुरुआत हेतु राज्यपाल जी ने सराहना की। उन्होंने उनके मृदु व स्नेहिल स्वभाव की भी प्रशंसा की। राम नाईक ने कहा कि मेरी सामाजिक, राजनीतिक यात्रा में राजभवन की भूमिका महत्वपूर्ण है। पद्मभूषण सम्मान हेतु मनोनीत किये जाने में उत्तर प्रदेश राज्य की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। नाईक ने राजभवन द्वारा सम्मानित किये जाने पर आभार प्रकट करते हुए कहा कि वर्तमान राज्यपाल द्वारा किसी पूर्व राज्यपाल के सम्मान का यह पहला अवसर है।
उन्होंने केंद्र सरकार में बतौर पेट्रोलियम मंत्री 3.50 करोड़ परिवारों को घरेलू गैस का आवंटन, वीर शहीद की माताओं व पत्नियों को पेट्रोल पंप तथा गैस एजेंसी का आवंटन, लखनऊ कमांड सेंटर में परमवीर चक्र विजेताओं की स्मृति में स्मृतिका की स्थापना, कुष्ठ पीड़ितों के उत्थान व पुनर्वास का कार्य, उनके निर्वाह भत्ता हेतु प्रयास, बॉम्बे, इलाहाबाद, फैजाबाद का नामकरण तथा बतौर राज्यपाल उत्तर प्रदेश संवैधानिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के बारे में बताया। उन्हांने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को राजनीतिक जीवन का आदर्श बताते हुए कहा कि उनका लक्ष्य समाज के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की सेवा व उत्थान है। उन्होंने कहा कि लोगों का उनके प्रति स्नेह उनकी पूंजी है “चरैवेति- चरैवेति“ जीवन का मूल मंत्र है। इसके विभिन्न भाषाओं में सोलह संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। इस पुस्तक का जन्म इसी राजभवन में हुआ।