यशोदा जयंती आज है, जानिए शुभ तिथि व पूजा विधि और महत्व…

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता

हिंदू धर्म में यशोदा जयंती अत्यंत महत्वपूर्ण है पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है। यशोदा जयंती उत्तर भारतीय चंद्र कैलेंडर के अनुसार हर साल फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। हालांकि गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी भारतीय राज्यों में अपनाए जाने वाले अमांत चंद्र कैलेंडर में, यशोदा जयंती माघ चंद्र माह के दौरान मनाई जाती है। दोनों कैलेंडर में यशोदा माता जयंती एक ही दिन मनाई जाती है। पौराणिक कथा के मुताबिक जब भगवान विष्णु ने जब द्वापर युग में कृष्ण अवतार लिया था, तब उनको जन्म माता देवकी ने दिया था, लेकिन उनका पालन-पोषण माता यशोदा ने किया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और माता यशोदा की पूजा करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।

यशोदा जयंती की पूजा विधि

  • यशोदा जयंती के दिन श्रीकृष्ण को गोद में लिए माता यशोदा के तस्वीर की पूजा करने का विधान है।
  • इस दिन पूजन करने वाले को प्रात:काल जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनने चाहिए।
  • फिर पूजा स्थान पर श्रीकृष्ण को गोद में लिए माता यशोदा का चित्र स्थापित करें।
  • धूप-दीप जलाकर, रोली-चावल से उनकी तस्वीर का तिलक करें।
  • फिर चंदन लगाएं, फल-फूल अर्पित करें और पान-सुपारी चढ़ाएं।
  • इसके बाद उन्हें मक्खन-मिश्री का भोग लगाकर आरती करें।

यशोदा जयंती की तिथि

इस साल यशोदा जयंती का त्यौहार फाल्गुन महीने में एक मार्च, 2024 शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन षष्ठी तिथि का प्रारम्भ एक मार्च 2024 को सुबह 6 बजकर 21 मिनट पर होगा और षष्ठी तिथि का समापन दो मार्च 2024 को सुबह सात बजकर 53 मिनट पर होगा।

यशोदा जयंती पूजा के लाभ

माना जाता है इस दिन माता यशोदा के साथ श्रीकृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं। विशेषकर संतान की कामना करने वाले लोगों को इस दिन पूजन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती हैं। यशोदा जयंती के दिन पूजन करने से घर-परिवार में खुशी का माहौल रहता है और परिवार में स्नेह बना रहता हैं। साथ ही धन-धान्य में वृद्धि होती है और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती हैं।

यशोदा जयंती का धार्मिक महत्व

एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप का लालन-पालन करने का सौभाग्य माता यशोदा को मिला था। भगवान कृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है। पृथ्वी पर अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु समय-समय पर अवतार लेते रहते हैं। द्वापर युग में जब धरती पर कंस का अत्याचार बहुत बढ़ गया तब उसके अंत के लिए भगवान कृष्ण ने कंस की ही बहन देवकी के गर्भ से जन्म लिया। उनके पिता वसुदेव ने उनके प्राणों की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण को अपने मित्र नंद के पास छोड़ दिया था। यशोदा माता नंद जी की पत्नी थीं। श्रीकृष्ण का बाल्यकाल नंदगांव और गोकुल में बीता था। माता यशोदा ने श्रीकृष्ण का पालन पोषण बहुत स्नेह के साथ और सगे बेटे की तरह किया था। वो उनको बहुत प्रेम करती थीं और श्रीकृष्ण भी माता यशोदा के प्रति बहुत लगाव रखते थे। श्रीकृष्ण की बाललीला से सारे ब्रजवासी परीचित थे। भगवान श्रीकृष्ण को यशोदानंदन भी कहा जाता है।

 

 

Religion

हाथी पर सवार होकर आ रही मां आपके द्वार, बरसेगी मां भगवती की कृपा, स्थापना, पूजा सहित पूरी जानकारी एक क्लिक में पढ़ें…

30 मार्च से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होने जा रही है। नवरात्र 30 मार्च से लेकर 6 अप्रैल तक रहेंगे। इस साल मैय्या रानी के नवरात्र रविवार से शुरू हो रहे हैं, इसलिए माता हाथी पर सवार होकर आएंगी। शास्त्रों में देवी की हाथी की पालकी को बहुत शुभ माना गया है। आचार्य पंडित सुधांशु […]

Read More
Religion

हथेली की इन रेखाओं से पता चलता है कि कितने साल जिएंगे आप

राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद हथेली में कलाई के पास मणिबंध रेखाएं होती हैं। ये रेखाएं आड़ी होती हैं। हस्त रेखा विशेषज्ञों की मानें तो हथेली में मणिबंध रेखाओं की संख्या 1 से 5 तक होती है। हर एक रेखा की औसत आयु 20 से लेकर 25 साल होती है। हस्त रेखा शास्त्र से व्यक्ति […]

Read More
Religion

गंगाजल भगवान विष्णु की चरणामृत,सम्मान दें- कृष्णा महाराज

पंक्ति में बैठे व्यक्ति से भेदभाव करना पूरी तरह से गलत देवी भागवत के छठवें दिन निकाली गई मां कालरात्रि की पालकी जगदलपुर। गंगाजल भगवान विष्णु की चरणामृत है। गंगाजी को सूर्य का प्रकाश दिखाकर रोज पीना चाहिए। इससे गंगाजल की शक्ति बढ़ जाती है। गंगाजी को कैद कर रखना नहीं चाहिए। गंगाजल को तांबे […]

Read More