गुरु रामदास का आज समाधि दिवस,

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता

समर्थ गुरु रामदास स्वामी ने फाल्गुन कृष्ण नवमी को समाधि ली थी। जो आज 05 मार्च को मनाई जा रही है, इस दिन को देश भर में उनके अनुयायी ‘दास नवमी’ उत्सव के रूप में मनाते हैं। उन्होंने अपने जीवन का अंतिम समय महाराष्ट्र में सातारा के पास परली के किले पर बिताया। तभी से इस किले का नाम सज्जनगढ़ पड़ा और वहीं उनकी समाधि भी स्थित है। समर्थगुरु श्री रामदास स्वामी का जन्म औरंगाबाद जिले के जांब नामक स्थान पर हुआ था। वे बचपन में बहुत शरारती थे। गांव के लोग रोज उनकी शिकायत उनकी माता से करते थे। एक दिन माता राणुबाई ने उनसे कहा, ‘तुम दिनभर शरारत करते हो, कुछ काम किया करो। तुम्हारे बड़े भाई गंगाधर अपने परिवार की कितनी चिंता करते हैं!’ यह बात नारायण के मन में घर कर गई। दो-तीन दिन बाद यह बालक अपनी शरारत छोड़कर एक कमरे में ध्यानमग्न बैठ गया।

नारायण ने दिया ये जवाब : दिनभर में नारायण नहीं दिखा तो माता ने बड़े बेटे से पूछा कि नारायण कहां है ये नाम उनके बचपन का था। उन्होंने भी कहा, ‘मैंने उसे नहीं देखा।’ दोनों को चिंता हुई और तलासने निकल पड़े किन्तु उनका कोई पता नहीं चला। शाम के समय माता ने कमरे में उन्हें ध्यानस्थ देखा तो उनसे पूछा, ‘नारायण, तुम यहां क्या कर रहे हो ?’ तब नारायण ने जवाब दिया, ‘मैं पूरे विश्व की चिंता कर रहा हूं।’

इस घटना से बदली जिंदगी : इस घटना के बाद नारायण की दिनचर्या बदल गई। उन्होंने समाज के युवा वर्ग को यह समझाया कि स्वस्थ एवं सुगठित शरीर के द्वारा ही राष्ट्र की उन्नति संभव है। इसलिए उन्होंने व्यायाम एवं कसरत करने की सलाह दी एवं शक्ति के उपासक हनुमानजी की प्रतिमा की स्थापना की। समस्त भारत का उन्होंने पैदल भ्रमण किया। अनेक स्थानों पर हनुमानजी की प्रतिमा की स्थापना की, अनेक मठ एवं मठाधीश बनाए ताकि पूरे राष्ट्र में नव-चेतना का निर्माण हो।

रामचंद्रजी के दर्शन हुए : कहा जाता है की उन्हें बचपन में ही साक्षात् प्रभु रामचंद्रजी के दर्शन हुए थे। इसलिए उन्होंने अपना नाम रामदास रख लिया था। उस समय महाराष्ट्र में मराठों का शासन था। शिवाजी महाराज रामदासजी के कार्य से बहुत प्रभावित हुए तथा जब इनका मिलन हुआ तब शिवाजी महाराज ने अपना राज्य रामदासजी की झोली में डाल दिया। समर्थ गुरु रामदास छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु थे। शिवाजी महाराज ने उन्हीं से अध्यात्म व हिन्दू राष्ट्र की प्रेरणा प्राप्त की।

प्रमुख ग्रंथ : रामदासजी ने शिवाजी महाराज से कहा, ‘यह राज्य न तुम्हारा है न मेरा। यह राज्य भगवान का है, हम सिर्फ न्यासी हैं।’ शिवाजी समय-समय पर उनसे सलाह लिया करते थे। रामदास स्वामी ने कई ग्रंथ भी लिखे। इसमें ‘दासबोध’ प्रमुख है।

Religion

किस राशि के लोग बन सकते हैं परफेक्ट पार्टनर और किससे बिगड़ सकता है रिश्ता

विपरीत या शत्रु राशि के साथ शादी करने से वैवाहिक जीवन बन सकता है क्लेश मीन राशि के लिए मेष और वृश्चिक राशि के पार्टनर होते हैं बेहतर वृष, कन्या व मकर के लिए मिथुन, तुला व कुंभ राशि वाले होते हैं शत्रु राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद ज्योतिष के अनुसार, विपरीत या शत्रु राशि […]

Read More
Religion

वर्ष 2024: गुरुवार को धूमधाम से मनाया जाएगा छठ महापर्व, शुक्रवार सुबह तड़के उगते सूर्य को भक्तगण करेंगे सलाम

डाला छठ आजः महिलाएं घर की खुशहाली और संतान की सलामती के लिए रखती हैं व्रत कब है छठ पूजा और कब होगा नहाय-खाय, इसके अलावा जानिए कब है खरना और कब होगा समाप्ति ए अहमद सौदागर लखनऊ। हर साल की तरह इस वर्ष भी छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की […]

Read More
Religion

भाईदूज व गोवर्धन पूजा एक ही साथ आज, कई बरसों बाद बना यह अनोखा संयोग

कब है भाई दूज और कब है गोवर्धन पूजा का मुहूर्त पहली बार एक साथ पड़े हैं ये दो त्यौहार, जानें क्यों राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद भाई दूज के साथ ही पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का समापन होता है। भाई दूज का पर्व बहन और भाई के प्रति विश्वास और प्रेम का होता है। […]

Read More