
- सम्मानित जिम्मेदार पत्रकारों अधिवक्ताओं का शस्त्र जमा करवाना तो गैर जरूरी
- शस्त्र जमा समय मे इन अधिवक्ताओं पत्रकारों के परिवारों के जानमाल की कौन करेगा सुरक्षा
- धारा 370 की समीक्षा हो सकती है तो इस नियम की समीक्षा क्यों नही
विजय श्रीवास्तव
लखनऊ/सिद्धार्थनगर। प्रदेश मे लोकसभा का चुनाव हो विधानसभा चुनाव य त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव हो शस्त्र लाइसेंसियों का शस्त्र थाने मे जमा करवाना एक नियम बन गया है। छह दिसंबर 1992 की घटना के बाद हुये चुनाव में शासन ने प्रदेश के सभी शस्त्र लाइसेंसियों के शस्त्र प्रदेश के थानो मे जमा करवाने का जनरल आदेश जारी किया था। जो आज तक विना समीक्षा के जस का तस चला आ रहा है जिसकी समीक्षा होने की आवश्यकता लाइसेंसियों द्वारा बताई जा रही है। लाइसेंस धारी कई वरिष्ठ अधिवक्ता व पत्रकारों ने कहा कश्मीर की धारा 370 की समीक्षा के बाद उसे हटाने को नियम कानून बन सकता है।
तो चुनाव मे शस्त्र जमा करवाने के नियमो की समीक्षा क्यों नही हो सकता। जब कानून सबके लिए बराबर है चाहे वह सांसद विधायक हो य पत्रकार य अधिवक्ता हो जो भी शस्त्र का दुरुपयोग य अपराध करेगा वह सजा का भागीदार होगा तो पहले से पेशबंदी कर सभी शस्त्र लाइसेंसियों का शस्त्र जमा करवा कर उन्हें व उनके परिवार को असुरक्षित छोड देना कहां का न्याय है? अपराध व अपराधियों पर नियंत्रण के लिए जीवन भर कलम घिसा कर शासन प्रशासन का सहयोग करने वाले पत्रकारों व अधिवक्ताओं का विना पड़ताल के दफासरपट मे सभी का शस्त्र जमा करवा लेना न्योचित कतई नही कहा जा सकता है।
सिद्धार्थनगर जनपद के शस्त्र लाईसेंसी वरिष्ठ अधिवक्ता श्रवण श्रीवास्तव, अधि० धनंजय श्रीवास्तव, पत्रकार विजय श्रीवास्तव, व लखनऊ के कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने कहा लाइसेंसी असलहे से बहुत कम अपराध होते हैं लाइसेंसी अधिवक्ताओं पत्रकारों वरिष्ठ नागरिकों का शस्त्र जमा कराकर उन्हे असुरक्षित छोड देना न्योचित नही है कई अधिवक्ताओं आदि ने कहा माननीय हाईकोर्ट ने कई बार कहा है कि व्यक्ति अपने व परिवार की सुरक्षा के लिए सैकड़ों जांच पड़ताल व मानक पूरा कर शस्त्र लाइसेंस लेता है। जिसे रिनीवल करवाने मे फिर चाल-चलन आदि जांच पड़ताल करवाता है तो विना अपराध के क्यों अपना असलहा थाने मे जमा करे?
लाइसेंस धारी नगीना पांडे, ध्रुब चतुर्वेदी आदि दर्जनों ने कहा सिद्धार्थनगर जनपद नेपाल सीमा पर स्थित है खुला वार्डर है नेपाल के अपराधी (डकैत) आते हैं भारतीय सीमा के बढनी कोटिया टीसम आदि गांवों मे चोरी डकैती करके सीमा पार चले जाते हैं सैकड़ों घटनाएं हो चुकी हैं ऐसे मे सीमाई क्षेत्रों का शस्त्र जमा करवाना कतई उचित नही है। दर्जनों लाइसेंसियों ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, मुख्य चुनाव आयुक्त, आदि ज़िम्मेदारों को “सुझाव एवं शिकायत”आशय का पत्र भेजकर उक्त समस्या के निराकरण की मांग की है।