
जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
देवी-देवताओं में प्रथम पूजनीय भगवान श्रीगणेश को चतुर्थी तिथि समर्पित होती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। आज भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी है। आज के दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी तिथि के दिन चंद्रदर्शन का विशेष महत्व होता है। दर्शन के साथ ही चंद्रमा को अर्घ्य देने से भी श्रीगणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
संकष्टी चतुर्थी की तिथि
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी 28 मार्च 2024 चतुर्थी तिथि आरंभ – 28 मार्च, 2024 – 06:56 अपराह्न चतुर्थी तिथि समाप्त – 29 मार्च, 2024 – 08:20 अपराह्न चंद्रोदय का समय-08:37 अपराह्न
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन सुबह उठकर निवृत्त होने के पश्चात स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद भक्त व्रत का संकल्प लें इसके बाद गणेश भगवान की प्रतिमा को साफ करके आसन पर स्थापित करें। संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा अधिकतर शाम को की जाती है। अब गणेश भगवान की पूजा करें, उन्हें अक्षत, रोली, फूल और मोदक आदि चढ़ायें। दिनभर भक्त गणेश भगवान के ध्यान में लीन रहते हैं और गणेश भगवान की कथा सुनते-पढ़ते हैं, आरती करें और भजन सुनें।
क्यों जरूरी हैं चंद्रदर्शन
चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। सूर्योदय से शुरू होने वाला संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है। इसलिए भगवान श्रीगणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन जरूरी होते हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने सुख-समृद्धि के साथ जीवन में खुशहाली आती है।
क्यों दिया जाता है चंद्रमा को अर्घ्य
चंद्रमा को औषधियों का स्वामी और मन का कारक माना जाता है। चंद्रदेव की पूजा के दौरान महिलाएं संतान के दीर्घायु और निरोगी होने की कामना करती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने से अखंड सौभाग्य का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ऐसे दें चंद्रमा को अर्घ्य
चांदी या मिट्टी के पात्र में पानी में थोड़ा सा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन में आ रहे समस्त नकारात्मक विचार, दुर्भावना और स्वास्थ्य को लाभ मिलता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है।सबसे पहले एकथाली में मखाने,सफेद फूल, खीर,लड्डू और गंगाजल रखें, फिर ओम चं चंद्रमस्ये नम:, ओम गं गणपतये नम: का मंत्र बोलकर दूध और जल अर्पित करें… सुगंधित अगरबत्ती जलाएं..भोग लगाएं और फिर प्रसाद के साथ व्रत का पारण करें।