EXCLUSIVE: योगी के भय से कुछ दिनों पहले गई थी मुख्तारी, अब चला गया मुख्तार…

  • यूपी के सीएम योगी क्राइम, क्रिमिनल और करप्शन पर क्यों करते हैं करारा प्रहार
  • ‘योगी नाम केवलम’ जपने के बाद भी नहीं मिल सकी थी जीते जी रियायत
भौमेंद्र शुक्ल
भौमेंद्र शुक्ल

सियासत में कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने जुर्म की दुनिया में रहते हुए राजनीति की ओर रुख किया। हालांकि वे सियासत में आकर भी अपनी ‘दबंग’ छवि से बाहर नहीं निकल पाए। यूपी की सियासत में एक बड़ा नाम था- मुख्तार अंसारी। आज बांदा जेल में उसे हार्ट अटैक आया। रमजान के पाक महीने के कारण वो रोजे से था। पहले उसे जिला अस्पताल लाया गया, फिर गम्भीर हालत को देखते हुए उसे रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज रिफर किया गया। वहां नौ डॉक्टरों की टीम लगी, ICU से CCU शिफ्ट किया गया। लेकिन वो बच न सका। उसके मौत की खबर जंगल के आग की तरह पसरी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अपने आवास पर बैठक बुलाई। अफसरों को खास हिदायत दी कि जुमे की नमाज को देखते हुए पूरे सूबे का ख्याल रखा जाए। किसी प्रकार की अनहोनी बर्दाश्त नहीं होगी। पूरे प्रदेश में धारा-144 लगा दी गई। पूर्वांचल की ओर प्रशासन की खास नजर है।

उत्तर प्रदेश से जरायम का एक और अध्याय पूरी हुआ। पूर्वांचल का सबसे कुख्यात माफिया अब नहीं रहा। वो जिसके मूंछ के ताव का खौफ यूपी-बिहार के लोगों के दिलों में बसा करता था। वो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर भी जानलेवा हमले करा चुका है। सपा और कांग्रेस ने उसकी मौत पर दुख व्यक्त किया है। मुख्तार की मेडिकल रिपोर्ट भी सामने आ गई है। रिपार्ट के अनुसार दिल का दौरा पड़ने की वजह से ही मुख्तार की मौत हुई है। वहीं दूसरी यूपी में हाई अलर्ट है और मुख्यमंत्री ने भी एक अहम बैठक बुलाई है। सभी बड़े अधिकारी उस बैठक में मौजूद हैं और कानून व्यवस्था को लेकर मंथन किया जा रहा है। बताते चलें कि खुद मुख्तार और उसके परिजनों ने पहले दावा किया था कि उसे ‘स्लो पॉइजन’ दिया जा रहा है। लेकिन जेल प्रशासन ने पहले ही उन दावों को खारिज कर दिया था। जेल प्रशासन का कहना था कि जो खाना मुख्तार को दिया जा रहा था, वही खाना बांदा जेल के दूसरे कैदी भी खाते थे। यहां तक कि पुलिस के अधिकारी भी वहीं खाना खाते थे, ऐसे में खाने में कुछ भी मिलाकर नहीं दिया जा रहा था।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि पिछले सात साल में प्रदेश में कानून का राज स्थापित हुआ है। पहले उत्तर प्रदेश दंगा और अराजकता के लिए जाना जाता था पर भाजपा सरकार में एक भी दंगा नहीं हुआ है। बिना किसी विवाद के धार्मिक स्थलों से अनावश्यक लाउडस्पीकर हटाए गए हैं। प्रदेश में गुंडों-माफिया के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया जा रहा है।

मुख्तार अंसारी की मुख्तारी कैसे गई। अगर यह समझना है तो करीब दो साल पीछे लौटना पड़ेगा। दिन था शुक्रवार और तारीख़ थी चार नवम्बर 2022. यह दिन मुसलमानों के लिए पाक वक्त माना जाता है, इसे जुम्मा से नवाज़ा गया है। बहरहाल जुम्मा की नमाज अदा करने के बाद माफिया डॉन मुख्तार के साहबजादे अब्बास अंसारी सीधे प्रवर्तन निदेशालय (ED) दफ़्तर पहुंचे। ED ने लगातार उनसे सवाल-जवाब किया। वालिद मुख्तार अंसारी पर मनी लांड्रिंग के केस में उनका भी नाम था। अब्बास फिलवक्त सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का विधायक है। लम्बी-चौड़ी दरियाफ़्त के बाद ईडी ने अब्बास को हिरासत में ले लिया। अब अब्बास के साथ-साथ अब्बा और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी भी लखनऊ जेल के जेलर एसके अवस्थी को धमकाने के मामले में अदालत द्वारा सात साल की सजा पा चुके हैं। यह दंड मुख्तार को साल 2023 में 21 सितंबर के दिन कचहरी ने मुकर्ऱर किया था। वह कचहरी थी इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ। साथ ही मुख्तार पर 37 हज़ार का जुर्माना भी लगाया गया।

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मुख्तार की मुश्किलें तब और बढ़ गईं, जब इसी सितंबर 2022 में ही उसे एक अन्य मामले में 10 साल की सज़ा MP-MLA कोर्ट ने सुना दी। अभी मुख्तार के विरुद्ध मुक़दमों के फेहरिस्त काफ़ी लम्बी है। आहिस्ते-आहिस्ते उसके सारे मुक़दमे खुल रहे हैं। देखना यह है कि अन्य मुकदमों में अदालत क्या निर्णय सुनाती है। यही नहीं मुख्तार के सांसद भाई अफजाल अंसारी भी कई अपराधिक मामलों में लदे-फंदे हैं और उनकी भी अवैध संपत्ति को योगी सरकार ने कुर्क कर रखी है। आखिर यह माफिया डॉन मुख्तार है कौन?

हालाँकि आज उत्तर प्रदेश के प्रत्येक नागरिक के घर योगी आदित्यनाथ का डंका बज रहा है। वहीं दूसरी तरफ़ माफिया, अपराधी उनका नाम सुनते ही कांप उठते हैं। मुख्तार और अतीक जैसे डॉन जब ‘योगी नाम केवलम’ जपने लगे थे तो छूटभैये अपराधियों की क्या बिसात? हालत यह है कि दिन में भी अपराधियों के सपने में योगी आते हैं, तभी तो कई अपराधियों को एनकाउंटर में मौत की नींद सुला दिया जा रहा है। सैकड़ों से ज़्यादा गैंगस्टरों ने अपनी देह पर पट्टी लटकाकर विभिन्न पुलिस स्टेशनों में जाकर आत्मसमर्पण किया है। हर पट्टी पर लिखा हुआ था ‘योगी बाबा, मेरी जान बख्श दो अब क्राइम से तौबा करता हूँ… जीवन में मज़दूरी कर लूंगा मगर अपराध नहीं।’

आखिर योगी का ‘मोडस ऑपरेंडी’ है क्या? जो अपराधियों में इतनी ख़ौफ़ है। एक लाइन में इसका जवाब है- शूट ऐट साईट। पुलिस प्रशासन को योगी ने सख्त आदेश दे रखा है क्रिमिनल को देखो और सीधे ठोंक दो, टपका दो, खल्लास कर दो, सुपुर्द-ए-खाक कर डालो। सूबे की बेहतरी के लिए योगी ने पुलिस-प्रशासन को फ्री हैंड दे रखा है। कोई सियासी दख़लंदाज़ी नहीं है। तभी तो यूपी में अवाम की सवारी पटरी पर सरपट दौड़ रही है। इसकी ताज़ा मिसाल है मुख्तार को सजा दिलवाना, उसके साहबज़ादे को गिरफ़्तार करवाना तथा अतीक के खिलाफ प्रयागराज की अदालत में चार्ज फ्रेम करवाना।

भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद बलबीर पुंज कहते हैं कि लॉ एंड आर्डर के मुद्दे पर पूरे देश में नजीर बन चुके यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फेल करनी की साजिश रची जा रही है। दबे पांव साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाडऩे वाले मामले सूबे में बनाए जा रहे हैं। वह हाल की कुछ घटनाओं का जिक्र भी करते हैं। बकौल पुंज, इसी माह दो नवंबर को शाहजहांपुर के मस्जिद में घुसकर कुरान जलाने के प्रकरण से क्षेत्र में तनाव बढ़ गया था। अपमान की सूचना मिलते ही सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम जुटे और उन्होंने विरोध प्रदर्शन करते हुए आगजनी शुरू कर दी। माहौल बिगड़ता देख पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठी चार्ज किया। लेकिन घटनास्थल के पास के एक CCTV को खंगाला गया, तो खुलासा हुआ कि इस ‘ईशनिंदा’ का अपराधी ताज मोहम्मद है, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया। इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को मेरठ में मोहम्मद शोएब नामक शख्स ने मंदिर में शिवलिंग को अपवित्र करने की कोशिश की। वीडियो वायरल हुआ तो उसकी गिरफ्तारी भी हो गई। बाद में उसे मंदबुद्धि बताया गया। उसके ठीक आठ दिन पहले 10 अक्टूबर को सुल्तानपुर (कुशभवनपुर) जिले में एक मस्जिद के पास दुर्गा प्रतिमा विसर्जन शोभायात्रा पर उपद्रवियों की ओर से पथराव किया गया। इस घटना में 32 लोग गिरफ्तार हुए। उसके पांच दिन पहले यानी सात सितम्बर को माथे पर तिलक लगाकर जय श्रीराम का नारा लगाते हुए शिवा नामक एक व्यक्ति लखनऊ स्थित हनुमान मंदिर में प्रतिमा को खंडित कर देता है। तफ्तीश करने पर पता चला कि उसका नाम तौफीक अहमद था। बात यही खत्म नहीं होती, इस तरह की घटनाओं की लम्बीद्घ फेहरिस्त बनती जा रही है। बीते दिनों बिजनौर में भगवा परिधान पहने दो मुस्लिम भाइयों द्वारा मजारों में तोड़-फोड़ करते हुए चादर को आग लगाने का मामला भी सामने आया था।

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सवाल उठता है कि आखिर यूपी में ऐसी घटनाओं के निहितार्थ क्या है? सरकार की सख्त नीतियों का परिणाम है कि सूबे में वर्ष 2021 में न केवल सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं घटी हैं, बल्कि बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराध भी घट गए हैं। कई अपराधियों के विरुद्ध गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए उनकी हजारों करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति कुर्क की जा चुकी है। कई माफिया की अवैध संपत्तियों पर बाबा का बुलडोजर चल चुका है। ताज्जुब तब और होता है जब बिना किसी बल प्रयोग और विरोध प्रदर्शन के विभिन्न धार्मिक स्थलों (मंदिर हो या मस्जिद) में लगे सवा लाख लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई की गई।

वहीं माफिया के प्रति सख्त रवैया अपनाने का परिणाम है कि अब यूपी 10 खरब डॉलर की अर्थव्यस्था बनने की ओर अग्रसर है। इसके लिए योगी सरकार अगले पांच बरसों में 40 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। गौरतलब है कि यूपी के वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ फिलवक्त पूरे फॉर्म में हैं। यूपी के कोने-कोने में आतंक की बदौलत जिन गैंगस्टरों ने अकूत सम्पत्ति बनाई थी, उन पर इस गेरुआ वस्त्रधारी बाबा ने ऐसा बुल्डोजर चलवाया कि वह ‘योगी नाम केवलम’ जपने लगे हैं। इसी का नतीजा था कि बीते अक्टूबर महीने में माफिया डॉन अतीक अहमद के खिलाफ प्रयागराज की अदालत में राजूपाल मर्डर केस को लेकर जब चार्ज फ्रेम हुआ तो टीवी रिपोर्टर एवं अखबारनवीसों से बात करते हुए अतीक ने योगी की तारीफ में खूब कसीदे गढ़े थे। अतीक ने मीडिया को बताया कि हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद ईमानदार और बहादुर हैं। इसके ठीक एक दिन बाद अतीक की बेगम शाइस्ता परवीन ने भी वजीर-ए-आला की जमकर प्रशंसा की।

उधर बांदा लाल हवेली में बंद माफिया सरदार मुख्तार अंसारी ने कचहरी में अपनी पेशी के दौरान योगी को जाबांज और सच्चा जनसेवक के तमगे से नवाजा था। सनद रहे अतीक कभी फूलपुर के लोकसभा का सदस्य हुआ करता था। वहीं मुख्तार खुद मोहम्मदाबाद से विधायक रह चुका है। यह शर्म की बात है कि अतीक ने उस फूलपुर की नुमाइंदगी लोकसभा में की थी, जो कभी पं. जवाहर लाल नेहरू की कांस्टीचुएंसी हुआ करती थी। वैसे अतीक की 959 करोड़, मुख्तार की 430 करोड़, यशपाल तोमर की 400 करोड़, ध्रुव सिंह के 20 करोड़ की सम्पत्ति सरकार ने जब्त कर ली है। अनेक माफिया की सम्पत्ति कुर्क की गई है। उनकी कई आलीशान इमारतों को जमींदोज़ कराया गया है, जो अवैध तरीके से बने थे। अतीक के खिलाफ 95 आपराधिक मामले लदे हुए थे। योगी ने 936 माफिया के विरुद्ध अभी तक एक्शन लिया है। साथ ही 436 खूंखार अपराधियों को जेल की हवा खिलवाई है। अभी तक यूपी के 3487 माफिया को चिन्हित किया जा चुका है। बहरहाल योगी आदित्यनाथ से माफिया, गुंडे, अपराधी थर-थर कांप रहे हैं। यूपी के गांव देहात में यहां तक कहा जा रहा है कि रास्ते पर आ जाओ नहीं तो योगी ठोंक देंगे। पिछले 22 अगस्त को मध्य क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक भोपाल में हुई। बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह ने सीएम योगी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि योगी ने यूपी में कानून व्यवस्था को लम्बे अरसे के बाद लागू करने का कार्य किया है। पूरी मशीनरी को अच्छे से संभाला है।

वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि यूपी ने अपनी पहचान को पुर्नस्थापित करने के लिए जो कदम बढ़ाए हैं, उनमें प्रमुख रूप से प्रदेश के अंदर सुरक्षा का माहौल बनाकर विकास की पटरी को पुर्नस्थापित करने के कार्यक्रम हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के देश को पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के संकल्प के लिए यूपी ने एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने की कार्रवाई शुरु कर दी है और हमारा विश्वास है कि हम इसमें सफल होंगे। दुरुस्त कानून-व्यवस्था के चलते देश-दुनिया के बड़े-बड़े संस्थान यूपी की ओर रुख कर रहे हैं।

मछली से बेइंतहा मोहब्बत

माफिया बादशाह मुख्तार अंसारी की बेपनाह मोहब्बत मछली से रही है। कोई ऐसा दिन नहीं है, जब लंच डिनर में इस खूंखार हस्ती ने मछली का स्वाद न चखा हो। मछली तो उनके यहां इसी तरह खैरात में व्यवसायी पहुंचाते रहे हैं। साथ ही लोगों को हैरत होगा कि गाजीपुर, मऊ, मोहम्मदाबाद के इलाके में रोज मछली का भाव सुबह-शाम यही तय करते थे। जो दाम मुकर्रर किया, उससे न एक पाई कम और न एक पाई ज्यादा में कोई बेच सकता था। घर बैठे-बैठे उन्हें इस एवज में मोटी रकम बिना रोज मिलती थी और मछली भी। हथियारों के बाद खाने-पीने का शौक रखने वाला मुख्तार जब गाजीपुर जेल में बंद था, तब उसने जेल के अंदर ही एक तालाब खुदवा दिया। उसमें अपनी पसंद की मछलियां पाली थीं। कहा जाता है कि उसकी ‘फिश पार्टी’ में कई बड़े नेता और अफसर भी आते थे। पूर्व डीजीपी और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद बृजलाल बताते हैं कि गाजीपुर जेल मुख्तार अंसारी का घर हुआ करती थी। हर शाम जेल के अंदर दरबार लगता था। बड़े-बड़े अधिकारी उसके साथ बैडमिंटन खेलने आते थे। बताते चलें कि साल 2017 से पहले मुख्तार जिस भी जेल में रहा, उसे हमेशा फाइव स्टार सुविधाएं मिलती रहीं। बांदा से पहले वो साल 2019 से 2021 के बीच पंजाब के रोपड़ जेल में बंद था।

मुख्तार और शहाबु थे अज़ीज़ दोस्त

सीवान के दिवंगत बाहुबली राजद सांसद मो. शहाबुद्दीन और मोहम्मदाबाद ग़ाज़ीपुर के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी में दांत-काटी दोस्ती थी। साहेब (शहाबुद्दीन को सीवान में लोग साहेब ही कहते थे।) जहां लालू की आँखों की पुतली थे, वहीं मुख्तार अंसारी कभी मुलायम सिंह यादव, कभी मायावती और कभी सपा के लोगों के बेहद करीबी हुआ करते थे। लेकिन साल 2003 में बिहार में डीपी ओझा ने जब लालू के फऱमान पर शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसना शुरू किया था, तब मुख्तार ने छूटते ही टिप्पणी की थी कि शहाबु वह आतिश है, जिस पर हाथ रखते ही पूरी देह स्वत: ही जल जाएगी। यही नहीं साहेब के शूटर बिहार में क्राइम करने के बाद मुख्तार के घोंसले में पनाह लेते थे, जबकि मुख्तार अंसारी के गुर्गे साहेब के सीवान स्थित बाड़े में अपराध करने के बाद घुस जाते थे। कभी लालू यादव के साले साधू यादव के शागिर्द रहे अशोक यादव के 25 जुलाई 2005 की दोपहरी पटना से दिनदहाड़े बम से उड़ाया गया था तो उसमें जिस शूटर का नाम उछला था, वो कालांतर में मुख्तार की कांस्टीचुएंसी में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। बहरहाल, सफलता का शिखर छूने के लिए आदमी को कई बार अपराध का रास्ता चुनना पड़ता है। यह बात शहाबु और मुख्तार दोनों ही भलीभाँति जानते थे। लेकिन उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि इस राह पर सिर्फ़ काँटे ही काँटे बिछे रहते हैं। कंटक पथ पर पाँव लहुलूहान होंगे, यह मुख्तार को उस दिन समझ आया, जिस दिन उसे पंजाब के रोपड़ जेल से सडक़ मार्ग द्वारा उत्तर प्रदेश लाया जा रहा था। मुलायम और मायावती की हुकूमत के दौरान शेर की तरह दहाडऩे वाला मुख्तार उस दिन भीगी बिल्ली बनकर गाड़ी में बैठा हुआ था। उसके परिजनों ने अदालत में गुहार लगाई थी कि कहीं विकास दुबे की तरह मुख्तार का भी ख़ात्मा न कर दिया जाए। लिहाज़ा, अदालत को फऱमान जारी करना पड़ा था कि इस विधायक को सुरक्षित यूपी की जेल के सीखचों में रखा जाए। यह बात नसीहत देती है कि 3सी (कैश, कास्ट और क्रिमिनल) की जिंदगी ज़्यादा लम्बी नहीं होती। या तो वो पुलिस एनकाउंटर में मारे जाते हैं या अदालत उन्हें उम्रक़ैद मुकर्ऱर करती है या गैंगवार में वे सुपुर्द-ए-खाक हो जाते हैं। आज शहाबुद्दीन तो दुनिया में हैं नहीं, लेकिन मुख्तार आज भी लाल हवेली के भीतर बिल्ली की तरह म्याऊं-म्याऊं करते रहते हैं।

AK-47 के बूते बना लिया था दबदबा

बांदा जेल में भीगी बिल्ली की तरह दिन काट रहे मुख्तार की कहानी बहुत पुरानी है। एक वक्त था जब यूपी और बिहार में उसकी ‘सरकार’ थी। लोग मुख्तार के नाम से थर-थर कांपते थे। इसके आपराधिक मंसूबे का शिकार बनने के बावजूद कोई इसके खिलाफ गवाही देने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। जिसके कारण हर तरफ उसका बोलबाला होता था। एके-47 से लेकर सभी अत्याधुनिक हथियार उसकी गैंग में हुआ करते थे। गौरतलब है कि तब सरकारें माफिया की मदद से बना करती थीं। अपराध और राजनीति के गंदे गठजोड़ से इनके काले कारनामों को सफेद किया जाता था। लेकिन सात साल की योगी सरकार ने माफिया और गुंडों की हालत बद से बदतर कर दी है। कई जेल की सलाखों के पीछे अपना दम तोड़ चुके हैं। उन्हीं में एक है मुख्तार जो बांदा जेल में अपने गुनाहों की सजा काट रहा था। तभी तो उसने भरी अदालत जज से ऐसी मनुहार करता दिखा, जैसे राजधानी की सड़कों पर भिखमंगे अपना खाली पेट भरने के लिए भीख मांगते रहते हैं। वो गिड़गिड़ाया- ”मी लॉर्ड! मैं हद से ज्यादा बीमार हूं। मेरा ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा है। मेरे उचित इलाज का आदेश कर दीजिए।‘’

तब अदालत में खड़े लोगों के जेहन में जरूर कौंधा होगा कि क्या ये वही मुख्तार है, जो खुली जीप में हथियार लहराते और अपनी मूंछों पर ताव देते हुए निकलता था। जिसके रौब से लोग खौफ खाते थे। वो जिसे, जब चाहता था, घर से उठवा लेता था। उसे किसी भी तरह अपनी बातें मानने के लिए मजबूर कर देता था। फिर तो मुख्तार ने वो सब किया, जो एक दुर्दांत माफिया करता है। साल 2017 के आगाज यानी योगी के ‘सरकार’ बनने के बाद अब इस माफिया की मुख्तारी खत्म हो गई थी। लोगों के बीच उसका डर खत्म हो चुका था। तभी तो कुछ दिनों पहले बाराबंकी के MP-MLA कोर्ट में फर्जी एंबुलेंस कांड की सुनवाई के दौरान जब दारोगा सुरेंद्र सिंह गवाही देने तो उन्हें देखकर मुख्तार अंसारी पसीने से तर-बतर हो गया था और वह बार-बार पानी पीता रहा।

मुख्तार की बीवी है फरार, 75 हजार का ईनाम है करार

पूर्वांचल के खूंखान माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की बीवी अफसा अंसारी भी दो साल से फरार चल रही है। यूपी सरकार ने 75 हजार रुपये का ईनाम भी घोषित किया है। लेकिन अभी वो पुलिस गिरफ्त से बाहर है। जबकि उसका बेटा अब्बास अंसारी मऊ सदर सीट से विधायक है। मऊ विधानसभा चुनाव के दौरान एक चुनावी सभा में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जेल में बंद अब्बास ने अपने भाषण में अधिकारियों से हिसाब-किताब कर लेने की धमकी दी थी। इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना गया था। लम्बे समय तक फरार रहने के बाद उसने सरेंडर कर दिया था,  अभी वो कासगंज जेल में हैं।

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साल 1986 में गैंगस्टर एक्ट बना था। सरकार ने वर्ष 2016 में इसे संशोधित किया। इस एक्ट के अनुसार उस समय तक गवाहों के पक्षद्रोही होने या भय से गवाहों के अपनी गवाही से मुकर जाने के कारण अभियुक्त बरी हो जाते थे। गैंगस्टर का प्रावधान इसलिए लाया गया कि यदि अभियोजन पक्ष यह सिद्ध कर सके कि गवाह अभियुक्त और उसके गैंग के भय से पक्षद्रोही हुआ है या अपनी गवाही से मुकर गया है तो भी अपराधी को सजा दी जा सके। मुख्तार कई गैंग बनाकर कई जिलों में हत्या, लूट व हत्या के प्रयास जैसी वारदातें कर चुका है और इस कारण इसी एक्ट के तहत उसे सजा सुनाई गई है।

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