36 साल से पूर्वांचल में था मुख्तार का साम्राज्य

ए अहमद सौदागर

लखनऊ। बांदा जिला जेल बंद माफिया मुख्तार अंसारी के आपराधिक इतिहास पर गौर करें तो करीब तीन दशक पहले  से पूर्वांचल में वर्चस्व था। पूर्वांचल के माफिया व मऊ के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है। वहीं मुख्तार अंसारी के परिवार को इस पूरी घटना की सूचना दे दी गई है। माफिया के भाई और मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी सूचना मिलते ही बांदा पहुंच गए और भाई मुख्तार अंसारी का हाल जाना। बताते चलें कि  माफिया मुख्तार अंसारी ने अंतिम बार 2017 में मऊ सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था।

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इस चुनाव के दौरान नामांकन में दाखिल किए गए शपथपत्रों के अनुसार देश की अलग-अलग अदालतों में मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, दंगे भड़काने, आपराधिक साजिश रचने, आपराधिक धमकियां देने, संपत्ति हड़पने और धोखाधड़ी करने के साथ ही सरकारी काम में बाधा डालने समेत कुल 16 मुकदमें दर्ज हैं।

36 साल पुरानी अपराध की दुनिया

हालांकि बीते दिनों ही उन्हें करीब 36 साल पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। विशेष न्यायाधीश (MP-MLA कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई थी। इसी अदालत ने ही पॉच जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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मुख्तार को अब तक सात मामलों में सजा मिल चुकी है, जबकि आठवें मामले में दोषी करार दिया गया है। जिस मामले में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उसमें उनपर आरोप था कि दस जून 1987 को दोनाली कारतूसी बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया गया था। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया था। इस मामले पर स्थानीय लोग बताते हैं कि यही उनके खिलाफ दर्ज किया गया पहला मामला था।

अपराधिक इतिहास

इस फर्जीवाड़ा का उजागर होने पर CB-CID द्वारा चार दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाना में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद एवं अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। हालांकि दूसरी ओर उनके वकील वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि घटना के समय उसकी उम्र सिर्फ 20 से 22 वर्ष थी उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। बताया जा रहा है कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ 2010 में कपिल देव सिंह की हत्या और 2009 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में मीर हसन नामक व्यक्ति की हत्या के प्रयास मामले में आरोप साबित हो चुके हैं। इसके अलावा भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या मामले में 10 साल की सजा काट रहे हैं। पिछले डेढ़ साल में इन सभी मामलों में उन्हें सजा सुनाई गई है।

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वहीं यह भी बताया जा रहा है कि उनका अपराध के साथ ही राजनीति के दुनिया में दबदबा रहा है। उन्होंने पहली बार 1996 में BSP के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद वह 2002, 2007, 2012 और 2017 में विधायक बने थे। वह मऊ से विधायक रहे। 2002 और 2007 में वह निर्दलीय विधायक चुने गए थे। अभी इसी सीट पर उनके बेटे अब्बास अंसारी सुभासपा के टिकट पर चुनाव जीते हैं। बताते चलें कि माफिया मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह के बीच वर्चस्व की लड़ाई का किस्सा किसी से छिपा नहीं है। वहीं मुख्तार अंसारी का पूरी परिवार अभी राजनीति में सक्रिया है। भाई अफजाल अंसारी मोहम्मदाबाद से लगातार पांच बार विधायक रहे चुके हैं। अभी गाजीपुर से सांसद और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं। मोहम्मदाबाद सीट से ही अभी मुख्तार के परिवार के मुन्नू अंसारी विधायक हैं।

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