रंग पंचमी आज है, जानिए शुभ तिथि और शुभ मुहूर्त व रंगपंचमी…

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता

होलिका दहन के दूसरे दिन धुलैंडी यानी होली का पर्व मनाया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है। इसके बाद फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। होलिका दहन 24 मार्च को होगा और होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। इसके बाद 30 मार्च को रंगपंचमी रहेगी।

रंग पंचमी की तिथि

पंचमी तिथि प्रारम्भ- 29 मार्च 2024 को रात्रि 08:20 बजे।

पंचमी तिथि समाप्त- 30 मार्च 2024 को रात्रि 09:13 बजे।

रंगपंचमी के दिन का शुभ मुहूर्त

अमृत काल : सुबह 11:02 से दोपहर 12:43 तक।

अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:06 से 12:56 तक।

विजय मुहूर्त : दोपहर 02:35 से 03:24 तक।

गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:40 से 07:04 तक।

रवि योग : रात्रि 10:03 से 31 मार्च सुब 06:20 तक।

निशिथ काल : मध्यरात्रि 12:07 से 12:54 तक (मार्च 31)

भारत में कई स्थानों पर रंग पंचमी पर रंगों वाली होली खेली जाती है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के अनेक स्थानों पर होली के दिन गमी का रंग डालते हैं और रंग पंचमी पर रंगों की होली खेलते है। मथुरा तथा वृन्दावन के कुछ मंदिरों में भी रंग पञ्चमी पर ही होलिका उत्सव का समापन होता है।

क्यों मनाते हैं रंगपंचमी

चैत्रमास की कृष्णपक्ष की पंचमी को खेली जाने वाली रंगपंचमी देवी देवताओं को समर्पित होती है। यानी देवता इस दिन रंग खेलते हैं इसलिए रंग पंचमी मनाते हैं। जब होलाष्टक के दौरान कामदेव को शिवजी ने भस्म कर दिया था तब देवताओं में उदासी छा गई थी। फिर शिवजी ने कामदेव को जीवित करने का आश्वासन दिया तो सभी ओर खुशियां छा गई और इसी के उपलक्ष्म में पंचमी के दिन देवताओं ने रंगोत्सव मनाया।

कहते हैं कि इस दिन श्रीकृष्ण ने राधा पर रंग डाला था। इसी की याद में रंग पंचमी मनाई जाती है। यह भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रासलीला रचाई थी और दूसरे दिन रंग खेलने का उत्सव मनाया था। कहते हैं कि जिस दिन राक्षसी पूतना का वध हुआ था उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा थी। अत: बुराई का अंत हुआ और इस खुशी में समूचे नंदगांववासियों ने पांच दिनों तक खूब जमकर रंग खेला, नृत्य किया और जमकर उत्सव मनाया।

जब हिरण्याक्ष का वध हुआ और प्रहलाद को राज्य मिला इसके बाद जनता में हर्ष व्याप्त हो गया। इसी की खुशी में पांच दिनों तक उत्सव मनाया गया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

पंचमी की तिथि नागदेव की तिथि है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आ जाते हैं और वह मनुष्य के साथ गुलाल खेलते हैं।

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