
- शैव- शाक्त और वैष्णव परंपराओ से होती है उपासना
- मुस्लिम समुदाय का रमजान और रोजे का महीना
- मारवाड़ी समुदाय के गणगौर की पऱपरा
- चैत्र नवरात्रि व हिन्दू नया वर्ष नौ अप्रैल से प्रारंभ
- जानें मां दुर्गा जी की सवारी, घटस्थापना के शुभ मुहूर्त व विधि

बासंतीय नवरात्र पर्व 9अप्रैल से शुरू होरहा है। नववर्ष संवत्सर 2081का पहला दिन नवरात्र का पहला दिन है। प्रारंभ के नौ दिनों में हम भारतीय शक्ति उपासना के साथ रामोपासना कर वैष्णवी और शाक्त दोनो शक्तियां अर्जित करने के लिए नौ दिन का अनुष्ठान और व्रत करते हैं। यह कृषि कार्य का जागरण काल भी हैं। गेह्ं,चना मटर, गन्ना, आम आदि फसलें तैयार होने की प्रक्रिया मे होती हैं। इधर हम भी तप कर दैवी शक्तियों का अपने भीतर अभ्युदय कराते हैं। इसके पूर्व फाल्गुन मे हमने शैव शक्ति अर्जित की थी।
पतझड़ के बाद हरियाली आई तो तभी वृक्ष पुष्पित पल्लवित हो गये। हम यह सृजन का उत्सव मनाते हैं। हृदय मे सत्त, रज और तम इन तीनों गुणो का संतुलन बनाये रखने से हम अपनी ऊर्जा को रचनात्मक दिशा मे मोड़ सकते हैं। इसलिए संयम नियम की जरुरत है। व्रतोपवास शरीर मे उठ रहे विकार शांत करते हैं और जो देवी शक्तियों के रूप मे हमारे भीतर जागरण को उत्सुक है,उसे हम रचनात्मक दिशा देते हैं। यह हमारे भीतर सात चक्रों की साधना है। हर प्राणी की कुंडलिनी बसंत ऋतु मे काम वेग के साथ पूर्ण हलचल मे आजाती है। उसे संयमित कर कुडलिनी शक्ति को जागृत कर क्रमश: मूलाधारा, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहद, विशुद्ध, आज्ञा और सहस्रार चक्र तक ले जाने में नौ दिन न्यूनतम लग जाते हैं। जो क्रिया बाहर की जाती है उसका असर भीतर कई गुना होता है। बाहरी संयम का असर भीतर और भीतरी संयम का बाहर होता है। नवें दिन शक्ति का समन्वित रूप सिद्धि दात्री दुर्गा के रूप मे और मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रूप मे प्रकट होता है।
मजे की बात यह है शैव परंपरा का अनुपालन करते हुए रोजे और नमाज रखते हुए रमजान का माह भी इसी काल मे होता है। ताकि अन्य मतावलंबी भी अपनी सुषुप्त शक्ति जगा सकें। आधे फाल्गुन से चैत्र शुक्ल द्वितीया तक उनका अनुष्ठान चलता है। चैत्र कृष्ण पक्ष मे मारवाड़ी समुदाय के लोग गणगौर मनाते हैं। कन्यायें यह अनुष्ठान कर गौरी गणेश की उपासना करती हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष के प्रारंभ के नौ दिनों मे क्रमश: दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा ,कूष्मांडा, स्कंदमाता,कात्यायनी,कालरात्रि महा गौरी और सिद्धिदात्री स्वरूप का आवाहन और पूजन किया जाता है। जिसका संक्षिप्त मंत्र नवार्ण मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे कहलाता है।
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चैत्र नवरात्रि व हिन्दू नया वर्ष नौ अप्रैल से प्रारंभ, जानें मां दुर्गा जी की सवारी, घटस्थापना के शुभ मुहूर्त व विधि
नवरात्रि हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, नवरात्रि को पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मां दुर्गा जी की उपासना के नौ दिन भक्तों के लिए बेहद खास होते हैं। इन दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। कई भक्त नवरात्रि के नौ दिन व्रत रखते हैं तो कई पहला और आखिरी रखकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा जी की विधि-विधान से पूजा करने से कई गुणा आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि नौ अप्रैल से शुरू होकर 17 अप्रैल तक रहेंगे।
इस बार अश्व होगी मां की सवारी: इस वर्ष चैत्र नवरात्रि मंगलवार के दिन से शुरु हो रहे हैं, इसलिए मां की सवारी अश्व यानी घोड़ा मानी जाएगी। शास्त्रों में मां दुर्गा का अश्व पर आना गंभीर माना जाता है। भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि पर मां दुर्गा जब घोड़े की सवारी करते हुए आती हैं तो इसका असर प्रकृति, देश आदि पर देखने को मिलता है।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त: दिन- मंगलवार प्रतिपदा तिथि, नौ अप्रैल 2024 शुभ मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 10 मिनट से सुबह 10 बजकर 50 मिनट तक।
घटस्थापना का दूसरा शुभ मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 30 मिनट से सायं 3 बजकर 45 मिनट तक।
नवरात्रि घटस्थापना पूजा विधि: मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं। अब उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधें। आम या अशोक के पत्तों को कलश के ऊपर रखें। नारियल में कलावा लपेटे। उसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पत्तों के मध्य रखें। घटस्थापना पूरी होने के पश्चात् मां दुर्गा जी का आवाहन करते हैं।