जौनपुरः BJP के लिए सबसे कठिन डगर, यहां से पं. दीनदयाल उपाध्याय भी चुनाव गए थे हार

  • आजादी के बाद पहली बार जौनपुर से चुनाव से गायब रहेगा कांग्रेस का ‘हाथ’, छह बार जीत चुकी है कांग्रेस
  • चार बार जौनपुर से जीत पाने वाली BJP का प्रत्याशी अकेले मैदान में, मछलीशहर अभी घोषित नहीं
  • विपक्ष ने नहीं खोला है पत्ता, SP के साथ-साथ BSP ने भी नहीं उतारा है अपना प्रत्याशी, चर्चाएं तेज
पेशे से बैंककर्मी चंचल सिंह राजनीतिक मुद्दों पर गहरी पकड़ रखते हैं।

जौनपुर से चंचल सिंह की रिपोर्ट…

जिले की जनता 18 वीं लोकसभा के चुनाव में अपने दोनों लोकसभा सीटों पर क्या गुल खिलाती है, यह तो चार जून को पता चलेगा। पिक्चर तब और साफ होगी, जब विपक्षी दलों के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा हो जाएगी। मगर आजादी के बाद पहली बार यहां से कांग्रेस का ‘हाथ’ नहीं दिखेगा, क्योंकि यह सीट गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी (SP) के खाते में चली गई है। इसके पहले साल 2019 के आम चुनाव में यहां मजेदार चुनावी मुकाबला देखने को मिला था। तब बहुजन समाज पार्टी (BSP) के प्रत्याशी और पूर्व PCS अफसर श्याम सिंह यादव ने 80 हजार 936 मतों के अंतर से जीत दर्ज़ किया था। उन्हें पांच लाख 21 हजार 128 वोट मिले। श्याम ने BJP के उम्मीदवार कृष्ण प्रताप सिंह को हराया, जिन्हें चार लाख 40 हजार 192 वोट मिले। इस बार साल BJP से महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह मैदान में हैं। भाजपा ने कृपा शंकर सिंह को का नाम अधिसूचना के पहले घोषित कर दिया था, जबकि विपक्ष ने अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है।

लोकतंत्र के महापर्व का बिगुल बज चुका है। जौनपुर का सरकारी तंत्र पूरी तेजी से चुनावी तैयारियों में जुटा हुआ है। बताते चलें कि जौनपुर में दो लोकसभा क्षेत्र है। एक 73-जौनपुर तो दूसरा 74-मछलीशहर (सु) के नाम से जाना जाता है। छठवें चरण यानी 25 मई को जौनपुर और मछलीशहर में वोट डाले जाएंगे। राजनीतिक दल के प्रतिनिधि मतदाताओं को रिझाने गांव के गलियों की खाक छानना शुरू कर चुके है। मछलीशहर (सु) से भी अभी तक किसी भी दल ने अपने प्रत्याशी को चुनावी जंग में नहीं उतारा है, लेकिन राजनीतिक पार्टियां अपने अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गई है। इस निर्वाचन क्षेत्र में विगत 2019 के लोकसभा चुनाव में 55.64% मतदान हुआ था। इस बार मतदाताओं में खासा उत्साह है और वे लोकतंत्र में वोटों की ताकत दिखाने को तैयार हैं।

साल 2019 में बसपा की ‘हाथी’ पर सवार होकर लोकसभा पहुंचने वाले सांसद श्याम सिंह यादव नितिन गडकरी से लेकर सीएम योगी तक चक्कर काट चुके हैं। लेकिन BJP ने राजपूत जाति के बड़े नेता कृपा शंकर सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है।

अब 18वीं लोकसभा के लिए बिगुल बज गया है। जिले का मतदाता किसे अपना प्रतिनिधि चुनेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने यहां से महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री एवं जौनपुर निवासी कृपाशंकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। वहीं अभी तक विपक्ष की ओर से कोई प्रत्याशी नहीं आया है, इसलिए चुनाव रूझान पर चर्चा संभव नहीं है। जिले के सियासी पिच पर BJP के बैनर तले अकेले कृपाशंकर सिंह चुनाव प्रचार कर रहे हैं। जिले की सियासत में धनंजय सिंह बाहुबली नेता और पूर्व सांसद चुनाव एलान के लगभग दो माह पहले से खुद को चुनावी जंग में उतरने का एलान किया था, उस समय लग रहा था कि चुनावी जंग संघर्ष पूर्ण रहेगी। लेकिन न्यायपालिका ने एक फैसले के तहत उनको सलाखों के पीछे भेज दिया। उन्हें सात साल की सजा हुई है, उनके जेल जाने के बाद चर्चा जोर पकड़ रही है कि सवर्णों की पूरी जमात इस बार कृपाशंकर के साथ कदमताल करेगी।

अपनी हनक के बूते जिले पर राज करने वाले धनंजय गरीबों की मदद में सबसे आगे खड़े रहते रहे। अब उनका कोई खास चुनाव लड़ा तो BJP को इस चुनाव में फिर से मशक्कत का सामना करना पड़ सकता है। बताते चलें कि ये हाथी की सवारी से लोकसभा तक की यात्रा पहले कर चुके हैं।

बुलंदशहर लोकसभाः फिर खिलेगा कमल या होगा बड़ा बदलाव

रिकार्ड की ओर निगाह डालें तो जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में अब तक 17 बार हुए आम चुनाव एवं एक बार के उपचुनाव में कांग्रेस छह बार, BJP चार बार, जनसंघ एक बार,  SP दो बार,  भालोद, जनता पार्टी, जनता दल व BSP एक-एक बार और BSP-SP गठबंधन ने एक बार चुनाव जीता है। जबकि साल 1963 में जौनपुर लोकसभा में हुए उपचुनाव में भारतीय जनसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय कांग्रेस के ठाकुर राजदेव सिंह से चुनाव हार गए थे। जौनपुर लोकसभा के लिए अब तक 17 बार हुए चुनाव में प्रतिनिधित्व करने वालों में 1952 और 1957 में दो सदस्यों वाली लोकसभा में बीरबल सिंह और गणपत राम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1962 में इस सीट पर जनसंघ का कब्जा रहा और ठाकुर ब्रम्हजीत सिंह सांसद थे।

ठाकुर ब्रह्मजीत सिंह का 1963 में निधन हो गया तो उस समय हुए उपचुनाव में कांग्रेस के राजदेव सिंह और जनसंघ के दिग्गज नेता एवं तत्कालीन जनसंघ के अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें कांग्रेस के राजदेव सिंह को विजय हासिल हुई। पंडित दीनदयाल उपाध्याय को हार का सामना करना पड़ा था। साल 1967 और 1971 में फिर कांग्रेस से राजदेव सिंह सांसद चुने गए। वर्ष 1977 में जनता पार्टी से राजा जौनपुर यानी यादवेंद्र दत्त दुबे सांसद बने थे। वर्ष 1980 में फिर जनता पार्टी से अजीजुल्ला आजमी सांसद हुए, साल 1984 में फिर कांग्रेस ने कब्जा जमाया और विकास पुरूष के नाम से जाने जाने वाले कमला प्रसाद सिंह सांसद बने थे, इसके बाद आज तक कांग्रेस को जौनपुर लोकसभा सीट पर सफलता नहीं मिली हैं।

जिले के धाकड़ नेता धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद राजपूत मतों से लोकसभा पहुंच सकते हैं कृपा शंकर सिंह। लेकिन बाहुबली के सामने तनकर खड़ा होना क्षत्रियों की पहली शर्त होगी।

यहां से साल 1989 में राजा जौनपुर यादवेंद्र दत्त दुबे ने पहली बार भाजपा का कमल खिलाया और सांसद बने थे। 1991 में अर्जुन सिंह यादव जनता दल से सांसद बने थे। वर्ष 1996 में भाजपा से राज केसर सिंह सांसद चुने गए। 1998 में भाजपा को पटखनी देकर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता पारस नाथ यादव ने अपना परचम लहराया और सांसद बने थे। साल 1999 में स्वामी चिन्मयानंद ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल किया और लोकसभा में जौनपुर का नेतृत्व करने के साथ ही देश के गृह राज्य मंत्री बने थे। वर्ष 2004 के चुनाव में सपा प्रत्याशी पारस नाथ यादव से तत्कालीन देश देश के गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद हार गए और पारस नाथ सांसद बने थे। इसके बाद साल 2009 के चुनाव में बाहुबली नेता धनंजय सिंह विधायक पद छोड़कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े और पहली बार हाथी पर सवार होकर संसद पहुंचे थे, उस समय BJP के प्रत्याशी के रूप में महिला प्रत्याशी सीमा द्विवेदी और SP की ओर से पारसनाथ यादव चुनाव मैदान में रहे, इसके बाद आज तक धनंजय सिंह कोई भी चुनाव नहीं जीत सके हैं।

दो टूकः 400 पार का दावा, फिर भी गठबंधन पर फोकस, BJP की कमजोरी या खेल

साल 2014 में यहां से फिर BJP का परचम लहराया और डॉ कृष्ण प्रताप सिंह (KP SINGH) सांसद बने। इसके बाद 17 वीं लोकसभा के लिए साल 2019 में हुए चुनाव में सपा- बसपा गठबंधन से प्रत्याशी बने अवकाश प्राप्त पीसीएस अधिकारी श्याम सिंह यादव सांसद चुने गए थे। 17 बार हुए यहां लोकसभा चुनाव व एक बार हुए उपचुनाव में कोई भी महिला सांसद नहीं चुनी जा सकी हैं, जबकि साल 2009 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यहां से सीमा द्विवेदी को अपना प्रत्याशी बनाया था मगर वह चुनाव हार गई थी। (कुछ इनपुट वार्ता से भी…)

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