के. विक्रम राव
कम्युनिस्ट राष्ट्रनायक और उत्तर कोरिया के 42-वर्षीय तानाशाह किम जोंग उन ने राजधानी प्योंगयोंग में अपने राजनिवास के रनिवास को हरम बनाकर कुंवारी कन्याओं को यौन-खिलौना बना डाला है। याद रहे यही चीन-मित्र किम है जिसने इस्लामिक पाकिस्तान को अणुबम का फार्मूला उपलब्ध कराया था। उसने उसे बम प्रक्रिया को चीन से लिया था। भारत के चिंता का आधार यह है कि इस विभाजित राष्ट्र का दक्षिण कोरियायी प्रायद्वीप हमारा करीबी मित्र है, जो चीन के विस्तारवाद को रोकने में भारत का साथी है।
तानाशाह किम जोंग उन के यौन विकार की ताजातरीन खबर है कि यह मनोविकार से ग्रस्त राजनेता अपना मन बहलाने के लिए प्लेजर स्क्वॉड नाम का ग्रुप चलाता है। इस ग्रुप का काम तानाशाह किम जोंग उन और उसके सहयोगियों का मनोरंजन करना होता है। हाल ही नॉर्थ कोरिया से भागी महिला योनमी पार्क ने ब्रिटिश मीडिया डेली स्टार को दिए इंटरव्यू में इस स्क्वॉड का खुलासा किया है। योनमी ने बताया है कि तानाशाह किम जोंग के प्लेजर स्क्वॉड के लिए हर साल 25 कुंवारी लड़कियों का चयन होता है। इन महिलाओं को लुक्स और सरकार के प्रति निष्ठा के आधार पर चुना जाता है। पार्क ने बताया कि उन्हें भी दो बार इस स्क्वॉड के लिए चुना गया था, लेकिन फैमिली स्टेटस के कारण वे इस ग्रुप में शामिल नहीं हो पाई।
किम जोंग उन से पूर्व एक अन्य राष्ट्रपति का नाम ऐसी ही कुंवारी कन्याओं के यौन शोषण पर फैला था। उसका नाम था कर्नल मुअम्मर मोहम्मद अल-गद्दाफ़ी जो चार दशकों तक दारुल इस्लाम उत्तर अफ्रीका के अरब गणराज्य लीबिया का सदर-ए-जम्हूरिया बना रहा। यह इंकलाबी इस्लामी गणराज को शरियत के मुताबिक चलाता था। खुद को अल्लाह का नुमाइंदा बताता था। हत्या हो गई। गद्दाफी और जोंग उन में अंतर यही था कि वह नमाजी अक़ीदतमंद था। अरब का था, दूसरा एशियाई था, मार्क्सवादी था, अतः अनीश्वरवादी रहा। हरकतें दोनों की अधार्मिक थीं, पापभरी। दैवी न्याय अगर चले तो वे दशकों बाद तक जेलों में सड़ रहे होते।
किम उन की बातें तो हमारे भारतीय पत्रकारों की जानकारी में रहीं। बात 1985 के जुलाई-अगस्त की है। करीब 35-सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल IFWJ (इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट) का उत्तरी एशिया तथा पश्चिमी यूरोप की मीडिया-यात्रा पर गया था। मेरी अध्यक्षता (IFWJ की) में। उत्तर कोरिया के पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष का निमंत्रण था। मास्को होता हुआ प्योंगयोंग आया फिर बर्लिन, जिनेवा, पेरिस होता लंदन गया था। उत्तर कोरिया में हम करीब एक पखवाड़ा रहे। काफी खबरें पाई। उस दौर में यह बिगड़ैल राजकुमार (8 जनवरी 1984) पैदा ही हुआ था। किम की तीसरी पीढ़ी के इस वंशज के लिए राष्ट्रव्यापी उत्सव मनाये गए थे। हालांकि उत्तर कोरिया समाजवादी गणराज्य है पर किम इल सुंग की तीसरी पीढ़ी का राज है। कार्ल मार्क्स इस पूंजीवादी दस्तूर पर आंसू बहा रहे होंगे। तो कैसी हरकत की जोंग उन ने ? उन्होंने नारी-आसक्ति अपने पिताश्री किम जोंग-इल से विरासत में पाई थी। पिता ने 1983 में किम जोंग इल ने अपने इस्तेमाल के लिए दूसरी डिवीजन बनाई। दादा किम सुंग को ट्रेडिशनल महिलाएं पसंद थी। इसलिए उनका अपना समूह था जिसका नाम पोचोंबो इलेक्ट्रॉनिक एनसेंबल था। वहीं किम जोंग-इल का अपना अलग एक मनोरंजन दल था जिसे वांगजासन लाइट म्यूजिक बैंड कहा जाता था। इनके बॉडी शेप भी बेहद अलग होते थे। किम जोंग इल को ऊंची लड़कियां पसंद नहीं थी। वह ज्यादातर गोल मुंह वाली लड़कियों को पंसद करते थे। वहीं किम जोंग उन पश्चिमी महिलाओं को पसंद करते हैं। कहा जाता है कि किम जोंग उन की पत्नी भी इसी प्लेजर स्क्वॉड का हिस्सा थी।
तानाशाह के डर से इन लड़कियों के घरवाले भी इन्हें इस काम के लिए भेज देते हैं। इसके बाद जब ये लड़कियां 20 की उम्र में पहुंचती हैं, तो इनकी शादी नेताओं के अंगरक्षकों के साथ हो जाती है। प्लेजर स्क्वॉड की सदस्यों के लिए यह सम्मान की बात होती है।
किम से कहीं ज्यादा क्रूर अरब नेता कर्नल गद्दाफ़ी था। राष्ट्रपति के नाते वह लड़कियों के विद्यालयों में मुख्य अतिथि बनकर जाता था। जिस युवती के सिर पर हथेली रखता था वह उसी रात उसके हरम में वह पेश की जाती थी।
फ्रांसिसी पत्रिका ली-मोंडे की पत्रकार एनिक कोजिन ने बताया। एनिक ने ये जानकारी (फ्रांसीसी टेलीविज़न चैनल) फ्रांस-24 के एक साक्षात्कार में उन महिलाओं से मुलाक़ात की, जिन्हें कर्नल गद्दाफी ने अपने हरम में कैद करके रखा था। एनिक ने इन सबूतों का वर्णन अपनी किताब ‘डांस ले हरेम डे गद्दाफ़ी’ यानी ‘गद्दाफी के हरम की शिकार’ में किया है। किताब में गद्दाफ़ी के महल के ‘स्त्रीगृह’ में सालों तक क़ैद में रहने वाली महिलाओं की आपबीती दर्ज की गई है, जिन पर गद्दाफी की बुरी नज़र पड़ने के बाद उनकी ज़िंदगी हमेशा के लिए तबाह हो गई।
ऐसा ही दर्दनाक उदाहरण है 15 साल की उम्र में गद्दाफी की यौन दासी बनी ‘सोराया’ की, जो ये कहती है कि वो आज़ाद लीबिया में अपनी ज़िंदगी की एक नई शुरुआत करना चाहती है, पर ये सब इतना आसान नहीं है। एक स्कूली कार्यक्रम में सोराया ने गद्दाफी को फूलों का गुलदस्ता भेंट किया था, जिसे उन्होंने उसके सिर पर हाथ रखकर स्वीकार किया था, लेकिन बाद में उन्होंने उसका अपहरण करवा लिया। सोराया को गद्दाफी के सामने पेश करने से पहले काफी प्रताड़ित किया गया, उसके खून की जांच की गई। शुरू में काफ़ी विरोध करने के बाद आखिरकार सोराया ने भी हार मान ली।
कर्नल गद्दाफ़ी को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत आने का निमंत्रण दिया था। भारत-लीबिया उद्योग संधि पर हस्ताक्षर हेतु। करीब साठ हजार भारतीय डाक्टर, इंजीनियर, अध्यापक तथा अन्य विशेषक लीबिया में कार्यरत रहे। दो अरब अमेरिकी डॉलर के काम इन भारतीयों ने ही संपन्न किया। यूं इन अरब राष्ट्रों से कांग्रेस-शासित भारत के आर्थिक संबंध अच्छे थे। हालांकि दक्षिण कोरिया गणराज्य के नजदीकी के कारण भारत उत्तर कोरिया से दूर होता गया। उत्तर कोरिया चीन और पाकिस्तान मित्र है। तो भारत ऐसे नरराक्षस से दूर ही रहा। देश हित में।
K Vikram Rao
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