
बीकेमणि
चुनावी माहौल चरम पर है। गर्मी भी चरम पर है। ऐसे में चुनाव के लिए मतदाता को अपने क्षेत्र मे मौजूद रहकर वोट डालना चाहिए,यह लोकधर्म है। इसलिए मुझे भी यात्रा करनी पड़ सकती है। वैसे क्षेत्र मे सत्ता या विपक्ष के कार्य कुछ समझ मे नही आरहे हैं। क्षेत्र में कौन जनप्रतिनिधि कितने दिन भ्रमण करता है? क्षेत्र के विकास मे कितनी पहल की है? इस पर नजर डालें तो निराशा होती है। क्या पीएम और सीएम का ही चेहरा देख कर वोट देना है या सांसद का भी कोई काम होता है? खलीलाबाद मे मेंहदावल और धनघटा की सड़कें काफी दिन झेलाने के बाद बनी। संपर्क मार्ग लोग देख ही रहे है। नगर पालिका खलीलाबाद के गोलाबाजार के पुराना इलाहाबाद बैंक( चिरानियां कालोनी) मोहल्ले की ही नाली का कोई इतजाम नहीं। न तो शहर मे कोई पार्क है और न पार्किंग स्थल,न लाईब्रेरी है और न सार्वजनिक वाचनालय। मगहर का सहकारी कताई मिल बंद पड़ा है, अंग्रेजी राज मे बना गांधी आश्रम,मगहर, शासन की उपेक्षा के कारण व्यवस्था के अभाव मे दम तोड़ रहा है। खलीलाबाद शुगर मिल उजड़ गया। औद्योगिक क्षेत्र मे अधिकांश प्लांट बंद पड़े है और नया रेलवे लाईन बनने वाला था उसमें कोई प्रगति नही दिख रही है। मुखलिस पुर बाईपास का अंडर बाईपास भी खटाई मे है। रेलवे स्टेशन के दोनों तरफ के फाटक पर ओवर ब्रिज नही और न अंडर पास बना।
कोपिया,लहुरादेवा,महाथान आदि पुरातात्विक स्थल मे क्या कुछ नया हुआ। बखिरा झील (पक्षी विहार)और वर्तन उद्योग मे क्या प्रगति हुआ। बरदहिया मंडी मे रास्ता हो,व्यवस्थित दुकाने हो तो आगजनी आदि से सुरक्षित हो जाय। आखिर किस विकास पर वोटर मतदान करे? क्या सांसद विधायक की कोई जिम्मेदारी नहीं?? जन प्रतिनिधि को जनपद मे रहना और विकास परक पहल जरूरी है या नहीं?? या सब सीएम पीएम का मुख देख कर इन्हे वोट देना है?