- अमीरों को दी जा रही अतिरिक्त सुविधाएं, गरीब बंदियों का हो रहा शोषण
- मानवता शर्मसारः राशन में कटौती कर कैंटीन से बढ़ा रहे आमदनी
राकेश यादव
लखनऊ। राजधानी की जिला जेल में अधिकारियों ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। इस जेल के अफसर कमाई का रिकॉर्ड बनाने में जुटे हुए हैं। एक तरफ जेल में गरीब बंदियों का जमकर शोषण किया जा रहा है, वही रसूखदार बंदियों को कई लग्जरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। वह सुविधाएं जिनका नियमों में कोई प्रावधान ही नही है। इस जेल में प्रदेश के बहुचर्चित बाइक बोट घोटाले के आरोपी बंदी को सुविधाओं के लिए एक बंदी तक मुहैया कराया गया है। हकीकत यह है कि जेल में खासतौर पर गरीब बंदियों का जीना मोहाल हो गया है। वही रसूखदार बंदियों की मौज है।
सूत्रों का कहना है कि लखनऊ जेल में बंदियों के साथ दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है। इस जेल में जहां गरीब बंदियों को खाने के लाले पड़े हुए है। वहीं धनाढ्य और रसूखदार बंदियों की मौज है। बताया गया है बाइक बोट घोटाले के आरोपी बंदी को जेल प्रशासन के अधिकारियो ने सुविधा के लिए एक अटेंडेंट (बंदी) दे रखा है। यह बंदी हर समय आरोपी बंदी के साथ रहकर उन्हे सुख सुविधाएं मुहैया कराता है। इसी जेल में प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री भी बंद है। बाइक बोट घोटाले के आरोपी और पूर्व मंत्री को जेल प्रशासन ने वह सुविधाएं उपलब्ध करा रखी है। जिनका नियमों में कोई प्रावधान ही नहीं है। उधर डीआईजी जेल मुख्यालय एके सिंह को कहना है कि इसकी जांच कराई जाएगी। जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
मिली जानकारी के मुताबिक जेल प्रशासन के अधिकारी गल्ला गोदाम प्रभारी डिप्टी जेलर से सुरक्षा के बजाए राशन की कटौती करवाने में जुटे हैं। वर्तमान समय मे इस जेल में करीब 4000 से अधिक बंदी निरुद्ध है। सूत्रों का कहना है कि जेल अधिकारी कैंटीन की बिक्री बढ़ाने के लिए बंदियों के राशन में 50 से 60 फीसद कटौती कर प्रतिमाह लाखों रुपये का वारा-न्यारा कर रहे हैं। यही काम यह अधिकारी सरसों का तेल, रिफाइंड व घी की खरीद में भी किया जा रहा है। जेल अधीक्षक की रजामंदी से हो रही राशन कटौती, मशक्कत, कैंटीन, पीसीओ व एमएसके की खरीद-फरोख्त से जेल में प्रतिमाह लाखों रुपये की कमाई कर जेब भरने में जुटे हुए है। इस कमाई की वजह से जेल प्रशासन के अधिकारी बंदियों को घटिया भोजन परोस रहे हैं। जेल प्रशासन के अधिकारियों की इस कमाई की वजह से कई बंदियों को कैंटीन का भोजन प्राप्त करने के लिए अपने खेत तक बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
प्रमोशन के बाद नहीं होते तबादले
प्रदेश के कारागार विभाग में प्रमोशन के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला ही नहीं किया जाता है। करीब चार साल पहले लखनऊ में अधीक्षक से वरिष्ठ अधीक्षक पद पर प्रोन्नत हुए साढ़े चार साल हो गए पर इनका तबादला नहीं किया गया। इसी प्रकार आगरा डीआईजी परिक्षेत्र में बीते 20 वर्ष से तैनात वरिष्ठ सहायक रंजना कमलेश और बरेली परिक्षेत्र में करीब 18 साल से तैनात स्नेहा शर्मा को तीन-तीन प्रमोशन के बाद स्थानांतरित नहीं किया गया है। यह तो बानगी भर इसी प्रकार दर्जनों की संख्या में प्रमोशन के बाद कई अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला नहीं किया गया। ऐसा तब है जब स्थानांतरण आदेश में स्पष्ट रूप में लिखा जाता है कि प्रमोशन पाए कर्मियों को जल्दी ही इनको अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा।
कमाऊ जेल पर जाने की फिराक में अधीक्षक!
करीब चार साल पहले जेल मुख्यालय में तैनात सेवानिवृत अधिकारी से साठ-गांठ करके कानपुर जेल में तैनात अधीक्षक आशीष तिवारी ने जुगाड़ तंत्र के सहारे अपने आप को वरिष्ठ अधीक्षक वाली जेल पर तैनात करा लिया था। जेल नियमों के अनुसार वरिष्ठ अधीक्षक को हटाकर अधीक्षक को तैनात किया जाना ही नियम विरुद्ध था। सूत्रों की मानें तो जेल में बंदियों के परिजनों की मुलाकात जेल के अंदर नहीं कराने के बहाने जेल में अधिकारियों ने लूट मचा रखी है। बताया गया है कि अब यह अधीक्षक धनबल और जुगाड के बल पर गाजियाबाद, नोएडा, मुरादाबाद, अलीगढ़ जाने की जुगत में लगे हुए हैं।