- चार साल से न्याय के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं महर्षि श्रवण वेद विद्यापीठ के प्रबंधक
- मुख्यमंत्री के गृहजिले में आतंक मचा रहे हैं भूमाफिया, विद्यालय अपनी संपत्ति बेचकर छोड़ना चाहता है गोरखपुर
- खजनी तहसील के ग्रामसभा सांखडाड पांडे से संचालित होता है महर्षि श्रवण वेद विद्यापीठ
- विद्यालय की जमीन पर दबंगों का कब्जा, विद्यापीठ में होती है वेदों की पढ़ाई
- PAC जवान और CISF इंस्पेक्टर का रसूख इतना कि जनता दरबार की शिकायतों पर भी नहीं हो पाती कार्रवाई
आलोक द्विवेदी/लखनऊ
गोरखपुर। ये वो जिला है, जहां से निकलकर योगी आदित्यनाथ पूरे प्रदेश में लॉ एंड आर्डर कायम रखने की मिसाल गढ़ रहे हैं। उन्होंने पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी माफिया, भू-माफिया को मटियामेट कर दिया। माफिया की सम्पत्ति या तो सरकार ने जब्त की या फिर जमींदोज कर दिया। लेकिन उनके खुद के घर यानी गृह जिला गोरखपुर में कानून-व्यवस्था का हाल बद से बदतर है। एक परिवार उनके जनता दरबार से लेकर तमाम सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट चुका है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अभी तक कुछ नहीं हुआ। नतीजतन भूमाफिया के आतंक से आजिज परिवार अपने विद्यालय और सभी निजी सम्पत्ति को बेचकर गोरखपुर से पलायन करने को मजबूर हो गया है।
कहानी की शुरुआत करीब चार साल पुरानी है। यूपी के सीएम आदित्यनाथ करीब-करीब अपनी पहली पारी का आधा कार्यकाल पूरा कर चुके थे। तारीख थी 21 जनवरी और 2020 था साल। तहसील दिवस में महर्षि श्रवण वेद विद्यापीठ के प्रबंधक अजय पांडेय अपनी गुहार लेकर पहुंचते हैं। वहां मौजूद अफसरों ने तेजी दिखाई और प्रार्थना पत्र क्रमांक_3009532000089 पर दर्ज कर लिया। इस तरह कई जगहों पर गुहार हुई लेकिन स्थानीय प्रशासन सीएम योगी के जीरो टॉलरेंस को धत्ता बताते हुए पीड़ित पक्ष को कोई न्याय नहीं दिया। तहसील दिवस से लेकर मुख्यमंत्री जनता दरबार तक गुहार लगाई गई। पेपर चला, तहसील तक पहुंचा। नतीजा सिफर। फिर नई गुहार, नई मनुहार हुई। एक बार फिर पेपर चला और रिजल्ट शून्य। ये किस्सा उस खजनी तहसील का है, जो गोरखपुर जिले का अभिन्न हिस्सा है। एक तरफ हैं सनातन को जिंदा रखने की कोशिश में जुटे दो भाई और दूसरी तरफ है सरकारी नौकरी के दम पर प्रशासन के मुंह पर पैसे मारने वाले लोग। एक पक्ष है महर्षि श्रवण वेद विद्यापीठ और दूसरा पक्ष है दमदार, दबंग और पीएसी-सीआईएसएफ के जवान। ये कहानी पूरी दूसरी किश्त में जारी होगी। आज बात सिर्फ वो जो महर्षि श्रवण वेद विद्यापीठ के प्रबंधक अजय पांडेय ने पत्रकारों को बताई।
अपनी पीड़ा बताते हुए पांडेय कहते हैं कि खजनी तहसील के प्रशासनिक अधिकारियों के उदासीन रवैये और भूमाफिया पीएसी जवान के उत्पीड़न के चलते वो ग्राम सभा साखडाड़ पांडे स्थित महर्षि श्रवण वेद विद्यापीठ वैदिक विद्यालय सहित अपनी चल और अचल संपत्ति बेचकर गोरखपुर से पलायन की तैयारी में हैं। महर्षि श्रवण वेद विद्यापीठ के प्रबंधक ने बताया कि गांव के ही रहने वाले पीएसी में तैनात उमेश पांडेय, सतीश चंद पांडेय, अम्बरीश पांडेय तीनों पुत्र स्व. चिंतामणि, चंद्र प्रकाश उर्फ अंबे पांडेय पुत्र (चाचा) कमलेश पांडेय ने मेरी तमाम जमीन पर अवैध ढंग से कब्जा कर लिया है। आरोपी काफी प्रभावशाली हैं, उनके दबाव में खजनी तहसील प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है।
साल 2020 से लेकर अब तक तहसील दिवस और धारा 24 में अपील की गई है। हम लोग चार साल से तहसील का चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। मामले का निस्तारण करने के बजाय तहसील प्रशासन इसे टरका रहा है। पांडेय ने बताया कि इस मामले में मुख्यमंत्री के जनता दरबार लखनऊ में शिकायत करने पर पैमाइश के नाम पर दौड़ाया जा रहा है। कार्रवाई नहीं होने से आरोपी रोजाना झूठी शिकायतें करके परेशान करते हैं। इससे तंग आकर हम लोग अपनी सभी चल-अचल संपत्ति बेचकर जाने की तैयारी कर रहे हैं।
परिवार का कहना है कि अधिकारी सनातन के दुश्मन बने हुए हैं। मुख्यमंत्री के आदेश का भी असर नहीं है। एक पीएसी जवान पूरे तहसील प्रशासन पर भारी पड़ रहा है। उन्होंने ने बताया कि प्रथम बार आपने पैतृक जमीन पर बिहारी बुजुर्ग में वैदिक विद्यालय बनाने के शुरूआत की वहा पर भी पीएसी जवान व उसके परिजनों ने मार-पीट, जान से मारने की धमकी देते हुए विद्यालय बनाने से अवरूद्ध किया। तब से यह मामला खजनी तहसील में लम्बित चल रहा है। वहीं से मेरा तहसील एवं प्रशासन के चक्कर काटने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। उन्होंने ने बताया कि अगर प्रशासन मामले का निस्तारण नहीं करता है तो बुद्धि-सिद्धि यज्ञ करेंगे। इसके बाद भी अगर कार्रवाई नहीं होती है तो संपत्ति को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को दान करके यहां के पलायन कर जाएंगे।