- 3.5 करोड़ भुगतान के बाद भी अभी तक नहीं शुरू हुआ कार्य
- शासन ने आवंटित धनराशि को 31 मार्च तक खर्च करने का दिया था आदेश
- शासन में बैठे आला अफसर लगा रहे सरकारी राजस्व को चूना
- जेल प्रशिक्षण संस्थान परिसर में ट्रांजिट हास्टल निर्माण में घोटाला
राकेश यादव
लखनऊ। यह फोटो जो आप देख रहे है। यह फोटो है जेल प्रशिक्षण संस्थान परिसर में बनने वाले ट्रांजिट हास्टल स्थल की है। इस निर्माण स्थल पर अभी निर्माण शुरू भी नहीं हुआ है। शासन में बैठे आला अफसरों ने इसके निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था को बगैर किसी कार्य के करीब साढ़े तीन करोड़ का अग्रिम भुगतान कर दिया गया। कारागार विभाग के अफसरों का यह घोटाला विभागीय कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। उधर शासन में बैठे अफसर इस गंभीर मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
पुरानी जेल रोड पर संपूर्णानंद कारागार प्रशिक्षण संस्थान बना हुआ है। इस संस्थान में देश एवं प्रदेश भर के जेल अधिकारी और सुरक्षाकर्मी प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आते है। देश के विभिन्न राज्यों एवं प्रदेश के जिलों से आने वाले प्रशिक्षार्थियों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ट्रांजिट हास्टल बनाए जाने का निर्णय लिया गया।
सूत्रों का कहना सरकार ने जेल प्रशिक्षण संस्थान में ट्रांजिट हास्टल निर्माण के वित्तीय वर्ष 2022 23 के बजट में करीब 70 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की। विभागीय अफसरों पूरे वर्ष पड़ी रही इस धनराशि का आवंटन वित्तीय वर्ष के अंतिम मार्च माह के अंतिम दिनों में किया। शासन में बैठे आला अफसरों ने ट्रांजिट हास्टल निर्माण के लिए एक ही दिन में टेंडर इत्यादि की औपचारिकता पूरी कर कार्यदायी संस्था को निर्माण का ठेका दे दिया।
सूत्र बताते हैं कि शासन और जेल मुख्यालय में बैठे आला अधिकारियों ने निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था को 50% (करीब 3.5 करोड़) का भुगतान कर दिया। आवंटित धनराशि का उपभोग करने के लिए 31 मार्च 2024 तक की समय सीमा तय की। निर्धारित समयावधि बीतने के एक पखवारे के बाद भी अभी तक कार्य शुरू नहीं हुआ है। कारागार विभाग के इस करोड़ों के निर्माण घोटाले के बाबत जब प्रमुख सचिव/महानिदेशक कारागार राजेश कुमार सिंह से बात करने का प्रयास किया गया तो उनके निजी सचिव विनय सिंह ने व्यस्त होने की बात कहते हुए बात कराने से ही इंकार कर दिया।
बगैर इंजीनियर के हो रहे करोड़ों के वारे न्यारे
प्रदेश सरकार की ओर से प्रदेश की जेलों के मेंटीनेंस और नए निर्माण कार्यों के हर वित्तीय वर्ष में करोड़ों रुपए का बजट आवंटित किया जाता है। सूत्रों का कहना है शासन और जेल मुख्यालय के आला अफसर पूरे वित्तीय वर्ष में बजट को रोक कर रखा जाता है। वित्तीय वर्ष में रोके गए इस बजट को सरेंडर न करना पड़े इसके लिए अंतिम दिनों में अनाप शनाप तरीके टेंडर, वर्क ऑर्डर जारी कर एक ही दिन में बजट को कार्यदाई संस्था के अकाउंट में डालकर लाखों की बंदरबांट की जाती है। दिलचस्प बात यह है कि करोड़ों का बजट निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की परख करने के लिए मुख्यालय में न कोई अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता, अवर अभियंता तैनात है। उधर इस संबंध में जब डीजी जेल पीवी रामा शास्त्री से बात की गई तो उन्होंने जवाब देने से बचते हुए कहा कि इसकी जानकारी पीआरओ से कर लें। पीआरओ अंकित ने बताया कि निर्माण सामग्री घटिया होने की वजह से कार्य शुरू नहीं हो पाया है। अन्य सवालों पर उन्होंने चुप्पी साध ली।
ब्याज से मालामाल हुई कार्यदायी संस्था
ट्रांजिट हास्टल निर्माण के लिए हुए भुगतान का लाभ कारागार विभाग को मिले न मिले किंतु कार्यदायी संस्था इससे जरूर मालामाल हो है। आईजीआरएस के माध्यम से कार्यदायी संस्था में डाली गई करीब 3.5 करोड़ रुपए की धनराशि से मिलने वाले ब्याज से संस्था की बल्ले बल्ले हो गई है। बैंक जानकारों के अनुसार इस धनराशि पर संस्था को प्रतिवर्ष एक दिन मे सात हजार रुपए के हिसाब से एक साल में करीब 24 लाख से अधिक धनराशि बतौर ब्याज के रूप में मिलेगा। जेल विभाग के अफसरों ने पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में इस धनराशि का भुगतान कर करोड़ों के सरकारी राजस्व का चूना लगा दिया है। अफसरों के निजी स्वार्थ का यह मामला विभागीय कर्मियो मे कौतुहल का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। चर्चा है कि यह मामला तो पकड़ में आ गया न जानें और कितने मामले हैं जिनमे मोटे कमीशन की खातिर अनाप शनाप तरीके से भुगतान किए गए हैं।