दलित होने के कारण शासन नहीं कर रहा डीआईजी की तैना

  • दलित होने के कारण शासन नहीं कर रहा डीआईजी की तैनाती!
  • प्रमुख सचिव कारागार की तानाशाही का हुआ खुलासा
  • तैनाती के बजाए मौखिक आदेश से एक साल से जेटीएस का प्रभार
  • मुख्यालय समेत कई जेल परिक्षेत्र में विभागीय डीआईजी नहीं
  • एक एक आईपीएस डीआईजी को दो दो जेल परिक्षेत्र का सौंपा प्रभार

राकेश यादव

लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दलित समाज के उत्थान के योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की जुगत में लगे हुए है। वहीं प्रदेश की नौकशाही दलितों का उत्पीड़न करने से बाज नहीं आ रही है। इसका ताजा मामला प्रदेश के कारागार विभाग में देखने को मिला है। इस विभाग में शासन ने एक डीआईजी जेल को सिर्फ इसलिए पिछले एक साल से तैनाती नहीं दी है कि अनुसूचित जाति के है। दिलचस्प बात तो यह है कि दलितों की मसीहा कही जाने वाली प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री इस दलित उत्पीड़न के मामले पर चुप्पी साध रखी है। यह मामला विभाग के अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

प्रदेश के कारागार विभाग में लंबे समय से अधिकारियों की संख्या काफी कम है। इस कमी को दूर करने के शासन ने बीते दिनों चार पांच आईपीएस अधिकारियों को बतौर डीआईजी जेल तैनात किया। विभाग में नौ जेल परिक्षेत्र है। वर्तमान समय विभाग में सिर्फ तीन विभागीय डीआईजी शैलेंद्र मैत्रेय, अरविंद कुमार सिंह और रुद्रेश नारायण पांडे है। 31 मई 2024 को अरविंद कुमार सिंह के सेवानिवृत हो जाने के बाद अब विभाग में सिर्फ दो डीआईजी ही बचे हैं। इनकी तैनाती में शासन पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है।

सूत्रों का कहना है कि न्यायालय के आदेश पर बहाल होकर आए डीआईजी जेल शैलेंद्र मैत्रेय को शासन में बैठे विभाग के मुखिया ने परिक्षेत्र छोड़िए कहीं तैनात ही नहीं किया है। तत्कालीन डीजी पुलिस/ आईजी जेल एसएन साबत ने मौखिक आदेश पर जेल प्रशिक्षण संस्थान का नोडल अफसर बनाकर भेज दिया। विभागीय अधिकारियों की मानें तो दलित अधिकारी होने की वजह पद रिक्त होने के बाद भी उन्हें किसी परिक्षेत्र में तैनात नहीं किया जा रहा है। ऐसा तब किया जा रहा है जब नौ जेल परिक्षेत्र में सिर्फ आगरा परिक्षेत्र को छोड़कर अन्य दो दो परिक्षेत्र की जिम्मेदारी एक एक आईपीएस अधिकारियों को सौंप रखी गई है।

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वरिष्ठ को नजरंदाज कर कनिष्ठ को सौंप दिए महत्वपूर्ण प्रभार

अंधेर नगरी चौपट राजा, टका शेर भाजी टका शेर खाजा… यह कहावत प्रदेश कारागार विभाग पर एकदम फिट बैठती है। डीआईजी मुख्यालय एके सिंह के रिटायरमेंट के बाद जो प्रभार सौंपे गए है। वह चौकाने वाले है। फतेहगढ़ के वरिष्ठ अधीक्षक के कुछ अनुभाग और आगरा के डीआईजी को डीआइजी मुख्यालय का प्रभार सौंपा गया है। इसके अलावा ढाई साल पहले प्रोन्नति पाकर अधीक्षक से वरिष्ठ अधीक्षक बने लखनऊ जेल अधीक्षक को परिक्षेत्र के डीआईजी का प्रभार भी सौंप दिया गया। डीआईजी अयोध्या हेमंत कुटियाल को गोरखपुर परिक्षेत्र का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। प्रभार सौंपने में दिलचस्प बात यह देखने को मिली कि डीआईजी पद पर प्रोन्नति के प्रबल दावेदार वरिष्ठ अधीक्षक रामधनी और डीआईजी जेटीएस शैलेंद्र मैत्रेय को दलित अधिकारी होने के साथ नजरंदाज कर कनिष्ठ अधिकारियों को महत्वपूर्ण प्रभार सौंप दिए गए। उधर जब इस बारे में प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नहीं उठा। आईजी जेल पीवी रामाशस्त्री के पीआरओ ने भी फोन नहीं उठाया।

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