भारत ने नेपाल के लुंबिनी में रखी स्कूल और हॉस्टल की नींव
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
लुंबिनी नेपाल! भारत ने शुक्रवार को नेपाल के लुंबिनी प्रदेश के प्यूठान जिले में एक स्कूल और हॉस्टल की नींव रखी। यह परियोजना भारत और नेपाल के बीच एक समझौते के तहत एक हाई इंपैक्ट कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (सामुदायिक विकास परियोजना) के रूप में शुरू की गई है। प्यूठान जिले के ऐरावती ग्रामीण नगर पालिका वार्ड नंबर 1 में डांग-बैंग माध्यमिक स्कूल और हॉस्टल का निर्माण ‘नेपाल-भारत विकास सहयोग’ के तहत हो रहा है।
भारत सरकार इसके लिए 33.92 मिलियन नेपाली रुपये की वित्तीय सहायता दे रही है। नेपाल-भारत विकास सहयोग के तहत भारत सरकार की इस सहायता का उपयोग इस स्कूल के लिए हॉस्टल बिल्डिंग और अन्य सुविधाओं के निर्माण के लिए किया जा रहा है।
भारतीय दूतावास की आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, 2003 से भारत सरकार ने नेपाल में विभिन्न क्षेत्रों में 551 से अधिक हाई इंपैक्ट कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं और 490 परियोजनाएं पूरी की हैं। इनमें से 61 परियोजनाएं विभिन्न क्षेत्रों में लुंबिनी प्रांत में हैं, जिनमें प्यूठान में 2 परियोजनाएं शामिल हैं। इनके अलावा भारत सरकार ने नेपाल के विभिन्न अस्पतालों, स्वास्थ्य चौकियों और शैक्षणिक संस्थानों को 1009 एम्बुलेंस और 300 स्कूल बसें उपहार में दी हैं।
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भारत और चीन के लिए क्यों जरूरी है लुंबिनी?
अब सवाल यह है कि भारत लुंबिनी क्षेत्र में इतनी तेजी से कार्य क्यों कर रहा है? लुंबिनी गौतम बुद्ध का जन्मस्थल है और चीन कई सालों से यहां लगातार अपना प्रभाव बनाने की कोशिश कर रहा है। लगभग एक दशक पहले चीन ने यहां बौद्ध मठ बनवाए थे। साथ ही चीन ने लुंबिनी को ‘वर्ल्ड पीस सिटी’ बनाने के लिए 3 बिलियन डॉलर खर्च करने की योजना बनाई थी। यह कार्य अब जारी है। चीन ने नेपाल में 40 बिलियन नेपाली रुपए खर्च कर एयरपोर्ट भी बनवाया है। नेपाल चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा भी है जो भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। लुंबिनी क्षेत्र में अपना हक जताते हुए चीन ने हमेशा से एक और बात को प्रचारित करना शुरू किया कि लुंबिनी बोधगया से नेपाली रुपए खर्च कर एयरपोर्ट भी बनवाया है।
लुंबिनी क्षेत्र में अपना हक जताते हुए चीन ने हमेशा से एक और बात को प्रचारित करना शुरू किया कि लुंबिनी बोधगया से ज्यादा महत्वपूर्ण जगह है। उनका कहना है कि बुद्ध जन्म के वक्त से ही ज्ञान प्राप्त कर चुके थे, इसीलिए बोधगया का कोई खास महत्व नहीं है।
2022 में नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने लुंबिनी का दौरा किया और भारत ने यह संदेश देने की कोशिश की कि यहां चीन का एकछत्र राज नहीं चल सकता। मोदी ने यहां यह भी कहा कि बुद्ध सभी देशों की सीमाओं से ऊपर हैं। भारत ने नेपाल के साथ लुंबिनी-बोधगया, काठमांडू-वाराणसी और जनकपुर- अयोध्या को जोड़ने के लिए तीन सिस्टर सिटी समझौते को भी मंजूरी दी है।