मामूली कहासुनी में ही ले अपनों की जान
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। किडनैपिंग किंग बबलू श्रीवास्तव पीपी गैंग का सरगना प्रकाश पांडे।
शातिर अपराधी फजलुर्रहमान मुठभेड़ में मारे गए शार्प शूटर श्रीप्रकाश शुक्ला और डकैत निर्भय गुर्जर।
अपराध की दुनिया के ऐसे ही कई बड़े पेशेवर नाम अब लोगों को नहीं डराते।
कई मुठभेड़ में ढेर हो गए तो कई ने ट्रैक बदल लिया। कई जमीन कारोबार में उतर गए तो कुछ ने सफेदपोशों का दामन थाम लिया। कुछ सलाखों के पीछे हैं।
बदलते परिवेश में लोग पेशेवर अपराधियों से अधिक अपनों से खौफजदा हैं।
शाह खरची, जल्द अमीर बनने की लालच और मामूली बात पर अंजाम की परवाह किए बगैर अपने ही अपनों का खून बहा रहे हैं।
बुधवार रात बंथरा थाना क्षेत्र स्थित दराब नगर बरकोता गांव निवासी बर्फ कारोबारी 38 वर्षीय अशोक की कलयुगी भाई सुजीत ने मामूली कहासुनी के बाद अशोक गर्दन पर कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ वारकर मौत की नींद सुला दिया।
अशोक की हुई हत्या अपराध के इसी नए समीकरण की एक कड़ी है।
राजधानी लखनऊ में ऐसे कई अशोक अपनों के हाथों ही जान गंवा चुके हैं।
-16 अप्रैल 2024- गुडंबा क्षेत्र में के मायापुरी एक शख्स ने अपनी 14 साल की बेटी निर्मम तरीके से हत्या कर दी।
इसी दिन बख्शी का तालाब इलाके के दुर्जनपुर गांव में पैसे न देने पर 60 वर्षीय बुजुर्ग पिता ब्रजलाल की कलयुगी बेटे ने कुल्हाड़ी से काट कर मौत के घाट उतार दिया।
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26 जून 2024 की रात बंथरा थाना क्षेत्र में भाई ने भाई की हत्या कर सनसनी फैला दी।
गौर करें तो 14 मई 2810 को महानगर क्षेत्र स्थित पुलिस लाइन में दादी व पिता ने लाडले को ग़लत संगत से बचाने के लिए डांटा तो बिगड़ैल 12 वीं का छात्र 17 वर्षीय उत्कर्ष ने पिता की सर्विस रिवाल्वर से 47 वर्षीय पिता रमाशंकर साहू व 65 वर्षीय दादी रामवती के सीने में गोलियों की बौछार कर मौत की नींद सुला दिया।
यह घटनाएं तो सिर्फ बानगी भर हैं इससे पहले भी कई बार विभिन्न मामलों में अपने ही क़ातिल साबित हुए हैं। हालात ये हैं कि लोगों को बदमाशों से ज्यादा अब अपनों से डर लगने लगा है।
,,, बनाई जाएगी योजना,,,
पुलिस कमिश्नर अमरेन्द्र कुमार सेंगर का कहना है कि जिन घटनाओं में करीबी वारदात कर रहे हैं उसे रोकने के लिए लोगों को सतर्क रहना होगा।
किसी अपरिचित पर लोग आंख मूंद कर भरोसा न करें।
किसी पर संदेह होने पर संबंधित थाने को सूचना दें।
वहीं उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग घरेलू कलह या फिर मामूली बात लड़-झगड़कर आपा खो बैठते हैं और अपनों की जान का दूश्मन बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि परिवार के लोग घुल मिलकर रहें तो सबसे बेहतर होगा।