कारागार परिक्षेत्र कार्यालयों में लागू नहीं होती स्थानांतरण नीति!

  • 20-20 साल से एक ही कार्यालय में जमें बाबू
  • तीन-तीन प्रमोशन के बाद भी नहीं हुए तबादले

राकेश यादव

लखनऊ। जनपद में तीन और मंडल में सात साल पूरा कर चुके अधिकारियों और कर्मचारियों को स्थानांतरित किया जाए। स्थानांतरण नीति जारी करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री के इस निर्देश का प्रदेश के कारागार विभाग में कोई असर ही नहीं हुआ। स्थानांतरण सत्र समाप्त हो गया किंतु इस विभाग के परिक्षेत्र में 20 साल से एक ही स्थान पर जमे किसी भी कर्मचारी का तबादला नहीं किया गया। दिलचस्प बात यह है कि दो तीन प्रमोशन पाने के बाद भी लिपिकीय संवर्ग के यह बाबू आज भी उन्हीं जगहों पर जमे हुए हैं।

प्रदेश के कारागार विभाग में नौ जेल परिक्षेत्र है। लखनऊ, आगरा, बरेली, मेरठ, अयोध्या, बनारस, कानपुर, गोरखपुर और प्रयागराज में कारागार परिक्षेत्र के कार्यालय हैं। इन कार्यालयों में विभाग के वार्डर और हेड वार्डर संवर्ग के कर्मियों की एसीपी लगने के अलावा शिकायतों का निस्तारण एवं दंड देने का कार्य किया जाता है। इन कार्यालयों में लिपिकीय संवर्ग के वरिष्ठ सहायक, प्रधान सहायक, कनिष्ठ सहायक तैनात होते हैं।

उत्तर प्रदेश का जेल मुख्यालय, जहां से संचालित की जाती हैं सूबे की जेल

सूत्रों का कहना है कि कारागार मुख्यालय समेत जेलों पर सरकार की स्थानांतरण नीति लागू होती है। किंतु कारागार के परिक्षेत्र कार्यालयों में इस नीति का कोई असर दिखाई नहीं पड़ता है। यही वजह है कि इन कार्यालयों पर वर्षो से बाबू एक ही स्थान पर जमे हुए हैं। इन बाबुओं को प्रमोशन तो किया जाता है, लेकिन इनका स्थानांतरण नहीं किया जाता है। ऐसा तब होता है जब प्रोन्नति आदेश पर स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि जल्दी ही इन्हें अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक लखनऊ जेल परिक्षेत्र कार्यालय में एक बाबू वीरेश वर्मा पिछले करीब 30 साल से जमा हुआ है। इसका आजतक स्थानांतरण ही नहीं किया गया। इसी प्रकार आगरा जेल परिक्षेत्र कार्यालय में रंजना कमलेश पिछले करीब 20 साल से तैनात है। इस दौरान उन्हें तीन प्रमोशन भी दिए गए, लेकिन तबादला नही किया गया। इसी प्रकार बरेली परिक्षेत्र में स्नेहा शर्मा काफी लंबे समय से परिक्षेत्र कार्यालय में तैनात है। इन बाबुओं की कारागार मुख्यालय में मजबूत पकड़ होने की वजह से इन्हें भी कई प्रमोशन मिलने के बाद स्थानांतरित नहीं किया गया है। यह तो बानगी है। इस प्रकार हर परिक्षेत्र में दर्जनों की संख्या में बाबू लंबे समय से डेरा डाले हुए हैं।

वार्डरों का जमकर शोषण कर रहे बाबू

परिक्षेत्र में लंबे समय से एक ही स्थान पर बाबुओं के जमें होने के कारण वार्डर और हेड वार्डरो को तमाम तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। सुरक्षाकर्मियों को एसीपी लगाने, दंड समाप्त कराने के लिए खासा सुविधा शुल्क देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आलम यह है पैसा नहीं देने के कारण सैकड़ों कर्मियों का मेडिकल क्लेम फंसा हुआ है। हकीकत यह है कि यह बाबू सुरक्षाकर्मियों का शोषण करने से बाज नहीं आ रहे है।

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