
- नोएडा, बाराबंकी और मेरठ के जेलर किए गए इधर-उधर
- गाजियाबाद में जमें हेड वार्डर का अजब-गजब कारनामा
राकेश यादव
लखनऊ। गाजियाबाद जेल की सत्ता परिवर्तन होते ही जेल पर लंबे समय से जमें हेड वार्डर ने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए तीन जेलर के तबादले करा दिए। यह बात पढ़ने और सुनने में भले ही अटपटी लगे किंतु सत्य है। गाजियाबाद से नोएडा जेल जाने फिराक में लगे वार्डर नोएडा के जेलर को बाराबंकी और बाराबंकी के जेलर को मेरठ और मेरठ के जेलर को नोएडा जेल भेजकर अपने मंसूबों को पूरा कर लिया। यह मामला विभागीय कर्मियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
बीती 29 जून को शासन ने 15 जेल अधीक्षक के स्थानांतरण की सूची जारी की। इस सूची में गाजियाबाद जेल पर तैनात आलोक सिंह को बांदा जेल पर स्थानांतरित कर दिया गया। मुजफ्फरनगर जेल पर तैनात सीताराम शर्मा को गाजियाबाद जेल पर तैनात किया गया। जेल के सत्ता परिवर्तन होते ही लंबे समय से गाजियाबाद जेल पर जमा हेड वार्डर वर्चस्व को लेकर हरकत में आया। गौतमबुद्धनगर (नोएडा) जेल से गाजियाबाद जेल पर संबद्ध होकर काम कर रहे हेड वार्डर ने आनन-फानन में तीन जेलरों को इधर-उधर करा दिया।
सूत्रों का कहना कि लंबे समय से घूम फिरकर गाजियाबाद में जमें इस हेड वार्डर ने जेल की सत्ता परिवर्तन के बाद आए तेजतर्रार अधीक्षक के आगे वर्चस्व खत्म होने की आशंका को देखते हुए तीन जेलरों को इधर-उधर करा दिया। मेरठ के जेलर को गौतमबुद्धनगर, गौतमबुद्धनगर के जेलर को बाराबंकी और बाराबंकी के जेलर को मेरठ स्थानांतरित करा दिया। स्थानांतरण सत्र के अंतिम दिन हुए इन तबादलों को लेकर चर्चा है कि नोएडा जेल से गाजियाबाद अटैच इस हेड वार्डर ने नोएडा वापस जाने के लिए यह स्थानांतरण करवाए गए है। नोएडा जेल के जेलर से सामंजस्य ठीक नहीं होने के कारण अपने चहेते जेलर को स्थानांतरित करा दिया। इस संबंध में जब पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक कारागार पीवी रामाशास्त्री से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी उनसे बात नहीं हो सकी।
कारागार परिक्षेत्र कार्यालयों में लागू नहीं होती स्थानांतरण नीति!
दोषी बाबुओं पर कार्यवाही नहीं करता मुख्यालय!
स्थानांतरण सत्र के दौरान कारागार मुख्यालय ने सैकड़ों की संख्या में वार्डर और हेड वार्डर के बतरतीब तरीके से किए गए। इन तबादलों में निजी अनुरोध के नाम पर जमकर वसूली करने वाले बाबुओं के खिलाफ विभाग के मुखिया की ओर से अभी तक कोई कार्यवाही तो करना तो दूर की बात जांच तक के आदेश नहीं दिए गए। आलम यह है वर्षों से एक जेल, एक परिक्षेत्र और जेल कार्यालयों में जमे बाबुओं स्थानांतरण तक ही नहीं किया गया। दिलचस्प बात तो यह रही कि मुख्यालय ने परिक्षेत्र कार्यालयों में तैनात बाबुओं के स्थानांतरण के लिए नाम तक नहीं मांगे गए।
कारागार मुख्यालय के दो बाबू निलंबित, तबादलों और पत्रावली में गोलमाल करने के मामले में हुई कार्यवाही