
हेमंत कश्यप
जगदलपुर।
जो बस्तर अपने वनांचल और वन्यजीवों के लिए देश में विख्यात रहा है। आज यहां वन्यजीव नजर नहीं आते। वन्य प्राणियों की गणना 6 वर्षों से नहीं हो रही है, इसलिए विभाग को भी नहीं मालूम कि बस्तर संभाग में कितने वन्य जीव हैं?
बस्तर संभाग का क्षेत्रफल केरल राज्य से बड़ा है। यहां इंद्रावती टाइगर रिजर्व, जगदलपुर और काँकेर वृत्त तथा राज्य वन विकास निगम अंतागढ़ वनांचल में हजारों वन्य जीव विचरण करते थे, किंतु अब सघन वन क्षेत्र में ही कुछ एक जानवर ही नजर आते हैं।
थे हजारों वन्य जीव
छत्तीसगढ़ राज्य वन्य प्राणी गणना वर्ष 2002 के अनुसार बस्तर संभाग में 5736 चीतल, 11184 जंगली सुअर, 183 गौर (बायसन), 51 वनभैंसा, 108 बाघ, 288 तेंदुआ, 1105 भालू तथा 802 सांभर के अलावा काफी संख्या में कोटरी, नीलगाय, सोन कुत्ता, लंगूर, लाल मुंह का बंदर, खरगोश, जंगली बिल्ली, सियार, भेड़िया, ऊदबिलाव, अजगर, शाही, नेवला नजर आते थे , किंतु अब इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, कांकेर तथा जगदलपुर वृत्त और राज्य वन विकास निगम अंतर्गत अंतागढ़ इलाके में कितने वन्य जीव हैं। इसकी कोई जानकारी विभाग के पास नहीं है।
6 साल से गणना नहीं
इंद्रावती टाइगर प्रोजेक्ट कार्यालय से संपर्क करने पर इस बात की जानकारी मिली कि 2018 के बाद संभाग में वन्य जीवों की गणना नहीं की जा रही है। कायदे से हर 3 साल के अंतराल में वन्य जीवों की गणना होनी चाहिए किंतु यह कार्य भी बस्तर में नहीं हो रहा है। बताया गया कि वन्य जीवों की गणना का कार्य अब राष्ट्रीय स्तर पर होता है और वह रिपोर्ट संबंधित विभागों को भेजी जाती है, लेकिन सीसीएफ (वन्यप्राणी) कार्यालय जगदलपुर के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है।
तेजी से खत्म हुए वन्य जीव
बस्तर में माटी तिहार मनाने के अवसर पर ग्रामीणों द्वारा वन्य जीवों का सामूहिक शिकार किया जाता है। इधर वन भूमि पर कब्जा करने हजारों ने लाखों एकड़ बनभूमि पर अतिक्रमण किया इसके अलावा उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र के शिकारियों से अलावा स्थानीय शिकारियों ने भी यहां के वन्य जीवों की जमकर हत्या की। बताते चलें कि सलवा जुडूम के समय पुलिस ने अंदरूनी इलाकों के लोगों का लायसेंसी हथियार थानों में जमा करवा लिया था। उस समय वन्य जीवों की संख्या यहां बढ़ी थी, किंतु हालात फिर बदतर हो गए हैं।