पुलिसिंग छोड़ लूटने में जुटे दागी पुलिसकर्मी, कई बार दागदार हो चुकी है खाकी

ए अहमद सौदागर/ लखनऊ

वर्ष 2019- गोसाईगंज में कोयला व्यापारी के घर पुलिस ने डकैती डाली, दो दरोगा आशीष, पवन व सिपाही प्रदीप सहित चार गिरफ्तार हुए।

वर्ष 2021- गोरखपुर में कानपुर निवासी मनीष गुप्ता की हत्या कर दागी पुलिसकर्मियों ने लूटपाट की।

वर्ष 2018- मड़ियांव में इंस्पेक्टर व दो दरोगाओं ने आगरा के सराफा कारोबारी विशाल जैन से चेकिंग के नाम पर लूट की।

वर्ष 2024- वाराणसी में दागी पुलिसकर्मियों ने चौक के सराफा व्यवसाई के दो कर्मचारियों से 42.50 लाख लूट की घटना को अंजाम देकर एक बार फिर पुलिस महकमे को शर्मसार किया।

यूपी में हुई उक्त घटनाओं से साफ है कि खाकी पुलिसिंग छोड़ हर फन में माहिर है। गोसाईगंज में कोयला व्यापारी के घर डकैती का मामला हो या वाराणसी में सराफा व्यवसाई से लाखों की हुई लूट ये कानून-व्यवस्था संभालने की जगह लूटने में जुटी हुई है। यह तो महज एक बानगी भर है इससे पहले भी कई बार दागी पुलिसकर्मियों की हरकतें खाकी को दागदार कर चुके हैं। दरअसल यूपी पुलिस और अपराध का नाता नया नहीं है। चंद दागी पुलिसकर्मियों के कारनामों की वजह से पूरे पुलिस महकमे पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं।

कानून-व्यवस्था बनाए रखने और अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी भूल कर कुछ पुलिसकर्मी दूसरे कामों में रुचि ले रहे हैं। वाराणसी में हुई घटना ने एक बार फिर पुराने जख्मों को ताजा कर दिया है। हालांकि पुलिस के आलाधिकारियों ने दागी पुलिसकर्मियों को निलंबित करने के साथ विभागीय कार्रवाई भी की, लेकिन इसके बावजूद दागी पुलिसकर्मी खाकी वर्दी पर दाग लगाने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। यही नहीं लखनऊ का श्रवण साहू हत्याकांड में आरक्षी धीरेन्द्र यादव व अनिल सिंह सिंह अन्य दागी पुलिसकर्मियों ने पुलिस महकमे को बदनाम किया था। हालांकि तत्कालीन एसएसपी ने सभी दागी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया था।

यही नहीं गौर करें तो वर्ष 2006 में गोमतीनगर से प्रापर्टी डीलर लोकनाथ के अपहरण में एक पुलिस अधिकारी तक की भूमिका सामने आई थी। सीओ की गर्दन फंसते देख महकमे की इज्जत दांव पर लगी तो आनन-फानन में एक अपराधी को मुठभेड़ में ठिकाने लगा कर मामला रफा-दफा कर दिया। सवाल है कि पुलिस महकमे में कुछ दागी पुलिसकर्मी बहुत पहले से बदनाम करते चले आ रहे हैं।

पुलिस महकमे में निचले स्तर के पुलिसकर्मियों में पनप रही अपराधिक प्रवृति के लिए बड़े अफसर भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं। इस मामले जब भी किसी जिम्मेदार पुलिस के आलाधिकारी से बात की जाती है तो बस उनका एक ही जवाब होता है कि कानून-व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

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