
नेपाल की नई केपी ओली सरकार ने चीन को कड़ा संदेश दिया है। चीन की सरकार 9 साल से हाइवे के लिए न तो पैसा दे रही है और न तकनीकी मदद। वह भी तब जब खुद शी जिनपिंग ने इसका वादा किया था। अब नेपाल की सरकार खुद से इसे पूरा करने जा रही है।
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
काठमांडू! चीन की सरकार नेपाल से दोस्ती के तमाम दावे करती है लेकिन जब बात पैसा खर्च करने की होती है तो वह टाल मटोल करने लगता है। चीन की सरकार पिछले 9 साल से वादा करने के बाद भी अरानिको हाइवे पूरा करने के लिए वित्तीय और तकनीकी मदद नहीं दे रही थी। अब नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने चीन को कड़ा संदेश देते हुए खुद ही इस हाइवे प्रोजेक्ट को पूरा करने का फैसला किया है। नेपाल के एक सांसद और कई अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है। चीन यह भी चाहता है कि नेपाल बीआरआई प्रोजेक्ट को मंजूरी दे लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई फैसला नहीं हो सका है। इससे भी चीन नेपाल की सरकार से खुश नहीं है।
नेपाल ने चीन को दिया कड़ा संदेश
साल 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति राम बरन यादव की यात्रा के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 16 अरब नेपाली रुपये देने का वादा किया था ताकि 115 किमी लंबे अरानिको हाइवे को अपग्रेड किया जा सके और ट्रांसपोर्ट ढांचा बनाया जा सके। यही वह हाइवे है जो नेपाल को चीन से जोड़ता है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाली सांसद माधव सापकोटा ने कहा कि चीन हर साल यह वादा करता है कि वह यह मदद देगा लेकिन कई बार फोन पर और बैठकों में अनुरोध करने के बाद भी बीजिंग की ओर से कोई मदद नहीं आ रही है।
नेपाल के खिलाफ सख्ती का दलाई लामा कनेक्शन
सापकोटा ने कहा कि चूंकि चीन की सरकार पैसा नहीं दे रही है, ऐसे में हमने अपने बजट से 3.6 अरब रुपये का आवंटन किया है ताकि इस 26 किमी लंबे हाइवे की मरम्मत की जा सके। साथ ही भूस्खलन से बचाया जा सके। अरानिको को कोदारी हाइवे के नाम से भी जाना जाता है। इस हाइवे को 1960 के दशक में चीन की सरकार ने ही बनाया था। इस हाइवे के कई हिस्से साल 2015 में आए भूकंप में क्षत-विक्षप्त हो गए हैं। उन्होंने बताया कि मैंने पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड से बात की तो उन्होंने चीन के राष्ट्रपति से फोन पर दो बार बात की। इसके अलावा चीन के वित्त मंत्रालय और दूतावास से भी कहा गया लेकिन काई फायदा नहीं हुआ।
नेपाली अधिकारियों के मुताबिक चीन की सरकार ने नेपाली सामानों और लोगों के आने-जाने पर बहुत कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। चीन सीमा के पास बसे नेपाली लोगों का कहना है कि चीन की सरकार को दलाई लामा के मानने वालों का डर सताता रहता है। इसी वजह से वे नेपाल के साथ सीमा पर सहयोग कम कर रहे हैं। धारचूला के नेपाली लोग चीन के भारी सुरक्षा इंतजामों का सामना कर रहे हैं। इस इलाके में भारत ने भी बड़े पैमाने पर एसएसबी के जवानों को तैनात कर रखा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि चीन ने भी बहुत बड़े पैमाने पर सैनिक तैनात किए हैं।