- शिकायत की जांच के बाद IG जेल ने किया निलंबित
- एक माह के अंदर कारागार विभाग के तीन बाबू हुए निलंबित
लखनऊ। जेल मुख्यालय और जेल कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्रीय कारागार वाराणसी में तैनात कनिष्ठ सहायक ने ACP देने के लिए जेल के ही हेड वार्डर से 50 हजार रुपए बतौर घूस मांगी थी। हेड वार्डर ने इसकी शिकायत परिक्षेत्र के DIG समेत अन्य आला अफसरों से कर दी। शिकायत की जांच में दोषी पाए गए कनिष्ठ सहायक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। इससे पूर्व मुख्यालय में पत्रावली में गड़बड़ी के आरोप में दो बाबू को निलंबित किया जा चुका है। एक माह के अंदर यह बाबुओं के निलंबन की तीसरी कार्यवाही है। इससे विभाग के बाबुओं में हलचल मची हुई है।
सूत्रों का कहना है कि मंडल की कारागार पर तैनात हेड वार्डर ने ACP का लाभ देने के लिए केंद्रीय कारागार वाराणसी के अधिष्ठान में कार्यरत कनिष्ठ सहायक धर्मेंद्र कुमार पांडेय से संपर्क किया। कनिष्ठ सहायक ने दो ACP देने के लिए हेड वार्डर से 50 हजार रुपए की मांग की। हेड वार्डर ने इसकी शिकायत परिक्षेत्र के डीIG समेत विभाग के अन्य आला अफसरों से कर दी। जांच में दोषी पाए जाने पर IG जेल के निर्देश पर कनिष्ठ सहायक धर्मेंद्र कुमार पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। निलंबित बाबू को प्रयागराज से संबद्ध किया गया है। इससे पूर्व जुलाई के प्रथम सप्ताह में IG जेल ने पत्रावली को लेकर गुमराह करने वाले मुख्यालय में गोपनीय अनुभाग के संजय श्रीवास्तव और विनय रावत को निलंबित किया था। एक माह के अंदर निलंबन को यह तीसरी कार्यवाही बताई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी जेल परिक्षेत्र की जेलों के कर्मियों को ACP देने के आवेदन किए। ACP देने के लिए ACP कमेटी के सदस्यों ने अभिलेखों के परीक्षण के उपरांत पात्र कर्मियों की संस्तुति करते हुए अपनी रिपोर्ट वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार वाराणसी को भेज दी। इस रिपोर्ट के पांच माह बाद भी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। जिससे वाराणसी मंडल में कार्यरत कर्मियों को समय से सेवा का लाभ नहीं दिए जाने के कारण आक्रोश व्याप्त था। ACP नहीं दिए जाने की जानकारी वरिष्ठ अधीक्षक व नियुक्ति अधिकारी को दी गई। यह प्रक्रिया अभी चल ही रही थी। इसी दौरान घूस लेकर ACP देने वाला मामला सामने आ गया। उधर इस संबंध में जब IG जेल पीवी रामाशास्त्री से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा।
गलती किसी की, कार्यवाही हो गई किसी पर
करे कोई, भरे कोई… यह कहावत कारागार मुख्यालय के अफसरों पर एकदम फिट बैठती है। मुख्यालय के दो बाबुओं के निलंबन को लेकर कर्मियों में तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि प्रभार किसी और के पास था और निलंबन किसी और का कर दिया गया। जानकारों का कहना है कि विभागीय कार्यवाही का प्रभार संभालने वाले बाबू को निलंबित कर दिया गया, जबकि गलती अधीक्षक संवर्ग का प्रभार देख रहे बाबू से हुई थी। इस मामले की पड़ताल में दूध का दूध पानी सामने आ जाएगा।
इंजीनियर के बगैर जेल विभाग में चल रहे करोड़ों के निर्माण कार्य!