अब कर्मियों को एक के बजाए दो स्तर ऊपर करनी होगी अपील

  • जेल मुख्यालय को नहीं कर्मचारी सेवा नियमावली की जानकारी!
  • नियम विरुद्ध नामित कर दिए गए अपीलीय अधिकारी

राकेश यादव

लखनऊ। कारागार विभाग में वार्डर संवर्ग और चतुर्थ श्रेणी दंड के विरुद्ध अपीलीय अधिकारी नामित कर दिए गए। वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन के दिए दंड और प्रतिकूल प्रविष्टि के विरुद्ध अपील के लिए इस संवर्ग के कर्मी किस अपीलीय अधिकारी के पास जायेंगे। इस सवाल का जवाब किसी भी अधिकारी के पास नहीं है। इससे कारागार मुख्यालय की ओर से नामित अपीलीय अधिकारियों का आदेश पूरी तरह से नियम विरुद्ध बताया जा रहा है। इसको लेकर संवर्ग के कर्मियों में पशोपेश की स्थिति बनी हुई है।

मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के नियम 11(1) में कहा गया कि किसी भी सरकारी सेवक के विरुद्ध जारी दण्डादेश के विरुद्ध अपील एक स्तर ऊपर के अधिकारी के समक्ष किए जाने का प्रावधान है। इस प्रकार वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड -1 के आदेश के विरुद्ध अपील वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड -2 के समक्ष की जाएगी। इसी प्रकार वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड -2 के जारी आदेश के विरुद्ध अपील डीआईजी के समक्ष की जा सकेगी।

सूत्रों का कहना है कि सेवा नियमावली में स्पष्ट रूप से कहा गया है दंडादेश के विरुद्ध अपील एक स्तर ऊपर के अधिकारी के समक्ष किए जाने का प्रावधान है। विभाग में वार्डर संवर्ग और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की नियुक्ति और दंड देने का अधिकार वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन और वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड टू दोनों को प्राप्त है। ऐसे में वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन के दिए गए दंड एवं प्रतिकूल प्रविष्टि के विरुद्ध अपील एक स्तर ऊपर वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड टू से की जाएगी या फिर दो स्तर ऊपर परिक्षेत्र डीआईजी से कैसे की जाएगी। जबकि सेवा नियमावली में एक स्तर ऊपर अधिकारी से करने का निर्देश दिया गया है। इसको लेकर वार्डर संवर्ग और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों में पशोपेश की स्थिति बनी हुई है। उधर इस संबंध में जब डीजी पुलिस/आईजी जेल पीवी रामाशास्त्री से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कई प्रयासों के बाद भी फोन नहीं उठाया।

निजी स्वार्थ की खातिर सृजित हुए वरिष्ठ अधीक्षक के दो पद

प्रदेश के कारागार विभाग में आईजी, एआईजी (प्रशासन), एआईजी (विभागीय), डीआईजी, वरिष्ठ अधीक्षक, अधीक्षक, हेड वार्डर और वार्डर के पद सृजित है। सूत्रों की माने तो करीब एक दशक पहले विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने निजी स्वार्थ की खातिर वरिष्ठ अधीक्षक के दो पद सृजित करा दिए। वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन और वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड टू के पद सृजित होने के बाद से यह समस्या खड़ी हो गई है। अब विभाग के आला अफसर इस मसले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। एक स्तर ऊपर अपील होने के नजरिए से अपीलीय अधिकारी नामित करने का आदेश पूरी तरह से नियम विरुद्ध है।

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