जन्म कुंडली के प्रतेक भाव में मंगल का फल 

  1. पहले भाव में : ज्योतिष अनुसार यह भाव जातक की शारीरिक बनावट के साथ ही उसके स्वभाव को भी दर्शाता है। इस भाव में स्थित मंगल आपको अद्भुत साहसी बनाता है। आपका शारीरिक तौर पर भी काफी मजबूत होना दर्शाता है। आप एक मुखर व्यक्ति हैं, जो भी मन में आता है बोलने से नहीं चूकते। लेकिन ऐसी हालत में कभी-कभी आपको दुस्साहसी होते हुए भी देखा जा सकता है। वहीं मंगल ग्रह की यह स्थिति कभी-कभी सिर दर्द और दुर्घटनाएं भी करवाती है।
  2. दुसरे भाव में : द्वितीय भाव को संपत्ति भाव भी कहा जाता है। इस भाव में मंगल ग्रह की स्थिति बहुत कडी मेहनत के बाद सफलता देने की संकेत करती है। मंगल यह की यह स्थिति कभी-कभी धन को बुरी आदतों और गलत माध्यमों के माध्यम से खर्च करने का संकेत भी करती है। आपके भीतर कभी-कभी जरूरत से ज्यादा चिड़चिड़ापन देखने को मिलेगा अथवा आपकी वाणी कुछ कडवाहट लिए हुए हो सकती है।
  3. तीसरे भाव में : तृतीय भाव को पराक्रम व भाई बहनों का भाव भी कहते हैं। तीसरे भाव का मंगल आपको शूरवीर और प्रसिद्ध बनाएगा। आप धैर्यवान और साहसी व्यक्ति हैं। आप अपने बाहुबल से ऐश्वर्यवान बनेंगे। आप शारीरिक रूप से स्वस्थ्य और बुद्धिमान व्यक्ति हैं लेकिन मंगल ग्रह की यह स्थिति आपको कुछ हद तक कटुभाषी भी बना सकती है। मंगल ग्रह की यह स्थिति कभी-कभी आपको, कानों या बाजुओं से सम्बंधित तकलीफें दे सकती है।
  4. चतुर्थ भाव में : चतुर्थ भाव माता व सुख का भाव है। चौथे भाव का मंगल आपको वाहन सुख और संतान का सुख तो देगा लेकिन यही मंगल मातॄ सुख में कमी करेगा। आप विभिन्न माध्यमों से लाभ कमाते रहेंगे लेकिन आग से होगे वाले खतरों का भय आपको हमेशा रहेगा। आपकी पैतृक सम्पत्ति खोने का भय भी मंगल की यह स्थिति निर्मित करती है। शिक्षा प्राप्ति में भी आपको कुछ व्यवधानों का सामना करना पडेगा। आपको आपकी आशा के अनुरूप पारिवारिक मदद भी नहीं मिल पाएगी।
  5. पंचम भाव में : पंचम भाव बुद्धि व पुत्र का भाव भी माना जाता है। पांचवे भाव में स्थित मंगल आपमें चंचलता देने के साथ-साथ आपको बुद्धिमान बनाता है, लेकिन आपके स्वभाव में उग्रता जल्द ही आ जाती है। आपका प्रथम पुत्र बहुत जल्द गुस्सा करने वाला होगा, उसे दुर्घटनाओं और चोट लगने का भय बना रहेगा। आप विपरीतलिंगी के प्रति अधिक आकर्षित हो सकते है, यदि आपने इस मामले में संयम से काम नहीं लिया तो आपकी बदनामी भी हो सकती है।
  6. छठे भाव में : छठे भाव शत्रु व रोग का भाव माना जाता है। इस भाव में मंगल आपको अपने नौकरों से परेशानी देता है। वहीं आप अपने दुश्मनों को कुचलने की ताकत रखते हैं। आप बलवान व्यक्ति हैं। कई मामलों में आपका धैर्य प्रशंसनीय रहता है। यहां स्थिति मंगल के कारण आपको फोडे फुंसियों और जलने का भय बना रहता है। मंगल की यह स्थिति आपके मामा या मौसी को भी कुछ नकारात्मक परिणाम दे सकती है।
  7. सप्तम भाव में : सप्तम भाव को विवाह भाव भी कहते हैं सातवें भाव में स्थित मंगल को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना गया है। यहां स्थित मंगल आपके विवाह में देरी का कारण बनने के साथ ही आपके जीवनसाथी के दु:ख का कारण भी बन सकता है। मंगल की यह स्थिति बेचैनी और चिडचिडापन देने के साथ-साथ तर्क और बहस करने वाला भी बना सकती है। आपको क्रोध जल्दी आ सकता है। आपकी वाणी कुछ हद तक कठोर हो सकती है।
  8. अष्टम भाव में : अष्टम भाव को आयु भाव भी कहते हैं। इस भाव में मंगल की स्थिति बहुत अनुकूल परिणाम नहीं देती। आठवें भाव में स्थित मंगल के कारण आप के शरीर में फोडे फुंसी या घाव होने की भी सम्भावनाएं बनी रहेंगी। आपको आग और चोरी की वजह से धन हानि हो सकती है। मंगल की यह स्थिति आपके पिता के जीवन के कुछ खतरों की संकेतक हो सकती है। मंगल की यह स्थिति आपको तेज मिर्च मसाले की बनी चीजों और शराब की ओर भी आकर्षित कर सकती है।
  9. वम भाव में : नवम भाव को भाग्य भाव भी कहते है। यहां स्थित मंगल जातक को कुछ हद तक अभिमानी बना सकता है। आप जीवन में बडी सफलता प्राप्त करेंगे लेकिन यह सफलता आपको अपने जीवनकाल मे 27 वर्षों के बाद ही मिलेगी। मंगल की यही स्थिति आपको कोई नेता या बडा अधिकारी भी बना सकती है। कभी-कभी यह स्थिति आप ईर्ष्यालु भी बना सकती है। अत: केवल स्वाभिमानी बनें रहने का प्रयास करें, अभिमानी न बनें। हो सकता है कि आपको अपने पिता के कारण कुछ विषम परिस्थियों से भी गुजरना पडे।
  10. दसम भाव में : दशम भाव को कर्म भाव भी कहते हैं। मंगल ग्रह की दशम भाव में स्थिति आपको धनवान तो बनाएगी ही साथ ही आपको को कुछ विशेष गुणवान बनाएगा जिसके कारण आप प्रसिद्ध होंगे और कुलदीपक की भूमिका निभाएंगे। आपकी रुचि मकैनिकल इंजीनिअर, इलेक्ट्रानिक इंजीनिअर, हथियारों से जुडे काम या वर्दी से जुडे कामों में हो तो यह मंगल आपकी मदद कर सकता है। यहां स्थित मंगल शल्य चिकित्सा या मंत्रों के ज्ञान में भी दक्ष बनाता है।
  11. लाभ भाव में : एकादश भाव को आय भाव भी कहते हैं। ग्यारहवें भाव में स्थित मंगल आपको धैर्यवान बनाता है। आप एक साहसी व्यक्ति हैं और अपने जीवन काल में खूब लाभ कमाएंगे। पंचम भाव पर दृष्टि होने के कारण ग्यारहवें भाव में स्थित मंगल आपको संतान से संबंधित परेशानियां दे सकता है जैसे कि संतान की पैदाइस में विलम्ब या गर्भपात जसी स्थितियां भी आ सकती हैं।
  12. व्यय भाव में : द्वादश भाव को व्यय भाव भी कहा जाता है। यहां स्थित मंगल अधिकांश मामलों में विपरीत परिणाम ही देता है। खर्चे अधिक होने के कारण आपको कर्जदार भी होना पड सकता है। यह आपको शस्त्र विद्या में निपुण बनाता है। आपको चोरो का भय भी रह सकता है अत: अपनी चीजों को सही ढंग से सहेजकर रखना उचित होगा। कभी-कभी फिजूलखर्ची के कारण आपको आर्थिक विषमताओं का भी सामना करना पड सकता है।

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