EXCLUSIVE: रक्षाबंधन पर बन रहे हैं ये अद्भुत संयोग, जाने शुभ मुहूर्त, मंत्र, विधि और भद्रा काल

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी

(प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य)

इस बार रक्षाबंधन का त्योहार कई शुभ संयोगों में पड़ा है। रक्षाबंधन के दिन सावन सोमवार है और श्रावण पूर्णिमा भी है। रक्षाबंधन पर ये दो महत्वपूर्ण व्रत हैं। इस बार रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन पर 7 घंटे 39 मिनट तक भद्रा का साया है। वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि में रक्षाबंधन मनाते हैं, उसमें भी खासकर भद्रा का साया न हो, इसका विशेष ध्यान रखते हैं। राखी बांधने के लिए भद्रा रहित शुभ मुहूर्त का विचार करना उत्तम रहता है। भद्रा अशुभ है, उस समय में आप जो काम करते हैं, उसका शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है। सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी बता रहे हैं रक्षाबंधन पर राखी बांधने का सही समय क्या है?

रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। पूर्णिमा तिथि इस बार 19 अगस्त की सुबह 3 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 19 अगस्त की रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। लेकिन, इस दिन क्या रहेगा भद्रा का समय, चलिए जानते हैं?

भद्रा का साया

ज्योतिषचार्य पं सुधांशु तिवारी के अनुसार, 19 अगस्त की रात 2 बजकर 21 मिनट पर भद्रा लग जाएगी। सुबह 09 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट तक पर भद्रा पुंछ रहेगा। फिर, सुबह 10 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक भद्रा मुख रहेगा। इसके बाद, भद्रा का समापन दोपहर 1 बजकर 30 पर होगा। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, भद्रा को बहुत ही अशुभ समय माना जाता है और इस काल कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। और 19 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 30 मिनट के बाद ही राखी बांधी जा सकती है

राखी बांधने के शुभ मुहूर्त

19 अगस्त को राखी बांधने का सबसे खास मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 20 मिनट तक रहेगा, आप उसमें राखी बंधवा सकते हैं। राखी बांधने के लिए कुल आपको 2 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा, जो कि सबसे शुभ समय माना जा रहा है। इसके अलावा, आप शाम के समय प्रदोष काल में भी भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं। इस दिन शाम 06 बजकर 56 मिनट से रात 09 बजकर 07 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा।

भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती है राखी

रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। ऐसा कहा जाता है कि लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था। ऐसा कहा जाता है कि भद्रा शनिदेव की बहन थी। भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा।

बन रहे हैं ये शुभ योग

रक्षाबंधन पर कई शुभ योग बन रहे हैं, रवि और सर्वार्थ सिद्ध योग का भी नाम शामिल है। वहीं इस दिन सूर्य देव भी अपनी स्वराशि में संचरण कर रहे हैं। साथ ही कर्मफल दाता शनि देव भी शश राजयोग बनाकर विराजमान हैं। इसके साथ ही बुध और शुक्र भी इस राशि में होंगे, जिससे बुधादित्य और शुक्रादित्य राजयोग का बन रहा है।

रक्षाबंधन पूजन विधि

राखी बांधने से पहले बहन और भाई दोनों उपवास रखें। इस दिन पहले एक थाल ले लें। थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें, घी का एक दीपक भी रखें। रक्षासूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें। इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं। उसके बाद पहले भाई को तिलक लगाएं और फिर रक्षासूत्र बांधें। फिर भाई की आरती करें, मिठाई खिलाकर भाई के लिए मंगल कामना करें। रक्षासूत्र बांधने के समय भाई या बहन का सिर खुला नहीं होना चाहिए। रक्षासूत्र बंधवाने के बाद माता पिता और गुरु का आशीर्वाद लें। फिर बहन को सामर्थ्य अनुसार उपहार दें। उपहार में ऐसी वस्तुएं दें जो दोनों के लिए मंगलकारी हों, काले वस्त्र या तीखा या नमकीन खाद्य न दें।

रक्षासूत्र या राखी कैसी होनी चाहिए

रक्षासूत्र तीन धागों का होना चाहिए- लाल, पीला और सफेद। रक्षासूत्र में चंदन लगा हो तो बेहद शुभ होगा। कुछ न होने पर कलावा भी श्रद्धा पूर्वक बांध सकते हैं।

रक्षाबंधन पर करें इस मंत्र का जाप

हिंदू धर्म में रक्षा बंधन की विशेष मान्यता है। ऐसे में आप भी अपने भाई को राखी बांधते वक्त इस विशेष मंत्र का जाप करें। माना जाता है कि इस मंत्र को जपते हए राखी बांधने से भाई-बहन में प्यार हमेशा बना रहता है।

‘येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः

तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचलः’

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