रक्षाबंधन पर्व आजः इस बार बन रहे हैं कई शुभ योग

  • जानिए किस विधि से बांधे राखी और कब है शुभ मुहूर्त
  • रक्षाबंधन की यह कथा जानकर आप भी रह जाएंगे सन्न

राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद

भारत में रक्षाबंधन के त्योहार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे रिश्तों में मिठास, विश्वास और प्रेम बढ़ाने वाला पर्व माना गया है। इस दिन बहन भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी तरक्की की कामना करती हैं। वहीं इस दौरान भाई बहन को रक्षा का वचन देता है। इस पर्व को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन मनाया जाता है। सावन माह की पूर्णिमा तिथि के बाद भाद्रपद माह की शुरुआत हो जाती है। इस साल 19 अगस्त 2024 को रक्षाबंधन मनाया जाएगा। इस दिन सावन का आखिरी सोमवार व्रत भी है। इस दौरान कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जो राखी के पर्व को बेहद खास बनाएंगे। बता दें, इस साल राखी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग का निर्माण हो रहा है।

इन योग में राखी बांधने से भाई की तरक्की में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। वहीं सभी बहनों को राखी हमेशा सही विधि के साथ ही बांधनी चाहिए। इससे रिश्तों में मिठास बनी रहती हैं।

रक्षाबंधन का महत्व

राखी एक प्राचीन हिंदू त्यौहार है। रक्षा बंधन पर उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में सार्वजनिक अवकाश है। जैसा कि पहले खंड में बताया गया है, राखी का त्यौहार भाई-बहन के बीच के बंधन का जश्न मनाता है। यह त्यौहार देश की कई संस्कृतियों में बहुत प्रसिद्ध है क्योंकि भाई-बहनों के बीच कर्तव्य और प्रेम की अवधारणा सार्वभौमिक है। त्यौहार के दिन सुबह भाई-बहन अपने परिवार के साथ इकट्ठे होते हैं। बहनें सुरक्षा के प्रतीक के रूप में राखी (धागे) बांधती हैं।

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राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त दोपहर 01:32 से लेकर रात 09:07 तक रहने वाला है।

रक्षाबंधन – एक मानसून त्योहार

रक्षाबंधन एक मानसूनी त्यौहार है, जिसका एक गहरा अर्थ है। बारिश का मौसम जीवन की सारी गंदगी और उलझनों को मिटा देता है। यह मौसम हमें समृद्धि और जीवन का भरपूर आनंद लेने की एक नई उम्मीद देता है। इसीलिए भाई-बहनों के बीच प्यार के अटूट बंधन और सौभाग्य के आगमन का जश्न मनाने के लिए श्रावण मास को पवित्र माना जाता है।

राखी बांधने की विधि

रक्षाबंधन के शुभ दिन पर राखी बांधने से पहले एक थाली सजा लें। सबसे पहले थाली में रोली चावल को रखें। इसके बाद आप राखी और मिठाई को रख लें।  इस दौरान दिया जलाना न भूलें। अब सबसे पहले भाई को तिलक लगाएं। फिर दाहिने हाथ में राखी बांधें। इस दौरान राखी में तीन गांठ बांधें। मान्यता है कि राखी की इन तीन गांठ का महत्व ब्रह्मा, विष्णु और महेश से होता है। फिर भाई को मिठाई खिलाएं। अब उसकी आरती उतारते हुए, भाई की लंबी उम्र, सुखी जीवन तथा उन्नति की कामना करें।

रक्षाबंधन की कथा

जब असुर राजा बलि के दान धर्म से खुश होकर भगवान विष्णु ने उससे वरदान मांगने को कहा तो राजा बलि ने विष्णु भगवान से अपने साथ पाताल लोक में चलने को कहा और उनके साथ वही रह जाने का वरदान मांगा। तब विष्णु भगवान उनके सात बैकुंठ धाम को छोड़ कर पाताल लोक चले गए। बैकुंठ में माता लक्ष्मी अकेली पड़ गईं। भगवान विष्णु को पताल लोक से वैकुंठ लाने के लिए माता लक्ष्मी ने अनेक प्रयास करने लगीं। फिर एक दिन मां लक्ष्मी राजा बलि के यहां एक गरीब महिला का रूप धरण करके रहने लगीं। जब मां एक दिन रोने लगी तब राजा बलि ने उनसे रोने का करण पूछा माता लक्ष्मी ने बताया कि उनका कोई भाई नहीं है, इसलिए वे उदास हैं। ऐसे में राजा बलि ने उनका भाई बनकर उनकी इच्छा पूरी की और माता लक्ष्मी ने राजा बलि की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा। फिर राजा बलि ने उनसे इस पवित्र मौके पर कुछ मांगने को कहा तो मां लक्ष्मी ने विष्णु जी को अपने वर के रूप में मांग लिया और इस तरह श्री विष्णु भगवान बैकुंठ धाम वापस आए।

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