- कस्टम अधिकारियों की चौकसी का परिणाम है इतने बड़े पैमाने पर लाल चंदन की बरामदगी – वैभव कुमार सिंह डिप्टी कमिश्नर कस्टम
नेपाल में काठमांडू से लगभग 125 किमी दूर अर्निको हाईवे पर स्थित तत्तोपानी नेपाल-चीन बार्डर पर ट्रेड प्वाइंट है। चीन और नेपाल के अन्य बार्डर की अपेक्षा यहां सुरक्षा हल्की है। यह बार्डर 2015 में बंद कर दिया गया था लेकिन मई 2023 में यह दोबारा शुरू हो गया। यह क्षेत्र भी नेपाल से स्मलिंग का सामान चीन भेजने और वहां से माल मंगाने के लिए तस्करों के लिए मुफीद है।
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
सोनौली महराजगंज! दक्षिण भारत में मिलने वाला लाल चंदन नेपाल के रास्ते चीन भेजा रहा है। भारत-नेपाल की सोनौली सीमा पर बुधवार को कस्टम विभाग को एक बड़ी कामयाबी मिली है। जब एक नेपाली नंबर के कंटेनर में बनी कैविटी से डेढ़ टन और एक गोदाम से एक टन लाल चंदन बरामद बरामद हुआ है। बरामद लाल चंदन की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ढाई करोड़ रुपए बताई गई है। इससे पहले बीते 29 अगस्त को भारतीय सीमा से सटे नेपाल के नवलपरासी जिले में करीब डेढ़ क्विंटल लाल चंदन की बरामदगी हुई थी।
विदेश व्यापार नीति के अनुसार भारत में लाल चंदन का निर्यात प्रतिबंधित है। नवलपरासी जिले के प्रहरी डीएसपी रेशम बोहरा ने बताया कि लाल चंदन को भारत की ठूठीबारी सीमा के रास्ते नेपाल के रामग्राम पहुंचाया गया था। इसे चीन भेजे जाने की योजना थी।इससे पूर्व भी 75 क्विंटल लाल चंदन बरामद किया गया था। विभिन्न स्थानों से बरामद करीब 300 टन लाल चंदन को नेपाल वन विभाग ने अपनी निगरानी में रखा है। विभागीय प्रक्रिया पूरी होने के बाद भारत को सौंपा जाना है। मिली जानकारी के अनुसार लाल चंदन का उपयोग चीन में औषधि, सौंदर्य प्रसाधन व उच्च स्तरीय फर्नीचर बनाने में होता है।
वर्ष 2008 में बसुली जंगल के समीप बरामद हुआ था 10 टन लाल चंदन
महराजगंज के बसुली जंगल के समीप वर्ष 2008 में वन कर्मियों ने ट्रक से ले जाई जा रही 10 टन लाल चंदन की लकड़ी बरामद की थी। तस्कर इसे नेपाल के रास्ते चीन भेजने की फिराक में थे। बरामद चंदन को निचलौल व उत्तरी चौक रेंज परिसर में रखा गया था। जिस ट्रक से लकड़ी बरामद हुई थी, उसे बाद में जुर्माना लगा कर छोड़ दिया गया था। मौका पाकर तस्कर भी घटना स्थल से फरार हो गए।
सामान के बीच छिपाकर लाते हैं लाल चंदन
नेपाल में लाल चंदन संग गिरफ्तार तस्कर ने उस समय पुलिसिया पूछताछ में बताया था कि तस्कर आंध प्रदेश से लकड़ी को ट्रकों में दूसरे सामानों के बीच छिपाकर लाते हैं। भारत से नेपाल भेजे जाने वाले चिकित्सकीय उपकरणों व विभिन्न वाहनों के कल पुर्जों के बीच में रखकर इसे नेपाल पहुंचाया जाता है। सौनौली व ठूठीबारी सीमा पर वाहन स्कैनिंग उपकरण न होने से यह पकड़ में नहीं आते। नेपाल पहुंचने पर उसे किसी स्थान पर डंप कर दिया जाता है। इसके बाद नेपाली गाड़ियों से नारायण घाट, मुग्लिंग, गोर्खा जिले के तात्तोपानी बार्डर होते हुए तिब्बत के रास्ते चीन पहुंचा दिया जाता है। पहले विभिन्न स्थानों पर वन उत्पादों की जांच के लिए विभाग ने बैरियर भी बनाए थे, लेकिन अब इसके सक्रिय न होने से तस्करों को आसानी हो गई है।
चीन में 30-35 हजार रुपये किलो है लाल चंदन की कीमत
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आइयूसीएन) की लुप्तप्राय सूची में शामिल है। यह आंध्र प्रदेश में पाया जाता है। यहां की शेषाचलम पहाड़ियों पर मिलने वाले लाल चंदन के पेड़ 11 मीटर तक लंबे होते हैं। तमिलनाडु सीमा से सटे चित्तूर, कड़प्पा, नेल्लार व कुरनूल जिलों में यह पेड़ पाए जाते हैं। बताया जाता है कि भारतीय बाजार में लाल चंदन 10 -15 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 30-35 हजार रुपये प्रति किलो है।
बरामदगी के संबंध में डिप्टी कमिश्नर कस्टम वैभव कुमार सिंह ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया प्रतिनिधियों को बताया कि मुखबिर से मिले इनपुट के आधार पर कस्टम विभाग की टीम ने एक नेपाली नंबर की कंटेनर को नेपाल प्रवेश करने के पहले ही बार्डर पर रोक लिया। उसे वापस लाकर जब उसकी तलाशी ली गई तो कंटेनर में बनी कैविटी से डेढ़ टन और उसी संबंधित गोदाम से एक टन लाल चंदन की बरामदगी की गई है। दोनों को मिलाकर ढाई टन लाल चंदन की लकड़ी बरामद किया गया है। इस सिलसिले में लाल चंदन की तस्करी से संबंधित एक गोदाम को भी सील किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बरामद लाल चंदन की कीमत ढाई करोड़ रुपए बताई गई है। उन्होंने कहा कि इस मामले की नये सिरे से तहकीकात की जा रही है। जांच के बाद ही मामले का खुलासा किया जाएगा।