राष्ट्रीय पुस्तक मेला : पाठक चाह रहे किताबों से खोलना अध्यात्म के द्वार

  • सत्य-असत्य, न्याय पथ, अबके बिछुड़ा फिर न मिलेंगे जैसी पुस्तकों का हुआ विमोचन

लखनऊ। अगर आप जागरूक हैं तो हर चीज आध्यात्मिक है और अगर जागरूक नहीं, तो सब कुछ भौतिक है। ऐसा ही कुछ फलसफा यहां बलरामपुर गार्डन में चल रहे इक्कीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में आने वाले पुस्तक प्रेमियों का भी माना जा सकता है। यहां बड़ी तादाद में धर्म, अध्यात्म की पुस्तकें हैं, जो मोटे अनुमान के अनुसार बिक्री में साहित्य के मुकाबले आगे ही हैं और यहां आने वाले किताबों के जरिये अपने लिये अध्यात्म के द्वार खोलने को उत्सुक दिखायी दे रहे हैं।

पुस्तक मेले का तीसरे और रविवार के दिन आज सुबह से ही भीड़ शुरू हो गयी। मेले में पहली बार आये गीता प्रेस के स्टाल पर मानस के विशिष्ट संस्करण के संग भागवत पुराण, नारद पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथ हैं तो कल्याण पत्रिका के विशिष्ट अंक भी हैं। राष्ट्रधर्म प्रकाशन के स्टाल पर भी राष्ट्रधर्म पत्रिका के विशेष अंकों के साथ अन्य प्रकार का साहित्य उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के स्टाल पर अध्यात्म और दर्शन से सम्बंधित प्राचीन संस्कृत ग्रंथों के साथ संस्कृत साहित्य भी प्रचुर मात्रा मे है। रामकृष्ण मठ के स्टाल में रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानन्द की पुस्तकों में युवा पाठक खासी रुचि दिखा रहे हैं।

आचार्य श्रीराम शर्मा की धर्म-अध्यात्म और धार्मिक ग्रंथों की सरल व्याख्या करती सैकड़ों पुस्तकें गायत्री ज्ञान मंदिर के स्टाल पर हैं। आर्य प्रतिनिघि सभी के स्टाल पर सत्यार्थ प्रकाश जैसी पुस्तकें हैं। योगदा सत्संग के स्टाल पर योग और ध्यान से सम्बंधित पुस्तकें हैं। अहमदिया मुस्लिम कम्यूनिटी के स्टाल पर इस्लाम से सम्बंधित साहित्य है तो गिडियान्स के स्टाल पर लोगों को बाइबिल भी उपलब्ध है।

साहित्यिक मंच पर गौतम बुक सेंटर और सिद्धार्थ बुक्स के संयोजन में आज सुबह पूर्व जिला न्यायधीश श्यामबिहारी वर्मा की वैचारिक और सामाजिक पुस्तकों सत्य-असत्य और न्याय पथ का विमोचन हुआ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से आयोजित काव्यगोष्ठी के संग पुस्तकों का विमोचन हुआ। अरुण सिंह के संचालन में राजकुमार सिंह के सद्य प्रकाशित दूसरे काव्य संग्रह उदासी कोई भाव नहीं पर परिचर्चा में सर्वेन्द्र विक्रम, योगेश मिश्रा, राजेश चन्द्रा के संग पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप ने विचार व्यक्त किये। राजकुमार सिंह ने काव्य पाठ भी किया। हिन्दी वांग्मय निधि के संयोजन में टामस ग्रे की लिखी एलेजी रिटेन इन अ कंट्री चर्चयार्ड का रामकिशोर बाजपेयी द्वारा किये हिन्दी पद्यानुवाद अबके बिछुड़े फिर न मिलेंगे का विमोचन किया गया।

पूर्व मुख्य सचिव शम्भू नाथ की अध्यक्षता में व प्रेमकांत तिवारी के संचालन में चले कार्यक्रम में नाबार्ड के पूर्व कार्यकारी निदेशक अमरेश कुमार शैलेन्द्र नाथ चतुर्वेदी, कनकरेखा चौहान, शोभा बाजपेयी, प्रज्ञा बाजपेयी आदि ने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में आईपीएस डा.अरविंद चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार प्रद्युम्न तिवारी, प्रकाशक अमित भार्गव भी उपस्थित रहे। इससे पहले अखिल भारतीय साहित्य परिषद महानगर द्वारा निर्भय नारायण गुप्त निर्भय के गीत संग्रह तम को तो आखिर मिटना है का विमोचन सम्मान समारोह एवं काव्य सम्मेलन के साथ हुआ। अध्यक्ष प्रो.हरिशंकर मिश्र और वक्ता डा.अनिल मिश्रा ने गीत के विभिन्न अवयवों को व काव्य और गीत को परिभाषित करते हुए गीतों की समीक्षात्मक विवेचन किया। ओम नीरव और राजेंद्र शुक्ल राज द्वारा गीत संग्रह की विस्तृत समीक्षा की। शाम को दौलतदेवी स्मृति संस्थान का कार्यक्रम हुआ।

30 सितम्बर के कार्यक्रम

पूर्वाह्न 11.00 बजे अगीत परिषद : पुस्तक विमोचन

अपराह्न 12.30 बजे कार्यक्रम : मीडिया फाउण्डेशन

अपराह्न 2.00 बजे कार्यक्रम : राजकमल प्रकाशन

अपराह्न 3.00 बजे    प्रकाशन विभाग का स्वच्छता पर कार्यक्रम

अपराह्न 3.30 बजे संगोष्ठी : साहित्य एवं संस्कार

शाम 5.00 बजे काव्य समारोह : संस्कृत भाषा

शाम 6.30 बजे आयोजन : जन संस्कृति मंच

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