पितृ पक्ष में पितृदोष के लिए उपाय व फल: ऐसा करने से पितृ होते हैं संतुष्ट

महालया ( पितृपक्ष ) अमावस्या तिथि की श्राद्ध आज यानि बुधवार को

जिनकी कुण्डली में पितृदोष है वह पितृपक्ष में एक पीपल का पेड़ लगायें और संकल्प लें इस वृक्ष की सेवा में आजीवन करुँगा और अपने पितरों के नाम से इसकी देख भाल करुँगा।आज यानि बुधवार को अमावस्या की श्राद्ध व तर्पण करने से पितरों के आशीर्वाद से व्यक्ति को धन-संपत्ति अक्षुण्ण रहती है अर्थात् इस जन्म में व अगले जन्म में धन की कमी नहीं होती है।

आज अमावस्या तिथि की श्राद्ध है जो व्यक्ति ऐसे हैं जिन्हें अपने पितरों का स्वर्गवास स्मरण नहीं है या फिर किसी कारण वश उनकी मृत्यु तिथि का सही सही ज्ञान नहीं है उन सभी व्यक्तियों की श्राद्ध आज यानि अमावस्या तिथि को किया जाता है साथ ही जुड़वां लोगों का श्राद्ध भी किया जाता है इससे पितरों का असीम आशीर्वाद मिलता है।

सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या आज

आश्विन माह की अमावस्या को ही सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि करना चाहिए। दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है।

हर साल श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण किया जाता है। पंचांग के अनुसार, 2024 में श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर को भादो महीने की पूर्णिमा के दिन आरंभ हुआ था जो 2 अक्तूबर यानी आश्विन महीने की अमावस्या तक रहेगा। आश्विन माह की अमावस्या को ही सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि करना चाहिए। दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस महान अनुष्ठान के बिना पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती है। इसलिए हर साल पितृ पक्ष के दौरान लोग सच्चे मन से श्राद्ध पूजा करते हैं।

सर्वपितृ अमावस्या कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार आश्विन माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की यह अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर 2024 को प्रातः 9:34 बजे प्रारंभ होकर 2 अक्टूबर 2024 को 24:18 बजे समाप्त होगी। उदयतिथि के अनुसार 2 अक्टूबर को अमावस्या की पूजा होगी। इस दिन कुतुप मुहूर्त सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक है। उसके बाद रोहिण मुहूर्त दोपहर 12:34 बजे से दोपहर 1:34 बजे तक होगा।

कुतुप और रोहिण मुहूर्त के अलावा दोपहर में तर्पण करना भी शुभ माना जाता है। दरअसल, तर्पण पूजा दोपहर में ही होती है। मान्यता है कि दोपहर के समय किया गया तर्पण पितरों द्वारा स्वीकार किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या में तर्पण का मुहूर्त 2 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 21 मिनट से अपराह्न 3:43 बजे तक है।

अमावस्या पर किनका श्राद्ध करते हैं?

सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध करना शुभ होता है। जिन लोगों की मृत्यु तिथि आपको ज्ञात नहीं है, उनका श्राद्ध भी सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जा सकता है।

तर्पण करने की विधि

  • आप जिस स्थान पर तर्पण करने जा रही हैं उसे गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद एक दीपक जलाएं।
  • आपको जिस व्यक्ति का तर्पण करना है, उनकी फोटो चौकी पर स्थापित करें।
  • मंत्रों का जाप करके पितरों का आह्वान करें।
  • जल से भरा लोटा लें और पितरों का नाम लेते हुए फोटो के सामने जल चढ़ाएं।
  • घी, दूध और दही को साथ में मिलाएं और फिर उसे जल में अर्पित करें।
  • इस दौरान तर्पयामी मंत्र का उच्चारण करें।
  • पिंड बनाएं और फिर उसे कुश पर रखके जल से सींचें।
  • पितरों व पूर्वजों को उनके प्रिय भोजन का भोग लगाएं।
  • पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करें।
  • पशु-पक्षियों को भोजन कराएं।

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

सर्वपितृ अमावस्या का दिन आखिरी श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सभी पितरों के नाम से श्राद्ध कर्म के कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन जिन परिजनों की श्राद्ध की तिथि पता नहीं होती है उनके सभी नाम से भी श्राद्ध किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि के कार्य करने से पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

राजेन्द्र गुप्ता,ज्योतिषी और हस्तरेखाविद

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