सरल व्यक्तित्व दृढ़ निष्ठा के धनी थे -लाल बहादुर शास्त्री

  • आजादी के आंदोलन मे गांधी जी से प्रभावित
  • रेल दुर्घटना पर मंत्रिपद से दिया इस्तीफा
  • प्रधान मंत्री के रूप मे एक सशक्त नेता
  • “जय जवान जय किसान” का दिया नारा

 

 

बी के मणि त्रिपाठी

2अक्टूबर,1984 को जन्में लालबहादुर शास्त्री गरीब परिवार के थे। पढ़ाई के लिए इंगलैंड नहीं जासकते थे‌,परंतु पढ़ाई कि ललक थी,जिसके कारण गंगापार पर काशी विद्यापीठ मे आकर संस्कृत शिक्षा ग्रहण करनै लगे। नाव पार करने का जिस दिन पैसा नही होता नदी तैर कर पार करते। इनका विवाह ललिता शास्त्री से हुआ। महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन से प्रभावित होकर पढ़ाई के बीच आंदौलन मै कूद पड़े। 22साल का नौजवान रोटी कमाने की बजाय देश सेवा मे उतर आया। आजादी की लड़ाई मे बढ़ चढ़ कर भाग लेने लगे। शांत और मृदु भाषी लालबहादुर आजादी के बाद मंत्रिमंडल का हिस्सा बने। रेल मंत्री के रूप मे काम करते हुए जब एक बार रेल दुर्घटना हुई तो उसका जिम्मेदार खुद को मानते हुए मंत्रि पद से इस्तीफा दे दिया‌,तब लोगो को इनकी संवेदनशीलता और त्याग का अंदाजा लगा‌। पंडित जवाहरलाल नेहरू के 27 म ई 1964को निधन के बाद इ्न्हे प्रधान मंत्री की बागडोर सौंपी गई। तो उस समय कद मे छोटे लाल बहादुर शास्त्री को लोगो ने कम आंका। भारत पाक लड़ाई मे जब लाल बहादुर शास्त्री ने अपने देश के नौजवानो को ललकारा तो लाहौर तक कब्जा सूबा लेकर हमारे सैंनिक पाकिस्तानी सेना से भिड़ गए। किंतु ताशकंद समझौते मे पाकिस्तान से छीनी गई जमीन हमें लौटानी पड़ी‌ इस बीच अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र का शिकार होकर ये मारे गए। 11जनवरी 1966को इनका निधन होगया। इन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया। सन पैंसठ मे अन्न का संकट होने पर रेलवे की खाली जमीनें ,स्कूल के प्लेग्राउंड में खेती कर अन्न उपजाने का आह्वान किया। ताकि अमेरिका से आए पीएल 480के गेहूं के भरोसे न जीना पड़े।

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