- सत्र के दौरान तबादलों की तैयारियों से मिल रहे कुछ ऐसे संकेत
- वरिष्ठ अधीक्षक को अधीक्षक की जेल पर तैनात करने की चल रही कवायद
राकेश यादव
लखनऊ। शासन में बैठे आला अफसरों ने जेलों में तैनाती की व्यवस्था को ही अस्त व्यस्त कर दिया है। जेल परिक्षेत्र में वरिष्ठ अधीक्षक को प्रभारी डीआईजी बनाए जाने के मामले का अभी सुलझ नहीं पाया कि अब एक नई कवायद शुरू हो गई है। वरिष्ठ अधीक्षक की जेल पर अधीक्षक और अधीक्षक की जेल पर वरिष्ठ अधीक्षक तैनात करने की कवायद चल रही है। कुछ ऐसे संकेत स्थानांतरण सत्र में विभागीय अधिकारियों के जेलों पर तैनाती की तैयारियों में सुनने को मिल रहे है। उधर प्रमुख सचिव कारागार इस मसले पर कोई भी टिप्पणी करने से बचते नजर आ रहे हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय कारागारों और मंडलीय कारागारो में वरिष्ठ अधीक्षक, जिला जेलों में अधीक्षक और उप कारागारों में जेलर तैनात किए जाने का प्रावधान है। प्रमुख सचिव/महानिदेशक कारागार समेत अन्य अफसरों ने जेल मैनुअल की इस व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है। स्थानातरण सत्र के दौरान होने वाले तबादलों की तैयारियों में कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं।
सूत्रोंं का कहना है कि प्रमुख सचिव/महानिदेशक कारागार के कथित “गुड वर्कर” वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन ने चार साल से लखनऊ जेल पर कब्जा जमा रखा है। लंबे कार्यकाल के दौरान जेल में घटित घटनाओं की जांच में निलंबन तक की संस्तुति होने के बाद शासन ने इस गुड वर्कर के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। शासन ने कार्यवाही करने के बजाए नियमों को दरकिनार कर 20 दिन पहले वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन को लखनऊ जेल परिक्षेत्र का प्रभारी डीआईजी बना दिया।
सूत्रों का कहना है शासन में मजबूत पकड़ रखने वाला यह कथित गुड वर्कर अब नोएडा और गाजियाबाद जाने की जुगत में लगा हुआ है। यह दोनों जिला जेल है। जेल नियमानुसार इन जेलों पर वरिष्ठ अधीक्षक की तैनाती नहीं की जा सकती है। इसी प्रकार प्रदेश की सर्वाधिक कमाई वाली जेल पर करीब चार साल तैनात अधीक्षक को सहारनपुर मंडलीय कारागार भेजे जाने की कवायद चल रही है। नियमानुसार इस जेल पर वरिष्ठ अधीक्षक को तैनात किया जाना चाहिए। यह तो कुछ बानगी है।
इस प्रकार कई अधिकारी नियमों को ताख पर रखकर कमाऊ जेलों पर तैनाती की जुगत में लगे हुए हैं। उधर इस संबंध में जब प्रमुख सचिव/डीजी जेल राजेश कुमार सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नहीं उठा। निजी सचिव विनय सिंह ने साहब के व्यस्त होने की बात कहकर बात कराने से मना कर दिया।
शासन नहीं करता दोषी अफसरों पर कार्यवाही
कानपुर जेल अधीक्षक को 21 जून 2020 को वरिष्ठ अधीक्षक वाली लखनऊ जेल पर तैनात किया गया। कुछ दिन प्रोन्नत पर वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन बने इस अधीक्षक का शासन ने तबादला ही नहीं किया। करीब चार साल की तैनाती के दौरान जेल के गल्ला गोदाम में 35 लाख रुपए की नगद बरामदगी, ढाका से वाया कोलकाता होते हुए जेल में बंद बांग्लादेशी बंदियों की फंडिंग, साइन सिटी मामले में पावर ऑफ अटॉर्नी सरीखी कई सनसनीखेज घटनाएं हुई।
डीआईजी स्टार पर हुई इनकी जांच में अधीक्षक समेत कई को दोषी भी ठहराया गया। इसके बावजूद भी शासन ने कोई कार्यवाही नहीं की। कार्यवाही करने के बजाए शासन अब इस अधिकारी को तोहफा देने की तैयारी में लगा हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रहीं हैं।