पूर्व मंत्री का आज भी जेलों में जलवा बरकरार, आईजी जेल की नाक के नीचे जेल में भ्रष्टाचार का बोलबाला

  • लखनऊ जेल में हो रही फतेहपुर से दालों की आपूर्ति
  • जेल प्रशासन को लखनऊ में नहीं मिल रहा दाल और तेल

राकेश यादव

लखनऊ। दूर दराज की जेल छोड़िए आईजी जेल की नाक के नीचे भ्रष्टाचार का बोलबाला है। राजधानी की जिला जेल में बंदियों के लिए दाल और तेल फतेहपुर से आ रहा है। यह बात सुनने और पढ़ने में भले ही अटपटी लेकिन सच है। जेल इन आवश्यक खाद्य सामग्री की आपूर्ति फतेहपुर जनपद की एक फर्म को सौंप रखी गई है। मामला विभाग के पूर्व मंत्री से जुड़ा होने की वजह से जेल प्रशासन के अधिकारी इस मसले पर कोई भी टिप्पणी करने से बचते नजर आ रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक राजधानी की जिला जेल में अरहर, मूंग, चना, उरद समेत अन्य दालों की आपूर्ति राजधानी से करीब सवा सौ किलोमीटर दूर फतेहपुर से हो रही है। फतेहपुर जनपद की संतोष कुमार ओम प्रकाश फर्म जेल में दालों के साथ उरद बड़ी, सोयाबीन, गुड, सरसों का तेल, वनस्पति घी की भी आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

दूसरे जनपद से जेल में हो रही दालों और अन्य खाद्य सामग्री की आपूर्ति का यह मामला जेल प्रशासन समेत अन्य लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। चर्चा है कि पूर्व जेल राज्यमंत्री के जलवे को बरकरार रखने के जेल प्रशासन इस ठेकेदार को बदल नहीं पा रहा है।

सूत्र बताते है योगी सरकार के पहले कार्यकाल में पूर्व कारागार राज्यमंत्री ने लखनऊ जेल समेत अन्य कई जेलों में खाद्य सामग्री की आपूर्ति का ठेका फतेहपुर की फर्म को दिलाया था। पिछले करीब पांच साल से फतेहपुर की यह फर्म लखनऊ समेत अन्य कई जेलों में खाद्य सामग्री की आपूर्ति कर रही है।

फर्म की आपूर्ति हो रही दालों, सरसों के तेल और वनस्पति के दामों की जांच कराई जाए तो दूध का दूध पानी सामने आ जाएगा। सूत्रों की माने तो फर्म की मनमाने दामों पर की जा रही खाद्य सामग्री की आपूर्ति कराकर जेल अधिकारी मोटा कमीशन वसूल कर जेब भरने में जुटे हुए हैं। उधर इस संबंध में जब लखनऊ जेल अधीक्षक बृजेंद्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने इस पर जानकारी नहीं होने की बात कहते हुए कहा कि जो व्यवस्थाएं पूर्व से चली आ रही हैं वही चल रही है। उन्होंने उसमे कोई परिवर्तन नहीं किया है।

कार्यवाही नहीं होने से बेलगाम हुए अफसर

लखनऊ जेल के पूर्व अधीक्षक पर तमाम घटनाएं होने के बाद भी कार्यवाही नहीं होने से अधिकारी बेलगाम हो गए है। करीब चार साल के कार्यकाल के दौरान जेल में बंद पूर्व मंत्री के मोबाइल से व्यापारी को धमकी देने, जेल में बंद बांग्लादेशी बंदियों की ढाका से फंडिंग, साइन सिटी की पावर ऑफ अटॉर्नी जैसी कई सनसनीखेज घटनाएं हुई। इन घटनाओं की कई जांचों में निलंबन के साथ कड़ी कार्यवाही किए जाने की संस्तुति तक की गई। यही नहीं गृह सचिव की 12 जेल अधीक्षक निलम्बित किए जाने की रिपोर्ट में लखनऊ जेल के वरिष्ठ अधीक्षक को भी निलंबित किए जाने की संस्तुति की गई थी। इसके बावजूद इस अधिकारी के खिलाफ आज तक कार्यवाही नहीं की गई।

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