बेलगाम जेल अफसरों पर नकेल कसने नाकामयाब शासन!

राकेश यादव

  • प्रदेश की जेलों में थम नहीं रहा मौत का सिलसिला
  • फतेहगढ़ सेंट्रल जेल, इटावा जेल में एक कैदी एक बंदी की मौत

लखनऊ। प्रदेश की जेलों में आत्महत्या की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। मंगलवार को दो बंदियों ने फांसी लगाकर जीवनलीला को समाप्त कर लिया। एक सजायाफ्ता कैदी फतेहगढ़ सेंट्रल जेल और दूसरों इटावा जिला जेल में बंद था। एक माह के अंदर जेलों में करीब आधा दर्जन से अधिक बंदी और कैदी आत्महत्या का चुके है। कार्यवाही नहीं होने से अधिकारी बेलगाम हो गए हैं।

पहली घटना फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में हुई। जेल प्रशासन की अवैध वसूली और उत्पीड़न से तंग आकर आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी शिवराम की मौत हो गई। बताया गया है कि फर्रुखाबाद जिले के कमालगंज थाना क्षेत्र के फतह नगला निवासी शिवराम जेल अधिकारियों की उगाही और उत्पीड़न से काफी त्रस्त था।

उत्पीड़न से त्रस्त कैदी की अचानक तबियत खराब हो गई। उपचार नहीं मिलने पर मंगलवार को उसकी हालत ज्यादा खराब हो गई। इस पर जेल प्रशासन के अधिकारियों ने कैदी को उपचार के लिए फर्रुखाबाद के राम मनोहर लोहिया अस्पताल भेजा जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस जेल के अधीक्षक के उत्पीड़न से तंग आकर लखनऊ जेल में भी कई बंदियों ने आत्महत्या कर ली थी। पूर्व में इस जेल के अधीक्षक लखनऊ जिला जेल पर तैनात थे।

इसी प्रकार जिला कारागार इटावा में भी मंगलवार को पॉक्सो एक्ट के तहत विचाराधीन आरोपी ने जेल में आत्महत्या कर ली। कैदी की आत्महत्या की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। इटावा एसएसपी संजय कुमार वर्मा ने बताया कि 22 वर्षीय रविंद्र कुमार दोहरे पुत्र जगदीश कुमार कानपुर देहात के विजयपुर थाना रसूलाबाद का रहने वाला था। उसे पॉक्सो एक्ट और अन्य धाराओं में 11 अक्टूबर को औरैया से इटावा जिला कारागार भेजा गया था। मंगलवार को रविंद्र ने बैरक नंबर 9 के बाहर शौचालय के पास फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इससे पूर्व मैनपुरी और झांसी जेल भी 48 घंटे के बीच एक महिला समेत दो दो बंदियों ने आत्महत्या कर जीवनलीला समाप्त कर ली थी।

कार्यवाही नहीं होने से बढ़ रही घटनाएं

शासन और कारागार मुख्यालय अफसरों के कार्यवाही नहीं करने से जेलों में घटनाएं घटने के बजाए बढ़ रही हैं। मामला लखनऊ जेल के गल्ला गोदाम से 35 लाख बरामद होने का हो या फिर शाइन सिटी की पावर ऑफ अटॉर्नी जेल बाहर जाने का इसमें कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसी प्रकार प्रयागराज जेल से बंदी की गलत रिहाई का हो या फिर झांसी और मैनपुरी जेल में दो दो बंदियों की मौत का हो इस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई।

हरदोई जेल और बरेली जेल से बंदियों की फरारी के मामले में छोटे कर्मियों को बलि का बकरा बनाकर बड़े अफसरों को बचा लिया गया। घटनाएं होने के बाद भी कार्यवाही नहीं होने को लेकर विभाग में तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि सेटिंग गेटिंग रखने वाले अफसरों पर इस विभाग में कोई कर्मीवाही नहीं होती है।

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