- द्वादशी तिथि में केवल सुबह दो घंटे मिल रहा है पारण का समय
- इस दिन तुलसी माता के पौधे पर कतई न डालें जल, आज मां भी रखेंगी निर्जला व्रत
राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
कार्तिक महीने का आरंभ हो चुका है। इस माह में भगवान विष्णु और तुलसी की पूजा विशेष महत्व है। प्रभु नारायण की कृपा पाने के लिए कार्तिक माह में स्नान-दान के साथ विष्णु जी की पूजा का विधान। इसी माह में श्री हरि चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। ऐसे में कार्तिक माह में पड़ने वाली एकादशी भी खास होती है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि रमा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान लक्ष्मीनारायण की उपासना करने से धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
रमा एकादशी व्रत और मुहूर्त
रमा एकादशी का व्रत 28 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 27 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 23 मिनट से होगा। एकादशी तिथि समाप्त 28 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर होगा।
रमा एकादशी पारण का समय
एकादशी का पारण दूसरे दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना बेहद ही जरूरी माना जाता है। रमा एकादशी का पारण 29 अक्टूबर को किया जाएगा। पारण का समय 29 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से सुबह 8 बजकर 44 मिनट तक का रहेगा। इस दिन द्वादशी तिथि सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी।
रमा एकादशी व्रत का महत्व
माना जाता है कि 8 साल की उम्र से चंद्रभागा एकादशी का व्रत रख रही थी, जिसका समस्त पुण्य वो शोभन को सौंप देती है। इसी वजह से शोभन अगले जन्म में राजा बना और उसकी नगरी में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती है। इसी के बाद से हर साल कार्तिक माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन लोग रमा एकादशी का व्रत रखते हैं, जिसके कारण उनके जीवन में सदा सुख-शांति बनी रहे और उन्हें कभी किसी चीज की कमी न हो।
रमा एकादशी पूजा सामग्री
रमा एकादशी व्रत करते समय पूजा में इन सामग्री को शामिल करना शुभ होता है। आप पूजन में भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, पूजा की चौकी, पीला कपड़ा, पीले फूल, पीले वस्त्र, फल (केला, आम, ऋतुफल), कलश, आम के पत्ते, पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद), तुलसी दल, केसर, इत्र, इलायची, पान, लौंग, सुपारी, कपूर, पानी वाली नारियल, पीला चंदन, अक्षत, पंचमेवा, कुमकुम, हल्दी, धूप, दीप, तिल, आंवला, मिठाई, व्रत कथा पुस्तक, मौली, दान के लिए- मिट्टी का कलश, सत्तू, फल, तिल इत्त्यादी चीजों को पूजा में शामिल कर सकते है।
रमा एकादशी पूजा विधि
रमा एकादशी व्रत में पूजा विधि का विशेष रूप से ध्यान रखना होता हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठें. इस दिन पवित्र नदियों में या घर पर ही सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि कार्य करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के दिव्य रूप केशव की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ करें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को पंचामृत से अभिषेक कर पीला चन्दन, अक्षत, मोली, फल, फूल, मेवा, तुलसी दल आदि अर्पित करें एवं लक्ष्मी-नारायण की धूप व दीप से आरती उतारनी चाहिए। इसके बाद एकादशी की कथा सुननी चाहिए। साथ ही ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जितना संभव हो जप करें। इस दिन रात्रि जागरण कर हरि कीर्तन करने से सभी कष्ट मिट जाते हैं। कहा जाता है कि यह व्रत रखकर रमा अर्थात् माता लक्ष्मी के पति भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा करने से भगवान विष्णु उसके जीवन की सभी बाधाएं दूर कर देते हैं।
रमा एकादशी पर इन बातों का रखें ध्यान
शास्त्रों के अनुसार, रमा एकादशी के दिन कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है. अगर इस दिन आप इस कामों को करते है तो आपका व्रत सफल नहीं माना जायेगा। इसके साथ ही आपके जीवन में कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। आप इस दिन मां तुलसी के पौधे पर जल न डालें। ऐसी मान्यता है कि माता तुलसी भी अपने पति भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, इस दिन अपने मन में बुरे विचार न आने दें।
रमा एकादशी के दिन चावल खाने से बचना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि चावल खाने से व्यक्ति अगले जन्म में रेंगने वाले योनि में जन्म लेता है। इस दिन किसी भी व्यक्ति की बुराई नहीं करनी चाहिए, अन्यथा व्रत का शुभ फल नहीं मिलता है। रमा एकादशी के दिन बाल, नाखून नहीं कटवाना चाहिए। इससे अशुभ परिणाम मिल सकते हैं। इस दिन फलाहार में गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। रमा एकादशी के दिन वाद-विवाद से दूर रहें। इस दिन तामसिक भोजन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। वरना भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी नाराज हो सकते हैं।