स्मृति शेष: नहाय-खाय से शुरू हुई छठ, लेकिन चली गईं भोजपुरी कोकिला शारदा सिन्हा

  • देह की मुक्ति, लेकिन कल से बजेंगे उनके ही छठ के गीत
  • राजधानी स्थित एम्स अस्पताल में ली उन्होंने अंतिम सांस

संजय तिवारी

हिंदी गायिका स्व. लता मंगेशकर की तरह उन्हें भोजपुरी गीतों के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने न केवल भोजपुरी को दुनिया में स्थापित करने में योगदान दिया, बल्कि देश की सीमा के बाहर लोगों को गुनगुनाने पर मजबूर भी किया। मॉरीशस, सूरीनाम जैसे देशों में उन्हें सुर कोकिला कहा जाता है। छठ पूजा पर इन्हीं के गाये गीत सबसे ज्यादा घाटों पर बजते हैं। लेकिन काल की चाल देखिए, एक तरफ चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से शुरू हो रही है दूसरी तरफ उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। आज राजधानी दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होेंने अंतिम सांस ली।

भोजपुरी की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा जी का अभी अभी निधन हो गया है। उन्होंने स्वयं को अपनी देह को मुक्त कर दिया है लेकिन उनके स्वर अमर हैं। छठ पर कल उनके ही गीत विश्व के कोने कोने में सुनाई देंगे। छठ के उनके गीतों ने छठ की महिमा बढ़ाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। सूरज देव के उगने का आवाहन करने वाली दैहिक शारदा सांस रुक गई है।

दुनिया में शारदा जी ने भोजपुरी को जिस माधुर्य के साथ स्थापित किया उसके लिए भोजपुरी भाषा और संस्कृति उनके प्रति सदैव ऋणी रहेगी। शारदा सिन्हा बिहार की एक लोकप्रिय गायिका हैं। इनका जन्म 1 अक्टूबर 1952 को हुआ‌ था। गांव हुलास, राघोपुर, सुपौल जिला, बिहार का एक बहुत पिछड़ा क्षेत्र है। उनकी ससुराल बेगूसराय जिले के सिहमा गांव में है। पति ब्रिज किशोर सिंहा का निधन पिछले वर्ष हो गया था। उसके बाद से ही शारदा जी बहुत व्यथित और अस्वस्थ रहने लगी थीं।उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मैथिली लोक गीत गाकर की थी।

भोजपुरी जगत में इनके योगदान को कभी नहीं भूल सकेगा हिंदुस्तान

इन्होंने मैथिली, भोजपुरी के अलावे हिन्दी गीत गाये हैं। मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन तथा गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों में इनके द्वारा गाये गीत काफी प्रचलित हुए हैं। इनके गाये गीतों के कैसेट संगीत बाजार में सहजता से उपलब्ध है। दुल्हिन, पीरितिया, मेंहदी जैसे कैसेट्स काफी बिके हैं। बिहार एवं यहाँ से बाहर दुर्गा-पूजा, विवाह-समारोह या अन्य संगीत समारोहों में शारदा सिन्हा द्वारा गाये गीत अक्सर सुनाई देते हैं।

लोकगीतों के लिए इन्हें ‘बिहार-कोकिला’, ‘पद्म श्री’ एवं ‘पद्म भूषण’ सम्मान से विभूषित किया गया है। विश्व का कोई ऐसा कोना नहीं है जहां शारदा सिन्हा के स्वर न पहुंचे हों। खास तौर पर वे देश जहां भोजपुरी समाज के लोग रहते हैं , वहां के प्रत्येक सामाजिक सांस्कृतिक आयोजन शारदा सिन्हा जी के स्वर से ही पूरे होते हैं। कल से छठ की शुरुआत हो रही है। यह संयोग ही है कि छठ के साए में ही शारदा जी ने अंतिम सांस ली है। भोजपुरी की इस महान सेविका को संस्कृति पर्व परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।

मोदी ने पूछा था हालचाल

दिल्ली AIIMS में भर्ती लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार को निधन हो गया। 72 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। कल शाम से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। तबीयत बिगड़ने के बाद 26 अक्टूबर को उन्हें एम्स में भर्ती किया गया था। वो आईसीयू में थीं। 3 नवंबर को हालत में थोड़ा सुधार होने पर वार्ड में शिफ्ट किया गया, लेकिन 4 नवंबर की शाम को उनका ऑक्सीजन लेवल काफी गिर गया था, जिसके बाद से वो वेंटिलेटर पर थीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा से फोन पर बात की थी। उन्होंने शारदा सिन्हा के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी।

वही, आज केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह शारदा सिन्हा के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने के लिए दिल्ली एम्स पहुंचे थे। यहां उन्होंने बिहार कोकिला के परिजनों और डॉक्टरों से मुलाकात की थी। इससे पहले कल शाम केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बिहार कोकिला से मिलने दिल्ली एम्स पहुंचे थे।

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