आपदा के लिए तैयार नहीं था मेडिकल कॉलेज और चली गई दस शिशुओं की जान
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। इससे पहले यानी वर्ष 2022 में मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक निजी अस्पताल में भीषण आग लगने से आठ लोगों की जान चली गई थी।
झांसी जिले के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड में भीषण आग लगने से दस शिशुओं की हुई मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। मध्यप्रदेश और झांसी अग्निकांड से हुई मौत से एक बार फिर साबित हो गया कि कहीं न कहीं मेडिकल कॉलेज प्रशासन की घोर लापरवाही है, जबकि इस मामले में अग्निशमन विभाग भी कम जिम्मेदार नहीं है। साफ है कि आग से बचाव के इंतजाम नहीं थे और दस शिशुओं की असमय मौत हो गई।
आपदा के लिए तैयार नहीं था मेडिकल कॉलेजॽ धराशाई हुई व्यवस्था
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुई घटना ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन की हकीकत के साथ-साथ संबंधित विभाग के अधिकारियों की सतर्कता को भी उजागर कर दिया। लापरवाही का आलम यह रहा है कि दस शिशु धू-धू कर जलते रहे और आपदा से निपटने का इंतजाम धरा रह गया। हमेशा की तरह महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में 55 नवजात भर्ती थे। वह अभी दुनिया देख भी नहीं पाए थे कि लापरवाही के चलते हमेशा के लिए मौत की आगोश में चले गए।
जानकार बताते हैं कि महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आपदा से निपटने के लिए कोई प्रबंध नहीं था और जो रहा वह भी जवाब दे चुका था। वहीं इस घटना को लेकर भले ही अस्पताल प्रशासन अपने बचाव में सफाई देते फिर रहा हो लेकिन कड़वा सच यह है कि कहीं न कहीं कॉलेज प्रशासन या फिर संबंधित विभाग की घोर लापरवाही है।