अंततः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 9 सीटों पर हुए उपचुनाव में सात सीटों पर बाज़ी मारकर यह साबित कर दिया कि सियासी पिच के फ्रंटफुट पर बैटिंग करने का गुर उन्हें आता है। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) योगी के बाउंसर पर पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। अखिलेश का PDA सौ फ़ीसदी फ़र्ज़ी साबित हुआ। अखिलेश के मुस्लिम वोट बैंक में भी ज़बरदस्त सेंधमारी हुई। अति पिछड़े, दलित सभी जो लोकसभा चुनाव के समय I.N.D.I.A द्वारा चलाए जा रहे फेक नैरेटिव की मृगतृष्णा में फँस गई थी। इस बार उन लोगों ने गलती नहीं की और सात कांस्टीचुएंसियों में भगवा फहराकर घर वापसी की है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश को जनता ने क्लीन बोल्ड कर दिया। वह बमुश्किल दो का स्कोर खड़ा कर पाए। हुआ यह कैसे… पूरी तफ़तीश करती भौमेंद्र शुक्ल की रिपोर्ट…
उत्तर प्रदेश में दो दिन पहले सम्पन्न हुए उपचुनाव की नौ सीटों के जो परिणाम आए हैं, उससे यह साबित हो गया है कि सूबे में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनने का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) का पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (PDA) नाम का गुब्बारा फूट गया। यूपी की जनता ने उसकी हवा निकाल दी और लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे ज़िले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का सूपड़ा साफ़ करने वाले अम्बेडकरनगर ज़िले की कटहरी विधानसभा पर भी भगवा फहर गया। कुंदरकी और मीरापुर जैसी मुस्लिम बहुल सीटें भी सपा अपने पाले में नहीं कर पाई। राजनीति के जानकारों का कहना है कि सूबे के मुसलमानों को इस बात की भी शिकायत है कि सपा उनके मुद्दे को नहीं उठाती, सिर्फ वोट बैंक के तौर पर उनका इस्तेमाल करती है। इसी कारण मुस्लिम मतदाता इस उपचुनाव में BJP की तरफ सरक गया। ग़ौरतलब है कि कुंदरकी में तक़रीबन 65 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी है, वहीं मीरापुर में 60 प्रतिशत से ज़्यादा मुसलमान वोटर हैं। कांग्रेस की इन चुनावों से दूरी भी SP के लिए नुकसानदेह और BJP के लिए फायदेमंद रहीं।
साफ़ है कि सूबे में ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का फ़ॉर्मूला हिट रहा। वैसे यूपी के सीएम योगी का यह नारा सूबे की सीमा से बाहर निकलकर महाराष्ट्र में भी अपना जलवा दिखाने में सफल रहा। बताते चलें कि इस बार महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज़्यादा यूपी के सीएम योगी की जनसभाएँ हुईं। हालाँकि पीएम मोदी ने ‘एक हैं तो सेफ़ हैं’ का नारा देकर इस हवा को तूफ़ान में बदल दिया, जिसके तेज़ झोंके ने महाराष्ट्र में महाअघाड़ी गठबंधन को उखाड़ फेंका और महायुति को सत्ता सौंप डाली।
यूपी के उपचुनाव में सीएम योगी को राहुल गांधी से भी ज़बरदस्त फ़ायदा मिला। लोकसभा चुनाव के दौरान संविधान और जातीय जनगणना को प्रमुखता से उठाने वाले कांग्रेस के रायबरेली सांसद यूपी से पूरी तरह से गायब रहे। बड़े नेताओं से इतर कांग्रेस के स्थानीय नेता भी चुनाव प्रचार में सपा के साथ नहीं दिखे। परिणाम इस बात का इशारा कर रहे हैं कि सपा दलितों को फिर से अपने पाले में रखने में नाकामयाब रही। लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने संयुक्त जनसभाएं की थीं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस चुनाव में सही सीटें न मिल पाने की वजह से कांग्रेस ने चुनाव से किनारा कर लिया। बताते चलें कि कांग्रेस चार सीटें मांग रही थी, लेकिन सपा ने उसे दो सीटें दीं। जब यह गठबंधन नहीं हुआ तो कांग्रेस की तरफ से यह कहा गया कि ये प्रत्याशी सपा के प्रत्याशी न होकर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी हैं और कांग्रेस भी इनका चुनाव प्रचार करेंगी। पर ऐसा नहीं हुआ। राहुल और प्रियंका ने पूरी तरह से यूपी से दूरी बनाई।
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यूपी उपचुनाव के दौरान सपा मुखिया अखिलेश को उनका दम्भ ले डूबा। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान सहयोगी पार्टी कांग्रेस को साथ लेकर चलते थे, लेकिन इस बार उन्होंने पूरी तरह से कांग्रेस से किनारा कर लिया था। जबकि BJP के लोग दलितों में ज़बरदस्त घुसपैठ बनाते रहे। बूथ से लेकर जिला तक सभी पदाधिकारियों ने दलित बस्तियों का दौरा किया। बताते चलें कि BJP के सूबे की सत्ता में रहते हुए उपचुनाव जीतने का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं था। वहीं, लोकसभा चुनाव में यूपी की 37 सीटें जीतकर सपा सूबे में नंबर वन की पार्टी बन चुकी है। इस बार चार सीटें-करहल, कटेहरी, सीसामऊ और कुंदरकी पर अपना दबदबा बनाए रखने की चुनौती थी, लेकिन कटेहरी और कुंदरकी उसके हाथों से फ़िसल गया।
चुनाव में खूब चले बयानों के वाण
इस चुनाव में बयानों के वाण भी खूब चले। बुलडोजर से लेकर भेड़िया तक, दिल से लेकर दिमाग तक की चर्चा शुरू हो गई है। बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अखिलेश यादव और सीएम योगी आदित्य नाथ के बीच तीखी बयानबाजी हुई थी। बयानों की शुरुआत अखिलेश यादव की तरफ से हुई। उन्होंने 2027 में सरकार बदलने पर बुलडोजर का रुख गोरखपुर की तरफ करने की बात कही। अखिलेश के बयान पर तंज कसते हुए सीएम योगी ने कहा कि बुलडोजर पर सबके हाथ फिट नहीं होते। इसके लिए दिल और दिमाग चाहिए। क्षमता और दृढ़ प्रतिज्ञा होनी चाहिए। माफिया-अपराधियों के आगे नाक रगड़ने वाले बुलडोजर क्या चलाएंगे? इसके बाद अखिलेश यादव ने पलटवार किया कि बुलडोजर में दिमाग नहीं, स्टीयरिग होता है। प्रदेश की जनता या दिल्ली वाले कब किसका स्टीयरिग बदल दें, कुछ पता नहीं।