- मोटी रकम देकर जेल के बाहर अस्पताल में मौज करते बंदी
- जेलों में तैनात डॉक्टरों और फार्मासिस्ट के नहीं होते तबादले
राकेश यादव
लखनऊ। प्रदेश की जेलों में डॉक्टर और फार्मासिस्ट की अवैध वसूली बंदियों के लिए जानलेवा बन गई है। जेलों में बंद बंदियों का कहना है कि जेल अस्पताल में बगैर सुविधा शुल्क दिए इलाज ही नहीं होता है। मोटी रकम देने वाले बंदियों को जेल के बाहर के जिला अस्पताल भेज दिया जाता है, वही पैसा नहीं देने वाले बंदियों को फार्मासिस्ट लाल, पीली, हरी गोलियां देकर टरका देते है। यही वजह है कि जेल में बंदियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिलचस्प बात यह है जेल अस्पताल में डॉक्टर और फार्मासिस्ट की अवैध वसूली में जेल प्रशासन की भी हिस्सेदारी होती है।
प्रदेश की जेलों में बंदियों को उपचार मुहैया कराने के लिए प्रत्येक जेल में जेल अस्पताल स्थापित किए गए। जेल अस्पताल में चिकित्सा विभाग की ओर से डॉक्टर और फार्मासिस्ट तैनात किए जाते है। शासन की ओर से जेल अस्पताल के प्रति वर्ष करोड़ों रुपए का बजट आवंटित किया जाता है। अस्पताल में उपकरणों और दवाइयों के लिए आवंटित किया गया यह बजट जेल अस्पताल में तैनात डॉक्टरों और फार्मासिस्टों की कमाई का जरिया बन गया है। जेल अस्पताल में उन्हीं बंदियों का इलाज होता है जो सुविधा शुल्क देने में सक्षम होते हैं। पैसा नहीं देने वाले बंदियों का समय पर उपचार नहीं मिल पाता है। समय पर इलाज नहीं मिल पाने की वजह से दम तोड़ दे रहे हैं।
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सूत्रों का कहना है कि जेल अस्पताल डॉक्टर और फार्मासिस्ट की कमाई का अड्डा बन गया है। डॉक्टर धनाढ्य बंदियों से मोटी रकम लेकर उन्हें जेल के बाहर जिला अस्पताल एवं अन्य सस्पतालों में भेज देते हैं। जेल डॉक्टर, फार्मासिस्ट और जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी की साठ- गांठ से बंदी महीनों जेल के बाहर मौज करते नजर आते है। यही नहीं जेल अस्पताल के डॉक्टरों और फार्मासिस्टों ने बंदियों के उपचार के लिए दाम निर्धारित कर रखे है। एक हफ्ते तक जेल अस्पताल में रहने के लिए पांच हजार रुपए वसूल किए जाते है। बंदियों को “स्पेशल डाइट” लिखवाने के लिए डॉक्टर को ढाई हजार से पांच हजार रुपए तक की वसूली की जाती है। उधर इस संबंध में मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी ने इसे चिकित्सा विभाग का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।
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समय पर नहीं मिलता बंदियों को उपचार!
हाल के दिनों में प्रदेश की रायबरेली, झांसी, मैनपुरी, वाराणसी, मऊ, महोबा, इटावा, प्रयागराज जेल समेत अन्य जेल हुई बंदियों की मौत के मामलों में परिजनों ने आरोप लगाया कि समय पर उपचार नहीं मिलने की वजह से मौत हो गई। वाराणसी जेल में बंदी की मौत के बाद इस कदर हंगामा हुआ कि आक्रोशित भीड़ में दारोगा की ही पिटाई कर दी। आगरा जेल में तो सुरक्षाकर्मी मृतक बंदी को अस्पताल के बाहर ही छोड़ कर भाग गए थे। मृतक बंदियों के परिजनों का आरोप है कि जेल और जेल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से आए दिन जेलों में बंदी दम तोड़ रहे हैं।
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