- हार के जिम्मेदार कई लोगों पर गिर सकती है गाज
- BJP का बढ़ा वोट प्रतिशत, लेकिन हार के कारण विपक्ष में भाजपा
रंजन कुमार सिंह
रांची। झारखंड बीजेपी में बड़ा बदलाव होने वाला है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है और उनकी जगह एक नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी। इसको लेकर पार्टी के प्रदेश संगठन प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि बैठक में जो निष्कर्ष निकला है, वह भारतीय जनता पार्टी के लिए भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा। यह सच है कि हम चुनाव हारे हैं, लेकिन हमने वोट बढ़ाए हैं। मत प्रतिशत बढ़ाया है। जनता में भाजपा की स्वीकार्यता बढ़ी है, लेकिन अंकगणित में बीजेपी पीछे रह गई।
आउट होंगे मरांडी, झारखंड BJP को मिलेगा नया कमांडर
वाजपेयी ने कहा कि सदस्यता अभियान के माध्यम से कार्यकर्ता को संरक्षण देने वाले संगठन का निर्माण करेंगे। फरवरी तक नए प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन हो जाएगा। बता दें कि अभी बाबूलाल मरांडी झारखंड भाजपा के अध्यक्ष हैं। वाजपेयी ने यह भी बताया कि भाजपा सदन में सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी। लोकसभा सांसद पुंडेश्वरी को झारखंड में सदस्यता अभियान की देखरेख करने के लिए नियुक्त किया गया है।
‘भाजपा की विश्वसनीयता में कमी नहीं आई’
इस अवसर पर प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. रवींद्र राय ने कहा पार्टी ने राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के नेतृत्व में दो दिनों तक पांच सत्रों में बैठक की। इस दौरान चुनाव के संचालन से लेकर उसके प्रबंधन और परिणाम तक की विस्तृत चर्चा की गई। झारखंड की जनता में भारतीय जनता पार्टी की विश्वसनीयता में कोई कमी नहीं आई है। पहले से पार्टी को नौ लाख अधिक वोट मिले हैं, लेकिन वोटों के ध्रुवीकरण के कारण इसमें सांप्रदायिकता का भाव और जातीयता का उभार पैदा किया गया। इस वजह से जिस परिणाम की उम्मीद की थी, वह नहीं मिली। उन्होंने कहा, संगठन और उम्मीदवार के स्तर पर कमी और आरोप-प्रत्यारोप की बात कहीं से नहीं आई। चुनाव के दौरान संचालन, प्रबंधन और उम्मीदवारों के जनसंपर्क अभियान में कोई कमी नहीं हुई। मुद्दों को जनता तक ले जाने में थोड़ी कमी रह गई, जिसके कारण विरोधी सफल रहे।
विधानसभा चुनाव में कुछ मतदान केंद्रों पर चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदान प्रतिशत के अंतिम आंकड़े और मतगणना के दौरान ईवीएम के के आंकड़ों में मामूली अंतर आया है। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने इसे मानवीय त्रुटि बताते हुए कहा कि कभी-कभी, पीठासीन अधिकारी फार्म 17/सी में आंकड़े दर्ज करने में गलती करते हैं और कभी-कभी कंप्यूटर आपरेटर संख्या दर्ज करने में त्रुटि कर सकते हैं। यह त्रुटि 29,563 मतदान केंद्रों में से 44 से 45 मतदान केंद्रों में कंप्यूटर आपरेटरों तथा 21 बूथों में पीठासीन अधिकारियों की ओर से देखी गई है। ऐसी गलतियां कुल मतदान केंद्रों के 0.3 प्रतिशत से भी कम है।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार, इसी वर्ष लोकसभा चुनाव में 115 बूथों पर ऐसी त्रुटि हुई थी, जिसके बाद चुनाव कर्मियों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया। इससे इस बार त्रुटि काफी कम हुई। उनके अनुसार, प्रविधान यह है कि यदि आंकड़ों में बहुत अधिक अंतर है (किसी उम्मीदवार के जीत के अंतर से अधिक) तो वीवीपैट पर्चियों का उपयोग करके वोटों की गणना की जा सकती है। बताते चलें कि रांची में भी मतदान प्रतिशत और ईवीएम के आंकड़ों में 1,401 मतों का अंतर आया है।