बांदा अधीक्षक को तोहफा देने की तैयारी!

  • छह माह पहले ही हुई थी गाजियाबाद से बांदा तैनाती
  • शासन में सेटिंग गेटिंग रखने वालों के लिए कोई नियम कानून नहीं

लखनऊ। प्रदेश के कारागार विभाग में ऊंची पहुंच और सेटिंग गेटिंग हो तो आपके लिए नियम और कानून कोई मायने नहीं रखते है। साढ़े तीन साल अलीगढ़ और करीब इतना ही समय गाजियाबाद में बिताने के बाद छह माह पहले बांदा जेल स्थानांतरित किए गए अधीक्षक को वरिष्ठ अधीक्षक वाली मुरादाबाद जेल भेजने की तैयारी है। यह मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि शासन में सेटिंग गेटिंग रखने वाले अधीक्षकों की तैनाती के लिए विभाग में कोई नियम और कानून नहीं रह गया है।

मिली जानकारी के मुताबिक बीते स्थानांतरण सत्र के दौरान बीते करीब साढ़े तीन साल से अधिक समय से गाजियाबाद में जमे अधीक्षक आलोक सिंह का तबादला बांदा जेल किया गया था। मेरठ जेल में विवादों से घिरे रहे अधीक्षक की पहली बात पूरब की जेल में तैनाती हुई थी। सूत्रों का कहना है कि बांदा जेल में प्रभार संभालने के बाद ही वह अवकाश पर चले गए थे। बताया गया है अधीक्षक आलोक सिंह का बांदा जेल में छह माह का कार्यकाल अवकाश में ही बीता था। मुरादाबाद जेल के वरिष्ठ अधीक्षक के निलंबित होते ही बांदा जेल अधीक्षक ने मुरादाबाद जाने की जुगत में लग गया। बांदा जेल अधीक्षक को वरिष्ठ अधीक्षक के जेल पर भेजे जाने की तैयारी अंतिम चरण में है। यह स्थानांतरण आदेश कभी भी जारी होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

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शासन की नीति लागू होने के बाद भी नहीं होते तबादले

उल्लेखनीय है कि बांदा जेल अधीक्षक का अधिकांश कार्यकाल पश्चिम की जेलों में बीता है। बांदा में तैनाती से पहले वह करीब साढ़े तीन साल से अधिक समय तक गाजियाबाद जेल पर तैनात रहे थे। इससे पूर्व में उनकी तैनाती अलीगढ़ जेल रही थी। इस जेल में वह करीब साढ़े तीन साल तक तैनात रहे थे। गाजियाबाद से बांदा जेल भेजे गए इस अधीक्षक को एक बार फिर पश्चिम की कमाऊ कही जाने वाली मुरादाबाद जेल भेजने की तैयारी है। मेरठ जेल में तैनाती के दौरान वह विवादों में ही घिरे रहे। एक बार फिर इन्हें प्राइज पोस्टिंग देने की तैयारी है।

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