शासन की नीति लागू होने के बाद भी नहीं होते तबादले

  • जेल के बाबुओं पर लागू नहीं होती स्थानांतरण नीति!
  • प्रदेश के जेलो में 20-25 साल से जमे दर्जनों बाबू
  • भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे लंबे समय से एक स्थान पर जमे कर्मी

लखनऊ। प्रदेश की जेलों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए विभाग के आला अफसर भी कम जिम्मेदार नहीं है। कारागार विभाग में जेलों पर तैनात बाबुओं के तबादले ही नहीं होते है। विभाग के आला अफसरों के लिए शासन की स्थानांतरण नीति का इस विभाग में कोई मायने ही नहीं रह गया है। स्थानांतरण सत्र के दौरान इस वर्ग के कर्मियों को स्थानांतरण नीति से अलग रखा है। यही वजह है कि प्रदेश की जेलों में दर्जनों बाबू पिछले 20-25 साल से एक ही जेल पर जमे हुए हैं। इनके तबादले नहीं होने की वजह से जेलों की व्यवस्था पूरी तरह से अस्त व्यस्त होने के साथ भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

प्रदेश सरकार अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले के लिए हर वर्ष स्थानांतरण नीति लागू करती है। इसमें तैनात कर्मियों के लिए तबादलों के समयावधि का निर्धारण कर रखा है। सरकार की यह स्थानांतरण नीति कारागार विभाग में लागू नहीं होती है। यही वजह है कि इस विभाग के तहत जेलों में तैनात जेल कार्यालयों में तैनात बाबुओं के तबादले ही नहीं किए जाते हैं। स्थानांतरण नहीं होने की वजह से दर्जनों बाबुओं ने लंबे समय से एक ही जेल पर कब्जा जमा रखा है।

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सूत्रों के मुताबिक आगरा जेल परिक्षेत्र में बाबू रंजना कमलेश का दो प्रमोशन के बाद भी इस परिक्षेत्र से तबादला नहीं किया। करीब 20 साल से यह इसी परिक्षेत्र में तैनात है। इसी प्रकार बरेली परिक्षेत्र में करीब 15-20 साल से तैनात स्नेहा शर्मा का भी तबादला नहीं किया गया। इसी प्रकार परिक्षेत्र के साथ दर्जनों जेलों पर तैनात बाबुओं का भी स्थानांतरण नहीं किया जाता है। यह तो बानगी है इसी प्रकार लखनऊ, बनारस, कानपुर, मेरठ, बरेली, गोरखपुर परिक्षेत्र में लंबे समय से तैनात बाबुओं के तबादले नहीं किए गए है। सूत्रों की माने तो लंबे समय से तैनात यह बाबू स्थानांतरण सत्र के दौरान परिक्षेत्र के तहत आने वाली जेलों से वार्डर-हेड वार्डर से मोटी रकम वसूलकर उनका मनमाफिक जेलों पर तबादला तक कराते है। कई बाबुओं ने तो जेलों काम कराने के एवज में दाम तक निर्धारित कर रखे हैं। कुछ ऐसा ही हाल जेलों पर तैनात डॉक्टर और फार्मासिस्टों का भी है। जेल अस्पतालों में भी इलाज के लिए शुल्क निर्धारित कर जेलों में लूट मचा रखी है।

कौशांबी में डिप्टी जेल के प्रभार वरिष्ठ सहायक बाबू को!

प्रदेश की कौशांबी जेल में एक बाबू ऐसा है जिसको जेल में डिप्टी जेलरों के तैनात होने के बाद भी बंदियों की मुलाकात समेत अन्य प्रभार सौंप रखे गए। यह पहला मौका है जब जेल में बाबू को डिप्टी जेल का प्रभार दिया गया हो। सूत्रों की माने तो वरिष्ठ सहायक पद पर तैनात इस बाबू को मुलाकात ही नहीं गल्ला गोदाम, कैंटीन, हवालात का प्रभार भी दिया गया है। यह बाबू कर्मचारियों को अवकाश देने से लेकर ड्यूटी लगाने तक का काम करता है। इससे कर्मचारियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। इस बाबत जब जेल अधीक्षक अजितेश से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका सीयूजी नंबर उठा ही नहीं।

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