- डिप्टी जेलर होने के बावजूद बाबू को सौंपे महत्वपूर्ण प्रभार!
- दो बाबुओं के एवज में जेल में तैनात चार बाबू
- 10 साल से जेल पर जमे बाबू की प्रताड़ना से सुरक्षाकर्मी त्रस्त
- आईजी जेल को भेजी गई शिकायत से हुआ खुलासा
लखनऊ। कारागार मुख्यालय में बैठे आला अफसरों का जेल अधिकारियों और मातहतों कर्मियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। यही वजह है कि जेल डिप्टी जेलर होते हुए डिप्टी जेलर का प्रभार वरिष्ठ सहायक बाबू के हाथों में सौंप रखा गया है। यह बाबू जेल की मुलाकात के साथ ही साथ कैंटीन, गल्ला गोदाम, एमएसके, अनुरक्षण, बच्चा बैरेक का भी प्रभारी है। इस सच का खुलासा महानिरीक्षक कारागार (आईजी जेल) को भेजी गई शिकायत से हुआ है। इस खुलासे से विभागीय अधिकारियों और कर्मियों में हलचल मची हुई है। उधर जेल अफसर इस मसले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
मामला प्रयागराज जेल परिक्षेत्र की कौशांबी जिला जेल का है। आईजी जेल को भेजी गई शिकायत में कहा गया है कि जेल के अधिकारी और सुरक्षाकर्मी जेल में तैनात बड़े बाबू प्रताड़ना और अवैध कार्यों में संलिप्तता से काफी त्रस्त हैं। शिकायत में कहा गया है कौशांबी जेल में कनिष्ठ लिपिक संवर्ग के दो पद सृजित है। दो पदों के एवज में इस जेल में चार बाबू तैनात है। दो अतिरिक्त तैनात बाबुओं में एक बाबू इस जेल पर करीब 10 साल से अधिक समय से तैनात है। लंबे समय से एक ही जेल पर तैनात होने की वजह से उसने अपने प्रभाव के कारण जेल प्रशासन के अधिकारियों पर दबदबा बना रखा है। लंबे समय से तैनात होने की वजह से उसके रसूखदार बंदियों से अच्छे संबंध है। वह उनके लिए अप्रत्यक्ष रूप से अवैध सामान पहुंचा करके बंदियों से मोटी रकम वसूल करता है।
आईजी जेल को भेजी शिकायत में कहा गया है कि लंबे समय से तैनात होने के कारण अपने प्रभुत्व के कारण डिप्टी जेलर के तैनात होने के बावजूद अधीक्षक को भ्रमित करके इस बाबू ने मुलाकात, गल्ला गोदाम, कैंटीन, एमएसके और अनुरक्षण का प्रभार हासिल कर रखा है। यह बाबू प्रभावी, रसूखदार बंदियों की मुलाकात अपने कार्यालय में कराता है। इसमें बाहर से महिलाएं भी आती है। जिन्हें बंदी के साथ अकेले कार्यालय में छोड़ दिया जाता है। इसके बदले में बाबू बंदियों से मोटी रकम वसूल करता है। शिकायत में कहा गया है कि यह बाबू हमेशा कार्यालय एक छोटा बैग लेकर आता है। जिसमें छोटा की पैड वाला मोबाइल फोन लाता है। इसके बैग के कभी तलाशी नहीं ली जाती है। इसकी पुष्टि सीसीटीवी से की जा सकती है। बाबू बैग में लाए छोटे की पैड मोबाइल से अपने रायटर बंदी के जरिए प्रभावी और रसूखदार बंदियों की बात कराता है। इसके साथ ही रायटर से मादक पदार्थों की बिक्री करवाकर बंदियों से मोटी रकम वसूल करता है। इसकी प्रताड़ना से जेल के सुरक्षाकर्मियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। शिकायत में जेल में अवैध कार्यों का संचालन करने वाले बाबू को अन्यत्र जेल पर स्थानांतरित किए जाने की मांग की गई है।
जिम्मेदार अफसरों का नहीं उठता फोन
कौशांबी जेल प्रशासन की आईजी जेल से हुई शिकायत के संबंध में जब कौशांबी जेल अधीक्षक अभिजीत कुमार से बात करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी उनका सीयूजी नंबर (9454469152) नहीं उठा। इसी प्रकार प्रयागराज जेल परिक्षेत्र के प्रभारी डीआईजी राजेश कुमार श्रीवास्तव के सीयूजी नंबर (9454418172) पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो यह फोन स्विच ऑफ मिला।