नया लुक की खबर का असर : आखिकार मिल गई बांदा अधीक्षक को मुरादाबाद में तैनाती

  • छह माह बाद ही शासन ने बांदा से कर दिया मुरादाबाद तबादला
  • अलीगढ़, गाजियाबाद के बाद अब मुरादाबाद में मचेगी धूम

लखनऊ। न बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपइया… यह कहावत कारागार विभाग के तबादलों में चरितार्थ हो गई। आखिकार छह माह पहले गाजियाबाद से बांदा स्थानांतरित किए गए जेल अधीक्षक को मुरादाबाद जेल पर तबादला कर ही दिया गया। इस तबादले का खुलासा बीती 18 दिसंबर को ही कर दिया गया था। शासन ने मंगलवार को इस तबादले पर अपनी मोहर भी लगा दी। इस तबादले को लेकर विभागीय अधिकारियों में तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। चर्चा है कि शासन में सेटिंग गेटिंग रखने वाले अफसरों के लिए इस विभाग में कोई नियम और कानून नहीं रह गया है।

बीती 18 दिसंबर को आलोक को बांदा जेल से मुरादाबाद जेल भेजने की तैयारी शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी। इस खबर पर शासन में मोहर लगा दी। मंगलवार को कारागार विभाग के विशेष सचिव मदन मोहन के निर्देश पर अनु सचिव ममता श्रीवास्तव ने एक स्थानांतरण आदेश जारी किया है। आदेश में बांदा जेल अधीक्षक आलोक सिंह का तबादला मुरादाबाद जेल पर किया गया है। आदेश में कहा गया है कि प्रशासनिक आवश्यकता को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

मालूम हो कि बीते स्थानांतरण सत्र के दौरान बीते करीब साढ़े तीन साल से अधिक समय से गाजियाबाद में जमे अधीक्षक आलोक सिंह का तबादला बांदा जेल किया गया था। मेरठ जेल में विवादों से घिरे रहे अधीक्षक की पहली बात पूरब की जेल में तैनाती हुई थी। सूत्रों का कहना है कि बांदा जेल में प्रभार संभालने के बाद ही वह अवकाश पर चले गए थे। बताया गया है अधीक्षक आलोक सिंह का बांदा जेल में छह माह का कार्यकाल अवकाश में ही बीता था। मुरादाबाद जेल के वरिष्ठ अधीक्षक के निलंबित होने के बाद से ही बांदा जेल अधीक्षक ने मुरादाबाद जाने की जुगत में लगे हुए थे।

सूत्रों का कहना है कि नियमानुसार मुरादाबाद जेल पर वरिष्ठ अधीक्षक को तैनाती होनी चाहिए थी। शासन ने स्थानांतरण नीति और जेल नियमावली को दरकिनार करके वरिष्ठ अधीक्षक की जगह अधीक्षक को तैनात कर दिया गया। छह माह पूर्व बांदा भेजे गए अधीक्षक की मुरादाबाद जेल पर तैनाती का मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है।

 

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