अजमेर से राजेन्द्र गुप्ता
क्रिसमस डे ईसाई धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। लेकिन इस पर्व को सभी धर्म के लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं। यह दुनियाभर में 25 दिसंबर को ही मनाया जाता है। मान्यता है कि यह पर्व यीशु मसीह के जन्म की खुशी में मनाया जाता है।
इस लिए मनाया जाता है 25 दिसंबर को क्रिसमस डे
क्रिसमस डे का पर्व ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभु यीशु के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि यीशु मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था। हालांकि बाइबल में यीशु मसीह के जन्म की सटीक तारीख का उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन चौथी शताब्दी में रोम के सम्राट कॉन्सटेंटाइन ने 25 दिसंबर को क्रिसमस के रूप में आधिकारिक मान्यता दी। इसके बाद से ही ईसाई धर्म के लोग 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाते हैं।
यीशु का जन्म प्रकाश का प्रतीक
प्राचीन रोम में 17 से 23 दिसंबर के बीच सैटर्नलिया नाम का एक मुख्य पर्व मनाया जाता था, जो सूर्य देवता को समर्पित माना जाता था। इसके बाद ईसाई धर्म अपनाने वाले रोमन नागरिकों ने 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाना शुरू किया। यीशु मसीह के जन्म को प्रकाश और नई शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है।
क्रिसमस डे मनाने का रहस्य
ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान यीशु मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था। कहा जाता है कि मरियम को एक स्वप्न दिखाई दिया था। जिसमें यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी हुई थी। इसके कुछ समय बाद मरियम ने यीशु को जन्म दिया था।
क्रिसमस की मुख्य परंपराएं
- क्रिसमस ट्री सजाना
- सांता क्लॉज से उपहार पाना
- विशेष प्रार्थनाएं और कैरल गाना