- उप्र, चंडीगढ़ और राजस्थान में किए जा रहे बिजली के निजीकरण के विरोध में देश के सभी मजदूर लामबंद
- साल के पहले दिन को बिजली विभाग के कर्मचारी मनायेंगे काला दिवस
नया लुक संवाददाता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में किए जा रहे बिजली के निजीकरण के विरोध में 27 दिसंबर को गोरखपुर में बिजली पंचायत आयोजित की गई है। उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ और राजस्थान में किए जा रहे बिजली के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के महासंघों के साथ देश के अन्य सभी ट्रेड यूनियन फेडरेशन इस अभियान में लामबंद हो गए और एक साथ आ गए हैं। उप्र में एक जनवरी को काला दिवस मनाया जाएगा और बिजली कर्मचारी पूरे दिन काला फीता बांधकर काम करेंगे। वहीं चंडीगढ़ में 25 दिसंबर को हुई बिजली पंचायत में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स से जुड़े सभी महासंघ और देश के सभी बड़े ट्रेड यूनियन फेडरेशन के पदाधिकारियों ने एक मंच से ऐलान किया कि बिजली के निजीकरण के विरोध में देश के लाखों कर्मचारी और मजदूर बिजली कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया की चंडीगढ़ में हुई बिजली महा पंचायत में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर फेडरेशन, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ़ इंडिया तथा ऑल इंडिया पावर मेंस फेडरेशन के शीर्ष पदाधिकारी सम्मिलित हुए थे। उन्होंने बताया की चंडीगढ़ बिजली महापंचायत में एटक, इंटक, सीटू, ऐक्टू, ए आई यू टी यू सी, ऑल इंडिया किसान सभा, संयुक्त किसान मोर्चा के शीर्ष पदाधिकारियों ने आकर ऐलान किया कि बिजली के निजीकरण के विरोध में उप्र, चंडीगढ़ और राजस्थान में चल रहे आंदोलन को देश के सभी मजदूर और किसान पूरी तरह समर्थन देंगे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों ने बताया कि बिजली के निजीकरण के विरोध में 1 जनवरी को प्रदेश के समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी और अभियंता पूरे दिन काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। निजीकरण के विरोध में 1 जनवरी को काला दिवस के रूप में मनाया जाएगा ।उन्होंने बताया कि बिजली पंचायत का दौर जारी है और 27 दिसंबर को गोरखपुर में बिजली पंचायत का आयोजन किया गया है।इसके बाद 29 दिसंबर को झांसी में और 5 जनवरी को प्रयागराज में बिजली पंचायत आयोजित की जाएगी।
संघर्ष समिति ने कहा की झूठे आंकड़े और भय का वातावरण बनाकर बिजली के निजीकरण की साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष बिजली के निजीकरण का चौतरफा विरोध होते देख बौखला गए हैं और उन्होंने बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं को अनावश्यक तौर पर दंडित कर भय का वातावरण बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारी कार्य में कोई व्यवधान नहीं होने दे रहे हैं और माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के प्रति पूरा विश्वास बनाए रखते हुए बिजली व्यवस्था के सुधार में प्राणपण से लगे हैं। किन्तु पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष वातावरण को बिगड़ने में लगे हैं और अनावश्यक तौर पर बिजली कर्मचारियों को उत्तेजित कर रहे हैं।