समझिये अध्यात्म का विज्ञान मंत्र जप से निकलती है तीव्र ऊर्जा

बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
  • ध्वनि ऊर्जा का होता हे रूपान्तरण
  • जड़ से चेतन बननै का रहस्य
  • आभामंडल और का रहस्य
  • प्रणव (ॐ) कार की दिव्य शक्तियां

संत महापुरुष चलते फिरते तीर्थ हैं। जहां जहां तीर्थ हैं वहां वहां पवित्र नदियां हैं। सभी तीर्थ में जाकर पवित्र नदी मे स्नान करते हैं जिससे उनके पाप धुलतै हैं। जब इन नदियों मे प्रभु नाम स्मरण मे डूबे संत डुबकियां लगाते हैं,तो नदियों के मे घुले पाप राशि दग्ध होते हैं।

सुतीर्थी कुर्वन्ति तीर्थाणि सच्छाश्त्री कुर्वन्ति शास्त्राणि”

अर्थात संत तीर्थो को सुतीर्थ और शास्त्रों को सत्शास्त्र बना देते हैं।

जब वे शास्त्रों का स्वाध्याय और अनुशीलन करते हैं तो शास्त्र जागृत होजाते हैं। नाम स्मरण की ऐसी महिमा है कि वह इतनी सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है कि जड़ को भी चेतन बनाने मे सक्षम है। दिव्य मंत्र की शक्तियां बारंबार आवृत्ति से स्फुरित होती हैं। इनके अक्षरो का समूह आवृत्ति से एक तरह की ध्वनि ऊर्जा की तरंगे उत्पन्न करता  जिससे विद्युत चुंबकीय तरंगे उत्पन्न होती हैं। हमे यह जान कर आश्चर्य होगा एक पवित्र ॐ कार( प्रणव) की ध्वनि ऊर्जा से आकाश,वायु,अग्नि,जल और धरती का अस्तित्व कायम हुआ। प्रणव सृष्टि रचना करने मे समर्थ है। जड़ को चेतन बनाने मे इसकी भूमिका है और चेतन को जड़ बनाने मे समर्थ है।

 “जो चेतन को जड़ करइ जड़हिं करै चैतन्य। अस समर्थ रघुनायक भजहिं जीव ते धन्य।”

राम नाम का वर्ण विपर्यय करे़ तो आ+र+म बनता है और र से  संस्कृत व्याकरण से उ बन जाता है। आ+उ+म=ॐ इस तरह राम नाम ही प्रणव है। प्रणव ही राम नाम है। इसलिए प्रणव हो या राम नाम इसका जप,इसकी आवृत्ति सर्व सक्षम है। इसमे सृष्टि रचना,पालन और संहार की शक्ति है। राम नाम या ॐ कार। के जप से साधु संतों ने अनेक सिद्धियां अर्जित की। उन्हें भूत,भविष्य और वर्तमान को जानने का सामर्थ्य पैदा हुआ। वे कुछ भी करने मे समर्थ हुए। ऐसे लोगों के आभामंडल के  समीप बैठने से हमे तीव्र ऊर्जा की तरंगे मिलती है। वे ही तीर्थो मे जाकर उसे जीवंत कर देते है। उनके स्पर्श से नदियो के पाप धुलते है और प्राण ऊर्जा का चराचर में प्रभाव पड़ता है।

विज्ञान कहता है E= MC2  सूत्र से मास ऊर्जा मे बदलता है। E= ऊर्जा,M= पदार्थ की मात्रा, C= प्रकाश का वेग । इस तरह जड़ पदार्थ भी चेतन ऊर्जा मे और ऊर्जा पदार्थ मे बदला जा सकता हे।

यह सभी को मालूम है ऊर्जा नष्ट नही़ होती वह अन्य ऊर्जाओ मे रूपांतरित होजाती है। जिससे आकाश, ध्वनि, अग्नि,जल और धरती का बनना संभव है।ऐसा विज्ञान द्वारा सिद्ध होचुका है। इसीलिए शिव राम नाम मे समाधिस्थ होते रहे और साधु संत नाम मंत्र के जप कीर्तन और भजन से एक ही मंत्र की बारंबार आवृत्ति कर ऊर्जा का भंडार संचित करते रहे। इस तरह उनके चेहरे के पीछे आभा मंडल बन जाता है और शरीर से भी तीब्र तरंगे निकलने लगती है। हर व्यक्ति के शरीर के भीतर या बाहर उसकी coxmic body ऊर्जामय स्वरूप होता है, पाप कर्म करने वाले और कुसंग मे पड़ कर नशे करने वालो की body   शरीर मे नकारात्मक ऊर्जा निकलती है। जब कि सज्जनो और भद्र पुरुषो मे और साधु संतो सिद्धो के ऊर्जामय स्वरूप से सकारात्मक ऊर्जा निकलती है। यदि हम कुछ भी न बोलें तो भी आभा मंडल तीब्र प्रभाव डालता है‌ । इसीलिए अच्छी संगत करने और बुरी संगत त्यागने की बात कही जाती है। इन सूक्ष्म बातों को हमे समझना होगा।

Religion

सुरूप द्वादशी आज: भगवान विष्णु के 12 नामों के जप से जीवन में होता है ये बड़ा परिवर्तन

शंख में दूध भरकर विष्णु अभिषेक से होते हैं कई लाभ अजमेर से राजेन्द्र गुप्ता पौष महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने की परंपरा ग्रंथों में बताई गई है। इस दिन भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा करने का विधान बताया गया है। इसलिए […]

Read More
Religion

सफला एकादशी: आज अन्न धन का दान करने से जीवन में कभी नहीं रहेगी कमी

यह व्रत रखने से सभी कार्यों में मिलती है सफलता अजमेर से राजेन्द्र गुप्ता हिंदू धर्म में जिस प्रकार त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। ठीक उसी प्रकार एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है। साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती हैं। धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि […]

Read More
Religion

रवि योग में लगेगा महाकुंभ भगवान विष्णु की बरसेगी कृपा

राजेश श्रीवास्तव लखनऊ। इस बार महाकुंभ मेले पर रवि योग का निर्माण होने जा रहा है। इस दिन इस योग का निर्माण सुबह सात बजकर 15 मिनट से होगा और सुबह 10 बजकर 38 मिनट इसका समापन होगा। इसी दिन भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है और इस योग में भगवान विष्णु की […]

Read More